CG ब्रेकिंग: DMF और कस्टम मिलिंग मामले में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर नामजद FIR दर्ज, दर्जनों के खिलाफ जांच शुरू, जानिए पूरा प्रकरण.......
FIR registered against officers involved in corruption in DMF and Custom Milling case




FIR registered against officers involved in corruption in DMF and Custom Milling case
रायपुर। डी.एम.एफ. प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर के प्रतिवेदन रिपोर्ट पत्र के आधार घर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में अपराध क्रमांक-02/2024 धारा 120बी, 420 भा. द.वि. एवं धारा-7 तथा धारा-12 भ्र. निवा.अधि. के तहत् पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है। कस्टम मिलिंग प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर के प्रतिवेदन रिपोर्ट पत्र के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में अपराध क्रमांक-01/2024, घारा 120बी, 409 भा. ८.वि. एवं धारा 13(1) (क) सहपठित धारा 13(2) एवं धारा-11 भ्र.निवा.अधि. के तहत् पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
कस्टम मिलिंग प्रकरण
प्रवर्तन निदेशालय रिपोर्ट पर यह पाया गया कि विभिन्न राईस मिलर्स के द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम एवं एफसीआई में जो कस्टम मिलिंग का चावल जमा किया जाता है। इस प्रकिया में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार कर प्रति क्विंटल के हिसाब से अवैध राशि की वसूली की गई एवं अपने पद का दुरूपयोग करते हुये विभिन्न शासकीय अधिकारियों द्वारा राईस मिलर्स के साथ मिलीभगत कर असम्यक लाभ प्राप्त कर शासन को आर्थिक क्षति कारित की गई।
कु० प्रीतिका पूजा को मनोज सोनी, प्रबंध संचालक मार्कफेड के मारफत रोशन चन्द्राकर के द्वारा निर्देश था कि उन्हीं राईस मिलर्स के बिल का भुगतान किया जाना है जिनकी वसूली की राशि रोशन चन्द्राकर को प्राप्त हुई है। किन राईस मिलर्स को भुगतान किया जाना है इसकी जानकारी संबंधित जिले के राईस मिलर्स एसोसिएशन के द्वारा ननोज सोनी के माध्यम से प्राप्त होती थी। आयकर विभाग के द्वारा की गई तलाशी की कार्यवाही से लगभग 1.06 करोड़ रूपये की कैश राशि प्राप्त हुई है जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है तथा बहुत सारे आपत्तिजनक दस्तावेज एवं डिजिटल डिवाईस प्राप्त हुए है। लगभन 140 करोड़ रूपये की अवैध वसूली राईस मिलर्स से किया जाना पाया गया है।
राईस मिलर्स के द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम एवं एफ.सी.आई. में जो कस्टम मिलिंग का चावल जमा किया जाता है में व्यापक पैमाने में भ्रष्टाचार कर प्रति क्विंटल के हिसाब से अवैध राशि की वसूली मार्कफेड के तत्कालीन प्रबंध संचालक मनोज सोनी एवं तत्कालीन डिस्ट्रीक्ट मार्केटिंग ऑफिसर कु० प्रीतिका पूजा केरकेट्टा कोरबा के द्वारा लोकसेवक के रूप में पदस्थ होते हुए अपने-अपने पद का दुरूपयोग कर, छत्तीसगढ़ स्टेट राईस मिलर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट कैलाश रूंगटा, वाईस प्रेसीडेंट पारसमल चोपडा एवं कोषाध्यक्ष रोशन चन्द्राकर के साथ आपराधिक षडयंत्र कर की गई है, जो प्रथम दृष्ट्या अपराध धारा 120 बी, 409 भा.द.वि. एवं धारा 13 (1) (क) सहपठित धारा 13(2) एवं 11. अ.नि. अधि. के तहत अपराध कारित किया जाना पाया जाता है।
डी.एम.एफ. प्रकरण
प्रवर्तन निदेशालय के रिपोर्ट पर यह पाया गया कि डी.एम.एफ. कोरबा के फंड से विभिन्न निविदाओं के आंबटन में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की गयी है तथा गलत ढंग से निविदाओं को निर्धारण कर निविदाकर्ताओं को अवैध लाभ पहुंचाया गया है, जिसके कारण शासन को आर्थिक हानि कारित हुई है।
प्रतिवेदन में यह भी पाया गया कि कुल निविदा राशि में लगभग 40 प्रतिशत की राशि लोकसेवक अधिकारीगणों को इस एवज में प्रदान किया गया तथा निजी कम्पनी के द्वारा निविदाओं पर 15 से 20 प्रतिशत अलग-अलग दरों से कमीशन प्राप्त किया गया है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में डी.एम.एफ. में काफी अधिक मात्रा में वित्तीय अनियमितता की गई है तथा शासन को हानि कारित की गई है।
प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि रानू साहू एवं अन्य लोकसेवकों के द्वारा लोकसेवक के रूप में पदस्थ होते हुए अपने-अपने पद का दुरूपयोग कर विभिन्न निविदाकर्ता संजय शेण्डे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, रिषभ सोनी एवं बिचौलिएं मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल एवं शेखर के साथ मिलकर डी.एम.एफ. में विभिन्न प्रकार की निविदाओं के आबंटन में, बिल को पास कराने के लिए, किसी वस्तु के वास्तविक मूल्य से अधिक मूल्य के बिल प्राप्त किये गये थें तथा उनका भुगतान कराने में एवं इत्यादि में आपस में मिलकर आपराधिक षड़यंत्र कर निविदाकर्ताओं संजय शेण्डे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, रिषभ सोनी एवं बिचौलिएं मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल एवं शेखर को अवैध लाभ कारित करते हुए शासन को अवैध हानि कारित की गई जो प्रथम दृष्टया अपराध धारा 120 बी, 420 भा.द.वि. एवं धारा 7 एवं 12 भ्र.नि. अधि. के तहत अपराध कारित किया जाना पाया जाता है।