निर्भय, साहसी और लेडी सिंघम कही जाने वाली महिला आरक्षक चंद्रकला साहू इन दिनों काफी चर्चा में हैं।




NBL, 08/03/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. International Women's Day: निर्भय, साहसी और लेडी सिंघम कही जाने वाली महिला आरक्षक चंद्रकला साहू इन दिनों काफी चर्चा में हैं, पढ़े विस्तार से...।
राजधानी रायपुर के टिकरापारा थाने में पदस्थ महिला आरक्षक चंद्रकला के नाम से अपराधी कांपते हैं। उनका खौफ ऐसा है कि कई अपराधी खुद ही आत्मसमर्पण कर देते हैं। वे बेखौफ होकर वर्षों से फरार चल रहे गुंडे-बदमाशों को खोज निकाल रही हैं।
अकेले कोर्ट लगी थी वारंटियों को...
पुलिस विभाग द्वारा फरार वारंटियों को पकड़ने के लिए चलाए गए विशेष अभियान में ये अकेले ही कई वारंटियों को पकड़ चुकी हैं। अभियान के दौरान ही ये 15 स्थायी वारंटियों को पकड़कर कोर्ट में पेश कर चुकी हैं। बिना वर्दी में निकलने वाली चंद्रकला जब एक बार वारंटियों को लेकर कोर्ट में पहुंचीं तो जज एकबारगी उनका परिचय जानना चाहा। उन्होंने जब बताया कि वे महिला आरक्षक हैं, तो जज ने फिर पूछा- क्या आप अकेली इन वारंटियों को लेकर आई हैं। इस पर चंद्रकला ने कहा- जी सर। इस पर जज प्रभावित हुए। उन्होंने इस महिला सिंघम को शाबासी देते हुए खूब सराहा।
मार्सल आर्ट की ले चुकी हैं ट्रेनिंग, सम्मानित भी हो चुकी हैं...
चंद्रकला ने बताया कि वह स्कूल के समय पर मार्सल आर्ट की ट्रेनिंग ले चुकी हैं। इसके अलावा वह कराते की भी ट्रेनिंग ली। इसका फायदा भी कई बार उन्हें अपराधियों को पकड़ने में मिलता है।
कमांडो ट्रेनिंग कालेज कांकेर से ली है ट्रेनिंग..
चंद्रकला ने बताया कि कांकेर में उन्होंने कमांडो ट्रेनिंग भी की है। छत्तीसगढ़ के कांकेर के काउंटर टेररिज्म एंड जंगल वारफेयर (सीटीजेडब्ल्यू) कालेज में ट्रेनिंग भी ली। कालेज में नक्सलियों के खिलाफ मुकाबले की ट्रेनिंग दी गई। 45 दिनों के ट्रेनिंग के दौरान नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन के गुर सिखाए गए, साथ ही जंगल की कठिन परिस्थितियों में रहने का तरीका भी बताया जाता है। ट्रेनिंग के दौरान कमांडो को खूंखार जानवरों से निपटने के लिए ट्रिक भी सिखाए जाते हैं।
पिता का सपना किया पूरा...
चंद्रकला ने बताया कि उनके पिता हमेशा उन्हें बेटे की तरह की रखते थे। वे चाहते थे कि जो काम लड़के कर सकते हैं वह उनकी बेटी भी करे। चंद्रकला ने पिता का सपना पूरा करने ठान ली। पुलिस में भर्ती होकर पिता का नाम रोशन किया। 2003 में धमतरी में हुई मैराथन में पुरस्कार 20 किलोमीटर दौड़ में प्रथम अवार्ड जीता था। उस दौरान वह पहली बार शुरुआत की थी। घरेलू काम में रूचि नहीं थी। खेल-कूद में विशेष ध्यान था। 2006 में पुलिस भर्ती में शामिल हुई और उनका चयन छत्तीसगढ़ पुलिस में हुआ।
इस वजह से निकल जाती हैं अकेले. ..
चंद्रकला ने बताया कि वह पेट्रोलिंग में भी जाती हैं। जब अपराधियों को पकड़ना होता है तो वह सिविल में अकेले अपनी गाड़ी से निकलती हैं। उनको आशंका रहती है कि कहीं उनकी सूचना किसी और को न मिल जाए और अपराधी फरार हो जाए। थाने के आस-पास अपराधियों के भी मुखबिर घूमते रहते हैं। जो सूचना पहुंचा देते हैं।