FD and RD Difference: फिक्स्ड डिपॉजिट एवं रेकरिंग डिपॉजिट क्या है अंतर, इससे लोग पैसे कैसे डबल करते है, जाने पूरा प्रोसेस.

FD and RD Difference: What is the difference between Fixed Deposit and Recurring Deposit, how do people double their money, know the whole process. FD and RD Difference: फिक्स्ड डिपॉजिट एवं रेकरिंग डिपॉजिट क्या है अंतर, इससे लोग पैसे कैसे डबल करते है, जाने पूरा प्रोसेस.

FD and RD Difference: फिक्स्ड डिपॉजिट एवं रेकरिंग डिपॉजिट क्या है अंतर, इससे लोग पैसे कैसे डबल करते है, जाने पूरा प्रोसेस.
FD and RD Difference: फिक्स्ड डिपॉजिट एवं रेकरिंग डिपॉजिट क्या है अंतर, इससे लोग पैसे कैसे डबल करते है, जाने पूरा प्रोसेस.

FD and RD Difference:

 

अपने बुरे वक्त में पैसे को जमा अपने की जरूरत हर इंसान को होती है। लेकिन हर कोई पैसे को सही तरीके से जमा नहीं रख पाता है। जिस कारण उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग अपने सेविंग खाते में ही पैसे रखते हैं जिससे पैसे तो सुरक्षित रहते हैं लेकिन उन्हें पैसों पर कोई अच्छा रिटर्न नहीं मिलता है। (FD and RD Difference)

ऐसे में कई लोग पैसे सेव करने के साथ-साथ उसे बैंक में डिपॉजिट करते हैं एवं फिक्स डिपॉजिट यार एक रेकरिंग डिपॉजिट के तौर पर जमा करते हैं। जिस पर एक अच्छा ब्याज मिलता है जो कि उनके उज्जवल भविष्य के लिए भी काफी लाभदायक होता है।

डिपॉजिट में बचत खाते की तुलना में अधिक ब्याज दर अर्जित करता है, फिर चाहे वो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) हो या रेकरिंग डिपॉजिट (RD)। लेकिन शुरुआती निवेशक जानना चाहते होंगे कि ये दोनों डिपॉजिट कैसे काम करते हैं। इनमें से कहां ज्यादा फायदा है? हम आपको यहां इसी सवाल का जवाब देंगे। (FD and RD Difference)

फिक्स्ड डिपॉजिट बचत और निवेश इंसट्रूमेंट हैं जो पैसे जमा करने की अवधि पर एक निश्चित दर से ब्याज दिलाता है। जब अवधि पूरी हो जाती है, तो जमा राशि मैच्योर हो जाती है और आपको ब्याज सहित वापस कर दी जाती है। आपके पास संचयी (क्यूमैलेटिव) या गैर-संचयी (नॉन-क्यूमैलेटिव) एफडी हो सकती है। संचयी ब्याज एफडी में, आपको मैच्योरिटी पर मूलधन और ब्याज मिलता है। गैर-संचयी एफडी में, आपके पास नियमित अंतराल पर, यानी मासिक, तिमाही, आदि पर ब्याज प्राप्त करने का विकल्प होता है। (FD and RD Difference)

रेकरिंग डिपॉजिट भी निश्चित ब्याज और निश्चित अवधि वाला मासिक बचत और निवेश ऑप्शन है। एफडी की तरह, आरडी भी आपको पूरे कार्यकाल के लिए वही ब्याज देती हैं, जो पहले से बैंक या फाइनेंस कंपनी ऑफर कर रही होती है। हालांकि, एफडी के विपरीत, आरडी जमाकर्ता को किश्तों में बचत करने की सुविधा मिलती है, यानी आपके बैंक खाते से हर महीने एक निश्चित राशि काट ली जाती है। इसमें एफडी के उलट एक साथ पैसा नहीं जमा कराना होता। (FD and RD Difference)

मान लीजिए कि आप एक साथ एफडी में 6 लाख रु का निवेश करते हैं। वहीं कोई अन्य व्यक्ति हर महीने 10000 रु आरडी में जमा कराता है। एफडी और आरडी की अवधि 5 साल है। ऐसे में आरडी कराने वाला व्यक्ति भी कुल 5 साल में टोटल 6 लाख रु का निवेश करेगा। अब आपकी निवेश अवधि और राशि एक समान है। मान लीजिए दोनों को 7 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है। मगर कैल्कुलेटर के अनुसार आपको एफडी में मैच्योरिटी पर 848867 रु मिलेंगे, जबकि आरडी वाला व्यक्ति केवल 719328 रु प्राप्त करेगा। जाहिर सी बात है एफडी ज्यादा वाली है। (FD and RD Difference)

देखिए एफडी में आपने पहले दिन एक बार में मोटी रकम लगा दी। उसी पर आपको सालाना ब्याज मिलेगा। जबकि आरडी में पहले महीने 10000 रु मिले तो उसी पर ब्याज की गणना होगी। इसी तरह आरडी में एक बड़ी तैयार होने में समय लगेगा, जबकि एफडी में आपको शुरुआत से पूरी राशि पर ब्याज मिलेगा। इसलिए एफडी बेहतर है।

आरडी उनके लिए बेहतर है जो एक साथ बड़ी रकम निवेश नहीं कर सकते और म्यूचअल फंड में जोखिम नहीं लेना चाहते। वे आरडी में हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम जमा कर सकते हैं। इससे उनका फ्यूचर सेफ हो सकता है। इमरजेंसी फंड तैयार हो सकता है। यदि आप 5-7 हजार रु हर महीने जमा करें तो 20 साल बाद एक बहुत बड़ा फंड तैयार हो जाएगा। (FD and RD Difference)