आस्था वह शक्ति है, जिसमे दया,धर्म व मानवता का संचार कूट- कूट कर भरा होता है,पढ़े इसे जरूर.

Faith is that power, in which the communication of kindness, religion and humanity

आस्था वह शक्ति है, जिसमे दया,धर्म व मानवता का संचार कूट- कूट कर भरा होता है,पढ़े इसे जरूर.
आस्था वह शक्ति है, जिसमे दया,धर्म व मानवता का संचार कूट- कूट कर भरा होता है,पढ़े इसे जरूर.

NBL, 19/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. RAIPUR CG: Faith is that power, in which the communication of kindness, religion and humanity is filled with code, definitely read it.

वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का पतन तेजी से हो रहा है। लोगों में ईश्वर के प्रति आस्था का अभाव बढ़ता जा रहा है। यही नहीं,मनुष्य-मनुष्य के बीच अविश्वास की खाई चौड़ी होती जा रही है। इस समस्या के कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं। पहला कारण तो यही कि लोगों में चरित्रहीनता बढ़ी है, पढ़े विस्तार से... 

दूसरा नैतिकता घटी है। तीसरा कारण यह है कि लोगों का ईश्वर के प्रति विश्वास घटा है। संस्कारों के अभाव में नैतिकता का स्तर गिरना स्वाभाविक है। नीति से गिरा हुआ समाज कभी उन्नति नहीं कर सकता। आज के दिखावे के युग में आयोजन तो बहुत हो रहे हैं, किंतु उनके मानवीय सरोकार नहीं हैं। इसीलिए इन आयोजनों से कोई सामूहिक हित नहीं होता।

अध्यात्म के बिना भौतिक उत्थान का कोई महत्व नहीं है। मन की पवित्रता के बिना तन की पवित्रता संभव नहीं है। हृदय के पवित्र भाव ही वाच् रूप में भक्ति, सरलता और आचरण के रूप में प्रकट होते हैं, किंतु इस आचरण के अभाव में सर्वत्र अराजकता दिखाई देती है। जीवन से सुख-शांति और सरलता मानो विदा हो चुकी है। ऐसे में परमात्मा का आधार ही सुख व आनंद प्राप्ति का कारण है। इस संदर्भ में गुरुनानक की वाणी अत्यंत सार्थक है-'नानक दुखिया सब संसार, सुखी वही जो एक अधार।'

परमात्मा की अनुभूति हमारे कल्याण का कारण है। इसलिए जीवन में ईश्वर के प्रति आस्था रखते हुए मानवीय नैतिक मूल्यों पर अमल करना चाहिए। अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनसे आस्था, नीति, चरित्र, भक्ति और अध्यात्म की महिमा प्रमाणित हो जाती है। पांडवों की जीत नीतिमार्ग की जीत है।

तमाम संकटों के बावजूद वे विजयश्री प्राप्त करने में सफल रहे। शिवाजी और राणाप्रताप के चरित्र हमारी धरोहर हैं। वे न केवल वीरता के प्रतीक थे, बल्कि न्याय और नीति के अनुयायी थे। शत्रु तक उनके चरित्र और व्यवहार के कायल थे। ध्रुव और प्रच्चद ईश्वर भक्ति के उदाहरण हैं। आचार्य शंकर, रामानुज आदि अध्यात्म के प्रतीक हैं। ईश्वर के प्रति आस्था के बल पर ही उन्होंने मनुष्यमात्र की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया।

औरंगजेब भी आस्था दिखाई, लेकिन गलत तरीके से उसने भी अपने मुस्लिम धर्म के लिए अडिग व कट्टररता दिखाई लेकिन हिन्दू धर्म के इतिहास व धरोहरों को नुकशान पहुँचाकर लेकिन आज उनकी सम्मान नहीं अपमान हो रही है, जिसके दंश वर्तमान मुस्लिम समुदाय को झेलना पड़ रहा है।

जबकि भारत मे मुस्लिम मुगल शासकों ने भी एक से बढ़कर एक कलाकृति व अद्भुत महलो व मस्जिदो का निर्माण करवाये जो अपने आप मे रहस्यमयी है, जो आज के लोग उनके इस अजुबे कारनामो को देखते रह जाते हैं। और बहुत से मुगल बादशाहो के नाम भारत के सर्व धर्म के लोग बड़ी अदब व सम्मान के साथ लेते हैं। 

इन मुगल मुस्लिम शासकों के गलत मानसिकता व गलत नीतियों के कारण आज उनके अवहैलना हो रही है, और उनके बनाये धरोहरों को शक के नजरो से देखा जा रहा है, क्योकी वह हिन्दू धर्म को नुकशान पहुँचाकर और इनके मंदिर व महलो के कलाकृति व इनके देवी देवताओं को तोड़कर अपना मुस्लिम धर्म को इसी मंदिर व महलो मे स्थापित किया जो सरासर गलत था, जबकि भारत बहुत विशाल देश है और विशाल भूमि में कही भी स्थापित करता तो आज लड़ने व मरने का नौबत नहीं आती आज ज्ञानवापि मस्जिद मे फौवाहरे व शिवलिंग की विवाद पैदा नहीं होते, 

यही है आस्था की दुरूपयोग करना है, यही है मानवता को चोट पहुँचाना और यही है दया व धर्म की कमी के कारण अन्य धर्म समाज को नुकशान पहुँचाना और यही आस्था की कमी मुगल मुस्लिम बादशाहों मे था, और बहुत से लोगों मे आज भी है, आस्था की कमी.