Edible Oil Price: खाने के लगभग सभी ऑयल हुए सस्ते, जानिए अभी क्या है लेटेस्ट रेट....
Edible Oil Price: Almost all edible oils have become cheap, know what is the latest rate now.... Edible Oil Price: खाने के लगभग सभी ऑयल हुए सस्ते, जानिए अभी क्या है लेटेस्ट रेट....




Edible Oil Price :
नया भारत डेस्क : देश में आयातित तेलों के दाम में भारी गिरावट रहने के बीच देशी तेल तिलहन के भाव भी दवाब में रहे. सब्जी, दाल में अगर तेल का तड़का ही न हो तो वो बेस्वाद हो जाती है. रसोई में सबसे ज्यादा तेल की जरूरत होती है. ऐसे में अगर तेल के दाम बढ़ जाए तो गृहणी की टेंंशन डबल हो जाती है. लेकिन आपको बता दें कि मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के बीच दिल्ली तेल तिलहन बाजार में गुरुवार को मूंगफली तेल तिलहन को छोड़कर बाकी लगभग सभी खाद्य तेल तिलहनों में गिरावट आई. मलेशिया एक्सचेंज में फिलहाल लगभग दो प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात बगैर घट बढ़ के साथ बंद हुआ था और फिलहाल यहां यही रुख बरकरार है. (Edible Oil Price)
क्यों आई सरसों के तेल में गिरावट?
बाजार सूत्रों ने कहा कि पिछले मौसम में सरसों उत्पादन 25 फीसदी बढ़ा था और अप्रैल, मई और जून 2022 में विदेशी तेलों की महंगाई के दौरान सरसों तेल के अलावा सरसों का रिफाइंड बनाए जाने के बावजूद इन तेलों की कीमत विदेशी आयातित तेलों से लगभग 20 रुपये किलो सस्ती थी.
उसके बाद जून-जुलाई में जब विदेशी तेलों की कीमतें टूटना शुरू हुईं, उसके बाद सरसों की खपत कम होती चली गई. हालात ऐसे हैं कि सस्ते आयातित तेलों के सामने महंगा बैठने की वजह से सरसों खप नहीं रहा और इसी वजह से इसके तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट है. ठीक यही हाल सोयाबीन का भी है. (Edible Oil Price)
सरसों का स्टॉक घटा :
सस्ते आयातित तेलों के आगे सरसों की खपत नहीं होने से पिछले साल का बचा हुआ सरसों का स्टॉक सिर्फ एक लाख टन रह गया था. इससे पहले आयातित तेलों के मुकाबले सरसों तेल सस्ता था. लेकिन इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के हिसाब से आयातित तेल के मूल्य से सरसों 25-30 रुपये महंगा बैठेगा. अब सवाल यह है कि आने वाली फसल बाजार में खपेगी कहां. सरसों तेल उद्योग के सामने दिक्कत यह है कि किसान सस्ते में बेचने को राजी नहीं और पेराई कर भी ली जाये तो सस्ते आयातित तेल के सामने यह बिकेगा कैसे. (Edible Oil Price)
सूत्रों ने कहा कि आयातित तेलों का सस्ता भाव बना रहा तो अगले साल देश में 60-70 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा रह जाएगा. सरसों का रिफाइंड भी नहीं बन पाएगा और सोयाबीन का भी यही हाल होने की पूरी संभावना हो सकती है. इससे तिलहन बुवाई पर उल्टा असर पड़ सकता है. (Edible Oil Price)