BIG CG ब्रेकिंग: डाॅक्टर की छुटटी..... शिशु रोग विशेषज्ञ के क्लीनिक में भी लगा ताला…. सरकारी अस्पताल के कोरोना वैक्सीन का हो रहा था ऐसे इस्तमाल.... निजी क्लीनिक में ऐसे ऐंठ रहा था 800 से 1000 रुपये.... डॉक्टर के कारनामे जान उड़ जाएंगे होश......




डेस्क :- कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी का मामला जैसे ही प्रकाश में आया उसके बाद उसपर त्वरित कार्यवाही करते हुए कलेक्टर कोरबा ने जिला अस्पताल में संविदा में नियुक्त डॉ अशोक मखीजा की छुट्टी कर दी. जिसके बाद आम जनमानस में और सोशल मीडिया में इस फैसले की जमकर तारीफ देखने को मिली.
लोगों ने फैसले का स्वागत किया है और लगातार प्रशासनिक कसावट और त्वरित फैसले को लेकर नवनियुक्त कलेक्टर की प्रशासनिक दक्षता की जमकर तारीफ की है.
विदित हो कि सरकारी कोरोना वैक्सीन एक निजी क्लीनिक में लगाए जाने को लेकर मामला प्रकाश में आने के बाद उसपर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कलेक्टर रानू साहू ने कल 24 घंटे के भीतर मामले की जांच के आदेश दिए,जिसके बाद एसडीएम सुनील नायक मामले की जांच करने जिला अस्पताल पहुंचे. आज उनके द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर कोरबा की बड़ी कार्यवाही दोषी डॉक्टर के विरुद्ध देखने को मिली है. जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर मखीजा के कदाचरण और शासकीय सेवा संहिता के विरुद्ध कार्यशैली को देखते हुए कलेक्टर ने जन भावनाओं के अनुरूप आज रविवार के दिन तत्काल प्रभाव से कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी करने वाले डॉक्टर मखीजा की डीएमएफ की सेवाएं समाप्त कर दी,साथ ही प्रभावी कार्यवाही करते हुए उनका क्लीनिक भी सील कर दिया गया है.
क्या कुछ हुआ पिछले 24 घंटे में :
सरकारी कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी को लेकर मामला उजागर होने के बाद कलेक्टर के आदेशानुसार एसडीएम सुनील नायक शनिवार की सुबह से सीएमएचओं कार्यालय में डेरा डालकर दोषी डाॅक्टर अशोक माखीजा सहित स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार लोग़ों का बयान दर्ज किया गया था। देर शाम एसडीएम ने जांच रिपोर्ट कलेक्टर रानू साहू के समक्ष प्रस्तुत किया। जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए कलेक्टर रानू साहू ने आज रविवार को छुटटी के दिन ही दोषी डाॅक्टर अशोक मखीजा की डीएमएफ के तहत सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया गया, वहीं डाॅ.माखीजा बगैर लाईसेंस के ही प्राईवेट क्लीनिक का संचालन कर रहे थे, जिसे तत्काल प्रभाव से बंद कराने का आदेश दिया गया है। सरकारी वैक्सीन की कालाबाजारी निजी क्लीनिक के जरिये किये जाने का खुलासा होने के बाद अब भी स्वास्थ विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।
डॉ अशोक मखीजा ने नहीं बताए सोर्स :
मामले का खुलासा होने के बाद जांच अधिकारी एसडीएम सुनील नायक दोषी डाॅक्टर अशोक माखिजा का बयान दर्ज करते वक्त कई बार वैक्सीन कहा से मिले इस संबंध में जानकारी चाही। लेकिन डाॅ.माखीजा ने अपने सोर्स नही बताये कि आखिर किसके माध्यम से सरकारी वैक्सीन उनके निजी क्लीनिक तक पहुंचते थे। उनका हर बार यहीं कहना था कि वे बचे हुए वैक्सीन को अपने क्लीनिक में लाकर लगाया करते थे, जबकि पिछले 2 महीने का रिकार्ड देखें तो जिले के किसी भी केंद्र में वैक्सीन बच ही नहीं रही है, उल्टे लोगों को वैक्सीन खत्म होने के कारण वापस लौटना पड़ रहा था।
सवाल जो अभी जिंदा है :
कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी को लेकर जहां शहरवासियों का गुस्सा उबाल मार रहा था वहीं 24 घंटे के भीतर दोषी डॉक्टर के विरुद्ध जन आकांक्षाओं के अनुरूप नवनियुक्त कलेक्टर की कार्यवाही ने लोगों का दिल जीत लिया. लेकिन इस कार्यवाही के साथ मामले की इतिश्री हो गई यह कहना गलत है ! जब तक इन सवालों का जवाब नहीं मिल जाता की केंद्र और राज्य शासन की महत्वकांक्षी अभियान जीवनदायिनी वैक्सीन सरकारी अस्पतालों से निकलकर निजी अस्पतालों तक कैसे पहुंची ? आखिर कौन सा सिंडिकेट शहर में कोरोना वैक्सीन और जीवनदायिनी दवाओं की कालाबाजारी में संलिप्त है?