सहयोग व्यक्ति की जन्मजात आवश्यकता है,उसका अस्तित्व, विकास तथा जीवन सहयोग पर निर्भर है।

Cooperation is an innate need of a person,

सहयोग व्यक्ति की जन्मजात आवश्यकता है,उसका अस्तित्व, विकास तथा जीवन सहयोग पर निर्भर है।
सहयोग व्यक्ति की जन्मजात आवश्यकता है,उसका अस्तित्व, विकास तथा जीवन सहयोग पर निर्भर है।

NBL, 01/010/2022, Lokeshwer Prasad Verma, Cooperation is an innate need of a person, his survival, development and life depend on cooperation.

सहयोग व्यक्ति की जन्मजात आवश्यकता है। उसका अस्तित्व, विकास तथा जीवन सहयोग पर निर्भर है, पढ़े आगे विस्तार से.  

भूख व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है, इसकी संतुष्टि के लिए उसे किन-किन व्यक्तियों से सम्पर्क स्थापित करना पड़ता है, यह सभी जानते हैं। इसी प्रकार उसकी बहुत-सी आवश्यकतायें हैं जिनकी संतुष्टि के लिए दूसरों का सहयोग सहयोग प्राप्त करना आवश्यक है।

मानव समाज में आज भी कई ऐसे लोग भरे पड़े है, जो अति गरीब है, जिनके पास न ढंग से घर ( मकान) है ना ही अच्छे वस्त्र है, ना ही अच्छे खाने पीने का स्वक्छ वस्तु है, जबकि कई ऐसे लोग दिन हिन होते हुए भी, कई प्रकार के गुणों से भरमार है, जो मानव समाज के कल्याण के लिए वरदान साबित हो सकते हैं, लेकिन उनके उपर कोई ध्यान देने वाले व उन लोगों के लिए कोई सहयोग है, जिसके माध्यम से उभर सके और उनके गुण कलाओ का उत्थान हो सके और उनके अपने जीवन को नई दिशा दे मिल सके, जो समाज के काम आ सके। यह भी देश विकास के लिए बेहद जरूरी है। कई ऐसे बहुत से लोग वर्ग है, जो समाज व सरकार के उन तक मूल सहयोग न होने के कारण वह लोग आज भी दबे कुचले पड़े हुए है इस धरती पर, जबकि सही विकास देश में इनके उत्थान से ही होगा, अब देश विकास सही मायने में कर रहे हैं, ऐसा एहसास देश के लोगों को होगा।

सर्व धर्म समाज के लोगों का विकास ही विकास है.. 

       सहयोग का महत्व... 

मानव जीवन की सुरक्षा, उन्नति तथा विकास के लिए सहयोग आवश्यक प्रक्रिया है। इसका महत्व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हैं।

1. सामाजिक क्षेत्र सहयोग का महत्व.. 

1. सहयोग से सामाजिक गुण विकसित होते हैं। 

2. व्यवहार करना सीखता है। 

3. सामाजिक सम्बन्धों का विकास होता है। 

4. सामाजिक व्यवस्था बनी रहती है।

5. सामजिक संगठन कार्य करने में सक्षम होते है

         2. मनोवैज्ञानिक क्षेत्र सहयोग का महत्व... 

1.व्यक्तित्व का विकास होता है। 

2.मनोवृत्तियाँ विकसित होती हैं। 

3. निर्णय करने की क्षमता आती है। 

4.सांवेगिक पक्ष दृढ़ होता है। 

5.प्रत्यक्षीकरण उचित दिशा में होता है। 

6. समस्याओं का समाधान करना सीखता है। 

     3. सांस्कृतिक क्षेत्र सहयोग का महत्व.... 

1. संस्कृति का विकास होता है। 

2. संस्कृति की रक्षा होती है। 

3. सांस्कृतिक परिवर्तन सहयोग पर निर्भर है। 

4. सांस्कृतिक गुण सहयोग से आते है। 

     4. शैक्षिक क्षेत्र सहयोग का महत्व... 

1. सभी प्रकार का सीखना सहयोग पर निर्भर है। 

2. शैक्षणिक उन्नति का आधार सहयोग है। 

 3. अर्जित ज्ञान की रक्षा सहयोग पर निर्भर है। 

         5. आर्थिक क्षेत्र सहयोग का महत्व..... 

1. आवश्यकताओं की पूर्ति सहयोग ही कर सकता है। 

2. आर्थिक विकास सहयोग पर निर्भर है।

    सहयोग के प्रकार..... 

सहयोग कितने प्रकार के होते हैं? ग्रीन ने तीन प्रकार के सहयोग का वर्णन किया है :

1. प्राथमिक सहयोग 

2. द्वितीयक सहयोग 

3. तृतीयक सहयोग 

मैकाइवर तथा पेज ने सहयोग के दो प्रकार बताये हैं :

1. प्रत्यक्ष सहयोग 

2. परोक्ष सहयोग 

इन सहयोग के प्रकारों को वही विशेषता है जो प्राथमिक तथा द्वितीयक सहयोग की है।

     1. प्राथमिक सहयोग... 

1. प्राथमिक सम्बन्ध होते हैं।

2. प्राथमिक समूहों में पाया जाता है।

3. व्यक्ति तथा समूह के स्वार्थों में कोई भिन्नता नहीं होती हैं।

4. त्याग की भावना प्रधान होती है।

5. परिवार तथा मित्र मंडली, इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

         2. द्वितीयक सहयोग... 

1. यह जटिल समाजों में पाया जाता है।

2. औपचारिकता अधिक होती है।

3. व्यक्तिगत हितों की प्रधानता होती है।

4. स्कूल, आफिस, कारखाने आदि में द्वितीयक सहयोग पाया जाता है।

         3. तृतीयक सहयोग... 

1. उद्देश्य प्राप्ति तक सहयोग किया जाता है।

2. लक्ष्य बिल्कुल अस्थायी होता है।

3. अवसर की प्रधानता होती है।

4. चुनाव जीतने के लिए भिन्न पार्टियों में सहयोग या लड़ाई के समय विभिन्न पार्टियों में सहयोग तृतीयक सहयोग होता है।