CG - दूसरी महिला ने मांगी माफी उसका नाम प्रकरण से हटाया गया...




दूसरी महिला ने मांगी माफी उसका नाम प्रकरण से हटाया गया ।
आवेदिका को मिले 2.5 लाख रूपये, उभयपक्ष सहमती से तालक का आवेदन न्यायालय में पेश किया।
मृत पिता का हिस्सा पाने बेटी कर सकती है दावा ।
न्यायालय में मामले का निराकरण होने के बाद आयोग में पुनः शिकायत ना करें ।
महासमुंद : को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज जिला पंचायत सभा कक्ष महासमुंद में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर में 266 वीं एवं जिला स्तर में 8 वीं नम्बर की सुनवाई हुई। महासमुंद जिला की आज की जनसुनवाई में कुल 25 प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गये थे।
आज के सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका के पति के मृत्यु 2017 में हुई थी उस समय आवेदिका की पुत्री 7 वर्ष की थी वर्तमान में वह 14 वर्ष की है। आवेदिका के ससुर की मृत्यु 2021 हुई थी जो नापतौल विभाग में इंस्पेक्टर के पद से रिटायर्ड हुये थे। सभी अनावेदकपक्ष के संयुक्त सम्पत्ति की जमीन ओवर ब्रीज में निकली जिनका राशि 33 लाख रूपये थी ऐसा आवेदिका का कथन है।
आवेदिका के पति कुल 4 भाई बहन है और उनकी एक मात्र पुत्री है उक्त राशि 33 लाख रूपये में से उन्हें कोई राशि नहीं मिली इस बजह से उन्होंने यह आवेदन लगया है। अनावेदक पक्ष ने यह बताया कि ओवरव्रीज निर्माण में मिला हरजाना राशि 33 लाख रूपये कुल 5 हिस्सों में बटी जिनमें एक आवेदिका के समुर है जो उनकी मास के पास ही है।
आवेदिका को समझाइस दिया गया कि अनावेदिका क्रमांक 1 जो कि बुजूर्ग महिला है उनके जीवन काल में उनसे हिस्सा मांगने के लिए आवेदिका को दिवानी न्यायालय के माध्यम से कार्यवाही करनी चाहिए। इसके लिए उसे अपने ससुर के नाम पर कितनी सम्पति है उनका ब्यौरा निकलवाकर उसमें बेटी को हिस्सा दिलाने हेतु दीवानी न्यायालय में प्रकरण दर्ज करा सकती है। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया है।
अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने पति से एकमुश्त ढाई लाख रूपये भरण पोषण की मांग किया था जिसके बाद उनकी सहमति से न्यायालय में तलाक होनी थी। पूर्व सुनवाई में आवेदिका ने राशि दो लाख तीस हजार रूपये प्राप्त कर लिये थे। आज सुनवाई में आवेदिका ने बताया कि सहमति से तलाक का आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत हो चुका है जिसकी अनावेदक से दूरभाष पर चर्चा कर पुष्टि की गई तत्पश्चात शेष राशि 20 हजार रूपये आवेदिका को देकर प्रकरण नस्तीबद्ध किया।
प्रकरण में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। एक को छोड़कर बाकी सभी की जमानत हो चुकी है। एक व्यक्ति के गिरफतारी बची है उसके बाद प्रकरण न्यायालय में चली जाएगी इस बात की आवेदिका को समझइस दी जाकर आवेदिका के संतुष्टि में प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
प्रकरण में आवेदिका जो कि स्वयं शा. स्कूल में शिक्षिका है व अनावेदक क्रमांक 1 भी मिडिल स्कूल में शिक्षक है दोनों की एक 11 वर्षीय पुत्र है। आवेदिका ने अनावेदक क्रमांक 2 को इसमें पक्षकार बनाया था कि उसके पति अनावेदक क्रमांक 1 व 2 के मोबाईल पर मैसेज व अम्लील तस्वीरे थी जिस आधार पर अनावेदक 2 को आवेदिका ने पक्षकार बनाया है।
सुनवाई के दौरान अनावेदक 2 ने बताया कि डेड़साल पहले अनावेदक 2 ने आवेदिका से माफी मांग लिया है व उसका अब अनावेदक 1 से कोई बातचीत, मेलमिलाप या संबंध नहीं है। इस बात की पुष्टि आवेदिका द्वारा भी की गई। अनावेदक 1 से पूछे जाने पर वह अनावेदक 2 के कथनों का समर्थन नहीं करता है फिर उसने स्वीकार किया कि उन दोनों के बीच जो संबंध थे वह उसने भी समाप्त कर दिया है और अब देनों अनावेदक गणों का आपस में कोई मेलमिलाप या संबंध वाकी नहीं है।
इस स्तर पर अनावेदक 2 के आधार कार्ड की प्रति अभिलेख में संलग्गू की गई। उभय पक्षों के बीच अनावेदक 2 ने संबंध में भविष्य में कोई विवाद निर्मित होने पर पुनः बुलाया जा सकेगा इस निर्देश के साथ अनावेदक 2 का नाम इस प्रकरण से अस्थायी रूप से हटाया जाता है। दोनों पक्षों को एक विस्तृत काउंसलिंग की आवश्यकता है अतः प्रकरण रायपुर स्थानांतरित किया जाता है। काउंसलिंग रायपुर कर्यालय में की जावेगी उसके बाद प्रकरण में आगे कि कार्यवाही की जावेगी।
प्रकरण में आवेदिका का मात माह का बेटा है व अनावेदक 1 उसका पति है दोनों पक्षो को समझाईश दिये जाने पर साथ रहने का प्रयास कराया गया किन्तु आवेदिका पति साथ नहीं रहना चाहती वह तलाक लेना चाहती है। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
आवेदिका ने अपने आवेदन संक्षिप्त रूप से बनाया है न कोई दस्तावेज न कोई साक्ष्य है, अनावेदक पक्ष के पास भी कोई दस्तावेज नहीं है। अतः दोनों पक्षों को 15 दिवस के भीतर रायपुर आयोग कार्यालय में समस्त दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिये।
आवेदिका ने अनावेदकगण के विरूद्ध एसडीएम कोर्ट पिथौरा में अपने पुत्र की कस्टडी के लिए आवेदन लगाया है। एसडीएम ने बच्चे की कस्टडी अनावेदकगणों को दिया। इसलिए आवेदिका ने अनावेदकगण 1,6,5,7,4 के खिलाफ थाना मलीहा सारंगगड बिलाईगढ़ में एफआईआर करा चुकी है। दोनों प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। इस स्तर पर आवेदिका को समझाईश दिया गया कि माननीय न्यायालय में अपने अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होकर अनावेदकगणों को सजा दिलाने हेतु कार्यवाही करें। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।