CG - गरीब बच्चे निजी स्कूलों में आरटीई के तहत निशुल्क पढ़ रहे हैं ,मगर हर साल बच्चो को चुपचाप बाहर कर रहे प्राइवेट स्कूल संचालक - समीर खान




गरीब बच्चे निजी स्कूलों में आरटीई के तहत निशुल्क पढ़ रहे हैं ,मगर हर साल बच्चो को चुपचाप बाहर कर रहे प्राइवेट स्कूल संचालक - समीर खान
जगदलपुर : शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब के बच्चे निशुल्क प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं मगर इधर प्राइवेट स्कूल संचालको द्वारा उन्हें स्कूल से निकालने की बड़ी साजिश रच के निकालने का मामला सभी स्कूल में चल रहे है।बस्तर जिला के निजी स्कूलों में RTE के तहत पढ़ रहे बच्चो को स्कूल से निकाला जा रहा है जबकि RTE Act 2009 के धारा 16 में है की (किसी विद्यालय में प्रविष्ट बालक विद्यालय से प्राथमिक शिक्षा पूरा किये जाने तक निष्कासित नहीं किया जाएगा) तो इस धारा के तहत स्कूल से बच्चो को निकलने पर कार्यवाही की मांग आज आम आदमी पार्टी ने की।
आज सोमवार को आम आदमी पार्टी के नेता समीर खान जी द्वारा बस्तर कलेक्टर से शिकायत कर जांच समिति बनाकर जांच कर प्राइवेट स्कूल पर कार्यवाही की मांग किया गया इस दौरान समीर खान जी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी की प्राइवेट स्कूल संचालक आरटीई के तहत पढ़ रहे रहे बच्चो को निकालने की बड़ी साजिश कर रहे हैं आरटीई के तहत पढ़ रहे हैं बच्चो कई स्कूल तो स्कूल नहीं आते कह कर निकालते हैं या तो उन्हे फेल कर निकालती है गरीबों बच्चे को अलग से बैठा कर या पीछे में बैठाया जाता हैं उनके पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया जाता हैं आज बस्तर कलेक्टर एवम जिला शिक्षा अधिकारी को मामला के गंभीरता देखते हुए शिकायत कर जांच समिति बनाने की मांग किया गया।
सरकारी एजेंसियां शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के नाम पर हर साल जोर-शोर से और मेले लगाकर प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों का दाखिला तो करवा रही हैं, लेकिन इसके बाद कोई यह पता लगाने की कोशिश ही नहीं कर रहा है कि ऐसे बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ भी रहे हैं या नहीं। हर साल निजी स्कूलों से ऐसे सौ से ज्यादा बच्चे निकाल दिए जा रहे हैं। नियम नहीं है, फिर भी स्कूल उन्हें गैरहाजिर बताकर बाहर कर रहे हैं। कुछ स्कूलों की रणनीति ये है कि ऐसे बच्चों से स्कूल की हर एक्टिविटी और वस्तु के लिए इतने पैसे मंगाए जाएं कि वे त्रस्त होकर भाग निकलें। ऐसे तमाम बच्चे वापस सरकारी स्कूलों में लौट रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि आरटीई में दाखिला दिलाने वाली सरकारी एजेंसियों को गरीब बच्चों के प्राइवेट स्कूलों से बाहर होने की भनक तक नहीं लग रही है।
सरकारी एजेंसियां गरीब बच्चों को आरटीई से एडमिशन दिलाने के बाद उनकी फीस, किताबों का खर्च और ड्रेस भी मुफ्त दे रही हैं। यह इसलिए ताकि उन्हें निजी स्कूलों में एक भी पैसे अतिरिक्त खर्च नहीं करने पड़ें। प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करा इस साल ही सरकारीशिक्षाविदों के मुताबिक आरटीई से एडमिशन लेने वाले बच्चों को बाहर निकालने की संख्या प्रदेश स्तर पर हजारों में है। लेकिन इस तरफ अब तक सरकारी एजेंसियां ध्यान ही नहीं दे रही हैं। वे एडमिशन करने, फीस जमा करने और ड्रेस-किताबें देकर ही संतुष्ट हैं।
ज्यादातर प्राइवेट स्कूल आरटीई से आए बच्चों को अधिकतम एक साल ही रख रहे हैं। इसके बाद इनमें से कई को अनुपस्थित बता देते हैं और नोडल अफसरों को सूचित कर देते हैं कि बच्चे नहीं आ रहे हैं। नोडल अफसर भी सरकारी फाइलों की तरह यह सूची शिक्षा विभाग को भेज रहे हैं। जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं, उनके बारे में शिक्षा विभाग पता ही नहीं लगा रही हैं कि वे गए कहां ?
शासन हर साल बड़ी रकम खर्च कर रहा है। इसके बाद भी प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चो को स्कूल से बाहर निकल रहे हैं आम आदमी पार्टी ने जल्द करवाही करने की मांग की आज ज्ञापन देने गए लोकसभा अध्यक्ष समीर खान एवम हरिश. नगरनार सर्किल अध्यक्ष राकेश कश्यप.ब्लॉक अध्यक्ष जगदलपुर. महिला वेंकी पदाधिकारी मौजूद रहे..
..... बड़ी संख्या कार्यकर्ता गढ़ सामिल हुए...