Business Ideas :शुरू करें मोती की खेती सिर्फ 25 हज़ार रुपए में, होगी बंपर कमाई! सरकार देगी सब्सिडी....

Business Ideas: Start pearl farming in just 25 thousand rupees, there will be bumper earning! Government will give subsidy... Business Ideas :शुरू करें मोती की खेती सिर्फ 25 हज़ार रुपए में, होगी बंपर कमाई! सरकार देगी सब्सिडी....

Business Ideas :शुरू करें मोती की खेती सिर्फ 25 हज़ार रुपए में, होगी बंपर कमाई! सरकार देगी सब्सिडी....
Business Ideas :शुरू करें मोती की खेती सिर्फ 25 हज़ार रुपए में, होगी बंपर कमाई! सरकार देगी सब्सिडी....

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किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए खेती में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आपको बता दें कि पारंपरिक खेती किसान की आजीविका का मुख्य स्रोत है, लेकिन किसान भाई पारंपरिक खेती के अलावा व्यावसायिक खेती कर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। व्यावसायिक खेती में इन दिनों मोती की खेती में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इन दिनों भारत के लगभग सभी राज्यों में इसकी खेती पर काफी जोर दिया जा रहा हैं। यहां तक इसकी खेती के लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही हैं। राज्यों की इस सूची में राजस्थान सरकार भी शामिल है। मसलन, मोती की खेती करने वाले किसानों को राजस्थान सरकार 12.5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दे रही है। मोती की खेती इन दिनों अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। मोती की खेती से किसान की किस्मत भी चमक रही है। (Business Ideas) 

मोती की खेती शुरू करने से पहले मोती के बारे जानकारी :

पर्ल फार्मिंग सबसे आकर्षक एक्वा कल्चर व्यवसायों में से एक है और लगभग सभी राज्य की सरकार इसकी खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन इसकी खेती अपनाने से पहले यह जानना जरूरी है कि मोती क्या होता है। आपको बता दें कि दरअसल मोती एक प्राकृतिक रत्न है, जो घोंघे के सीप के घर के अंदर बनाया जाता है। इसके बनने के पीछे एक कहानी है। दरअसल जब घोंघा खाने के लिए सीप से अपना मुंह निकालता है, तो कुछ परजीवी उसके मुंह से चिपक भी जाते हैं, जो उसके साथ सीप के अंदर पहुंच जाते हैं। (Business Ideas) 

कृत्रिम तरीके से पैदा कर सकते हैं सुसंस्कृत मोती 

मोती की पैदावार किसान भाई कृत्रिम रूप से कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को एक तालाब बनाकर उसमें सीप डालना होता है। जिसके के लिए किसान को अच्छी किस्म के सीपों को तालाब में डालना होता हैं। दक्षिण भारत और बिहार के दरभंगा के सीप की क्वालिटी काफी अच्छी होती है। इन सीपों को बाजार से खरीदा जा सकता है। इसमें संवर्धित मोती का उत्पादन किया जा सकता है। मूल रूप से तीन प्रकार के मोती होते हैं। जिसमें प्राकृतिक, कृत्रिम और सुसंस्कृत मोती शामिल हैं। संवर्धित मोती वे हैं जिन्हें खेती करके तैयार किया जाता हैं। (Business Ideas) 

मोती की खेती पर सब्सिडी :

मत्स्य पालन विभाग ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए नीली क्रांति योजना में मोती पालन के लिए उप-घटक शामिल किया है। नीली क्रांति योजना के तहत मत्स्य विभाग से वित्तीय सहायता प्राप्त कर राज्यों में मोती की खेती को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्यों/केंन्द्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया था। मोती की मांग की तुलना में आपूर्ति में कमी के कारण इसकी कीमत अधिक है। नीली क्रांति योजना के तहत कई राज्यों ने मोती की खेती अपनाई है एवं सरकार से इसकी खेती पर सब्सिडी के रूप में वित्तीय सहायता भी प्राप्त करे रहे हैं। सरकार मोती की खेती के लिए 50 फीसदी तक की सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। जिसके तहत राज्य में मोती की खेती करने वाले किसानों को अधिकतम 12.50 लाख रुपये की सब्सिडी राशि मिल सकती है मोती की खेती की लागत 25 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है, जिसमें 50 प्रतिशत अनुदान प्राप्त किया जा सकता है। (Business Ideas) 

ऐसे  शुरू करें पर्ल फार्मिंग :

महज 25 हजार रूपये लगाकर इस बिजनेस को शुरू किया जा सकता है और हर महीने 3 लाख रूपये तक की कमाई कर सकते है।मोती की खेत के लिए एक तालाब की आवश्यकता होती है। इसमें सीप का अहम रोल है, मोती की खेती के लिए राज्य स्तर पर ट्रेनिंग भी दी जाती है। अगर तालाब नहीं है इसका इंतजाम भी करवाया जा सकता है। आपकी इन्वेस्टमेंट पर सरकार से 50 फीसदी तक सब्सिडी मिल सकती है। मोती की खेती शुरू करने के लिए आपको कुशल वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण लेना होता है। कई संस्थानों में सरकार खुद फ्री में इसकी ट्रेनिंग करवाती है। सरकारी संस्थान या फिर मछुआरों से सीप खरीदकर खेती का काम शुरू करें। सीप को तालाब के पानी में दो दिन के लिए रखते हैं। धूप और हवा लगने के बाद सीप का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती है। मांशपेशियां ढीली होने पर सीप की सर्जरी कर इसके अंदर सांचा डाल जाता है। सांचा जब सीप को चुभता है तो अंदर से एक पदार्थ निकलता है। थोड़े अंतराल के बाद सांचा मोती की शक्ल में तैयार हो जाता है। (Business Ideas) 

कैसे शुरू करें शुरुआत :

इसे शुरू करने के लिए कुशल वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण लेना होता है. कई संस्थानों में सरकार खुद फ्री में ट्रेनिंग करावाती है. सरकारी संस्थान या फिर मछुआरों से सीप खरीदकर खेती का काम शुरू करें. सीप को तालाब के पानी में दो दिन के लिए रखते हैं. धूप और हवा लगने के बाद सीप का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं. मांशपेशियां ढीली होने पर सीप की सर्जरी कर इसके अंदर सांचा डाल जाता है. सांचा जब सीप को चुभता है तो अंदर से एक पदार्थ निकलता है. थोड़े अंतराल के बाद सांचा मोती की शक्ल में तैयार हो जाता है. सांचे में कोई भी आकृति डालकर उसकी डिजाइन का आप मोती तैयार कर सकते हैं. डिजाइनर मोती की मांग बाज़ारों में ज्यादा है.(Business Ideas) 

CIFA से मिलेगी फ़्री ट्रेनिंग ?

इंडियन काउंसिल फ़ॉर एग्रीकल्‍चर रिसर्च के तहत एक नया विंग बनाया गया है। इस विंग का नाम CIFA यानी सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर है। ये फ़्री में मोती की खेती की ट्रेनिंग देता है। इसका मुख्यालय उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्‍वर में है। यहां पर कोई भी 15 दिन की ट्रेनिंग ले सकता है। आप चाहें तो इनके रीज़नल सेंटर्स भटिंडा, बेंगलुरू, रहारा और विजयवाड़ा से भी ट्रेनिंग ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए इनकी वेबसाइट पर संपर्क करें। मोती की खेती के लिए जितना ज़रूरी प्रशिक्षण है, उतना ही ज़रूरी उसका सही तरीके से रखरखाव करना भी है। (Business Ideas) 

मोती से होने वाली कमाई एवं लागत विशलेषण :

मोती की खेती में एक सीप को तैयार करने में करीब 25 से 35 रूपए का खर्च आता है। वहीं, एक सीप से 2 मोती तैयार होते हैं। एक मोती की कीमत 200 से 2000 रूपये तक है। अगर क्वॉलिटी अच्छी हुई तो एक मोती काफी अच्छे दाम तक मिल सकते हैं। जिसमें किसान एक बार इसे करने के कुछ समय बाद ही अपनी लागत निकाल लेते हैं। जिसके बाद यह मुनाफे का सौदा है। मोती की खेती के लिए एक एकड़ तालाब में करीब 25 हजार सीप डाले जो सकते हैं। इन 25 हजार सीप पर आपका करीब 8 लाख रूपए का निवेश होगा। इन सीप में से 50 प्रतिशत सीप भी ठीक निकलते हैं और उन्हें बाजार में लाया जाता है तो आसानी से 30 लाख रूपए तक की सालाना कमाई हो सकती है। (Business Ideas) 

मोती की खेती (Pearl farming) काफी दिलचस्प कारोबार है। शहरी इलाकों में तो इसे ज्यादा लोग जानते भी नहीं है। लेकिन, पिछले कुछ साल में इस पर फोकस बढ़ा है। गुजरात के इलाकों में इसकी खेती से कई किसान लखपति बन चुके हैं। वहीं, ओडिशा और बंगलुरु में भी इसका अच्छा स्कोप है। मोती की खेती में कमाई जबरदस्त है। मोती की खेती के लिए एक तालाब की जरूरत होगी। इसमें सीप का अहम रोल है। मोती की खेती के लिए राज्य स्तर पर ट्रेनिंग भी दी जाती है। अगर तालाब नहीं है तो इसका इंतजाम भी करवाया जा सकता है। (Business Ideas) 

मोती की खेती पर सब्सिडी का लाभ कैसे उठाएं :

आवेदन के लिए आपको आवश्यक अनुमति और तकनीकी जानकारी के दस्तावेजी साक्ष्य के साथ तकनीकी वित्तीय विवरण दर्शाते हुए स्व-निहित प्रस्ताव तैयार करना आवश्यक है। व्यक्तिगत किसान/लाभार्थी के लिए सरकारी वित्तीय सहायता 5 इकाइयों तक सीमित है। मछुआरे/मछुआरा सहकारी समितियों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सहकारी समितियों, महिला स्वयं सहायता समूहों आदि के लिए 50 इकाईयां जिनमें कम से कम 10 सदस्य हो। इसके बाद किसान राजस्थान की तरफ से तैयार किए राजकिसान साथी पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। (Business Ideas)