हल्की फुल्की बीमारी तकलीफ तो कोई भी दूर कर सकता है लेकिन आत्मा कल्याण हर कोई नहीं कर सकता...




हल्की फुल्की बीमारी तकलीफ तो कोई भी दूर कर सकता है लेकिन आत्मा कल्याण हर कोई नहीं कर सकता
देवी देवताओं का भोजन खुशबू (सुगंधी) प्रकाश आवाज है
शालिग्राम का पत्थर कब बढ़ने लगेगा
बीरभूम (पश्चिम बंगाल) : सभी गोपनीय भेद जानने वाले, आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ भौतिक लाभ के सरल उपाय बताने वाले, देवताओं को दुर्लभ मनुष्य शरीर का महत्त्व बताने वाले, आत्मा का कल्याण करने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 15 अप्रैल 2023 प्रातः श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बहुत से लोग शालिग्राम भगवान (ठाकुर) जी कहते हो, उनकी पूजा करते हैं। है क्या? वह पत्थर ही है। एक विशेष तरह का पत्थर है। इस पर वो धारी बनी रहती है। उसको पीने से पत्थर का, पृथ्वी का, पृथ्वी से निकला इक्कठा हुआ जो तत्व है, जैसे पानी को साफ कर दिया जाए तो वह डिसटिल वाटर हो जाता है ऐसे ही वह शरीर को तत्व पहुंचाता है तो कहते हो रोगनाशक है। तुलसी की पत्ती चढ़ाते हो, वह शुगर को कंट्रोल, बुखार को खत्म करती, सब में फायदा करती है। यह जो चीजें हैं तुलसी, दूब, बेल की पत्ती, चिडचिड़ा आदि इनका असर खत्म नहीं होता है। जल जाए, सड जाये, सूख जाए, इनका असर खत्म नहीं होता है। इसमें तत्व रहते हैं। उससे फायदा होता है। तो बहुत से लोग उस पत्थर को एक अलग डिब्बे में रखते हो, नहलाते, धुलाते हो, उसको पीते हो लेकिन वह बढ़ता नहीं है। जब तक उसको बाहर नहीं रखा जाएगा, जमीन में काफी दिन तक के लिए बाहर रख दो, हवा भी लगे, धरती तत्व मिले, ऊपर से आसमान का तत्व मिले। जिन पांच तत्वों से शरीर बना हुआ है वो उसको मिले तो वह बढ़ता है।
देवी-देवताओं का भोजन खुशबू (सुगंधी) प्रकाश आवाज है
महाराज ने 31 दिसंबर 2022 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि धान, गेहूं ,ज्वार, बाजरा ,मक्का, फल, फूल आदि मनुष्य का भोजन है। देवताओं का भोजन सुगंधी खुशबू। उनके ऊपर के जो लोक हैं उनका भोजन प्रकाश (रोशनी) है। उनको प्रकाश मिल जाए, उसी में वह जिंदा रहते हैं। उनके आगे के लोक में आवाज (साउंड/ध्वनि) भोजन है। वही उनको मिलता रहे तो उनका शरीर चलता रहता है। तो उनका भोजन अलग है और आपका भोजन अलग है। आपके अंदर रास्ता है प्रभु के पास जाने का, मुक्ति मोक्ष पाने का लेकिन उनके अंदर नहीं है। पुण्य क्षीणे मृत्यु लोके। जब पुण्य क्षीण हो जाता है फिर उनको इसी (मृत्युलोक) में आना पड़ता है।
भेषधारी साधु किसको कहते हैं
महाराज ने 20 अप्रैल 2023 सायं बीरभूम (पश्चिम बंगाल) में बताया कि भेषधारी साधु उसे कहते हैं जो बाल बढ़ा या मुंडवा लेते हैं, कपड़ा बदल लेते हैं, इधर-उधर घूमते रहते हैं, कहीं कोई चेला मिल जाए। कहीं बैठ जाते हैं। गांव के गंजेड़ी भंगेड़ीयों को इकट्ठा कर लेते हैं। वो उनके प्रचारक बन जाते हैं। उनसे उनका खर्चा चलता रहता है।
हल्की फुल्की बीमारी तकलीफ तो कोई भी दूर कर सकता है लेकिन आत्मा कल्याण हर कोई नहीं कर सकता
महाराज ने 20 अप्रैल 2023 सायं बीरभूम (पश्चिम बंगाल) में बताया कि जो थोड़ी बहुत भी सिद्धि प्राप्त कर लेता है, भूतों को वश में कर लेता है, वह भी दूसरों की मदद कर देता है। कोई चीज दे दिया, कोई चीज बता दिया, हल्की-फुल्की बीमारी तकलीफ को दूर कर दिया, यह काम तो वो लोग भी कर लेते हैं। लेकिन आत्म कल्याण का काम, आत्मा जो दुखी है, सुरत तू महादुखी हम जानी, यह काम वो नहीं कर पाते हैं। आप फोटो कागज पर छापने लग गए। फोटो, मूर्तियों में ताकत नहीं होती है। श्रद्धा और प्रेम का फल मिलता है। सन्तमत में गुरु का सबसे ऊंचा दर्जा होता है। गुरु का ध्यान कर प्यारे बिना इसके नहीं छूटना। सन्तमत में गुरु ही प्रमुख होते है।