मनचले ने बच्ची के होंठ पर 100 रुपये का नोट फेरा: 'क्यों खा रही हो इतना भाव'... कोर्ट ने माना, यौन उत्पीड़न... कोर्ट ने 1 साल के लिए भेजा जेल.....

नाबालिग मार्केट जा रही थी। एक शख्स ने उसे रोका और उसके साथ अभद्रता की. उसके होंठ पर नोट फेरा। कहा कि इतना भाव क्यों खा रही है? नाबालिग के साथ अभद्रता करने वाले शख्स को विशेष पॉक्सो एक्ट अदालत ने एक साल की कैद की सजा सुनाई है. पुलिस ने इस केस में शख्स को नाबालिग का शील भंग करना और उसका यौन उत्पीड़न करने का दोषी पाया. मामला मुंबई का है।

मनचले ने बच्ची के होंठ पर 100 रुपये का नोट फेरा: 'क्यों खा रही हो इतना भाव'... कोर्ट ने माना, यौन उत्पीड़न... कोर्ट ने 1 साल के लिए भेजा जेल.....
मनचले ने बच्ची के होंठ पर 100 रुपये का नोट फेरा: 'क्यों खा रही हो इतना भाव'... कोर्ट ने माना, यौन उत्पीड़न... कोर्ट ने 1 साल के लिए भेजा जेल.....

100 rupee note on minor girl lips, Court agreed sexual harassment, sent to jail for 1 year

Mumbai: नाबालिग मार्केट जा रही थी। एक शख्स ने उसे रोका और उसके साथ अभद्रता की. उसके होंठ पर नोट फेरा। कहा कि इतना भाव क्यों खा रही है? नाबालिग के साथ अभद्रता करने वाले शख्स को विशेष पॉक्सो एक्ट अदालत ने एक साल की कैद की सजा सुनाई है. पुलिस ने इस केस में शख्स को नाबालिग का शील भंग करना और उसका यौन उत्पीड़न करने का दोषी पाया. मामला मुंबई का है। 

शख्स ने एक नाबालिग के होठों पर 100 रुपये का नोट घुमाते हुए कहा था, 'मैं तुझे लाइक करता हूं. तू इतना भाव क्यों खा रही है'? 16 वर्षीय किशोरी ने कोर्ट को बताया कि 13 जुलाई 2017 की रात आठ बजे वह अपनी पड़ोसी के साथ बाजार गई थी. वहां एक शख्स ने उसका पीछा किया. रास्ते में उसे रोका और उसके पास आया. शख्स ने उसके होठों पर 100 रुपये का नोट घुमाया. आरोपी कॉलेज जाते समय उसका पीछा करता था. सीटी बजाता और कॉमेंट पास करता.

नाबालिग ने बताया कि जब उसने गुस्से में आरोपी की तरफ देखा तो उसने कहा 'तू ऐसे क्यों कर रही है, इतना भाव क्यों खा रही है'. उसके बाद मां-बेटी थाने पहुंचीं और शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. यहां तक कि उसे और उसकी मां को चाकू मारने की धमकी भी दी थी. 

32 साल के दोषी को सजा सुनाते हुए अदालत ने इस बात को ध्यान में रखा कि उसका परिवार उस पर निर्भर था और उसकी मां कैंसर की मरीज है. विशेष न्यायाधीश एससी जाधव ने कहा की यह अदालत का कर्तव्य है कि वह अपराध की गंभीरता और सजा की मांग को देखते हुए उचित सजा दे.