World tourism day :ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के कारण सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है सिरपुर...ईको टूरिज़्म के क्षेत्र में कोडार को मिल रही है अलग पहचान...यहां पर्यटकों की ट्रैकिंग का नया प्वाइंट...

World tourism day : Sirpur is the center of attraction for tourists due to its historical and archaeological importance 42वां विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा हैं। वर्ष 2022 में विश्व पर्यटन दिवस की थीम 'पर्यटन पर पुनर्विचार' (Rethinking Tourism) रखी गई है।

World tourism day :ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के कारण सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है सिरपुर...ईको टूरिज़्म के क्षेत्र में कोडार को मिल रही है अलग पहचान...यहां पर्यटकों की ट्रैकिंग का नया प्वाइंट...
World tourism day :ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के कारण सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है सिरपुर...ईको टूरिज़्म के क्षेत्र में कोडार को मिल रही है अलग पहचान...यहां पर्यटकों की ट्रैकिंग का नया प्वाइंट...

World tourism day : Sirpur is the center of attraction for tourists due to its historical and archaeological importance

रायपुर, 26 सितम्बर 2022/  27 सितंबर, दिन मंगलवार को 42वां विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा हैं। वर्ष 2022 में विश्व पर्यटन दिवस की थीम 'पर्यटन पर पुनर्विचार' (Rethinking Tourism) रखी गई है। विश्व पर्यटन दिवस मनाने की खासियत यह है कि पर्यटन दिवस के महत्व को समझाने और हर साल लोगों को विभिन्न तरीकों से जागरूक करने के लिए अलग-अलग थीम रखी जाती है, जिससे देश-विदेश के नागरिक पर्यटन से जुड़ने लगते हैं और वो दूसरे देश या जगह पर घूम-फिर कर रोमांचित होते है और अपनी खुशियों का इजहार करते हैं। 


   मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अगुवाई में पूरे छत्तीसगढ़ सहित महासमुंद ज़िले में भी पर्यटन को  बढ़ावा देने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर्यटकों की सुविधा में विस्तार करने के लिए मोटल्स और रिसोर्ट को लीज पर दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही समय-समय पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। 

 

   महासमुंद जिले में स्थित सिरपुर को राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय हेरिटेज के रूप में विकसित करने और ज्यादा पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल कटिबद्ध है। इसके लिए लगातार निर्माण एवं विकास कार्य भी किए जा रहे है। सिरपुर लगभग 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और जहां विस्तारित बौद्ध केन्द्र स्थापित है और सिरपुर शिव, वैष्णव, बौद्ध धर्मों का प्रमुख केन्द्र भी है। सिरपुर को डोंगरगढ़ और मैनपाट के टूरिज्म सर्किट से जोडऩे की पहल शुरू कर दी गई है। पर्यटन सर्किट से जुड़ जाने से इस ओर सैलानियों का ज़्यादा रूझान बढ़ेगा। 

  सिरपुर अपनी ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्ता के कारण लगातार आकर्षण का केंद्र बना रहा है। यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी। यह स्थल पवित्र महानदी के किनारे पर बसा हुआ है। सिरपुर में सांस्कृतिक व वास्तुकौशल की कला का अनुपम संग्रह हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल माह अप्रैल में सिरपुर बौद्ध महोत्सव में शामिल हुए थे। उन्होंने सिरपुर के विकास के लिए 213.43 लाख के कार्यों की घोषणा की। इनमें 25 लाख रुपए से भव्य स्वागत गेट का निर्माण, 73.15 लाख रुपए से सिरपुर मार्ग पर 04 तालाबों का सौंदर्यीकरण, 45.28 लाख रुपए से सिरपुर मार्ग पर 05 सुन्दर सुगंधित कोशल्या उपवन निर्माण, कोडार-पर्यटन (टैटिंग व बोटिंग) 31.76 लाख रुपए, कोडार जलाशय तट पर वृक्षारोपण 17.38 लाख रुपए से और सिरपुर के रायकेरा तालाब के लिए 30.86 लाख रुपए की लागत से बनाए गया है। मुख्यमंत्री की घोषणा अनुरूप अधिकांश काम पूरे हो गए। सैलानियों के लिए रायकेरा तालाब में बोटिंग महात्मागांधी की जयंती से शुरू हो गयी है । 

 

सिरपुर पहले से ही प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। वृक्षारोपण के ज़रिए इसे और भी हरा-भरा किया जा रहा है। पर्यटकों के विश्राम सुविधा के लिए पाँच सुगंधित फूलों वाली सुंदर कौशिल्या उपवन वाटिकाएं तैयार हो गई है। इन उपवनों में प्रतिदिन रामचरितमानस का पाठ, भजन कीर्तन स्थानीय मंडलियों द्वारा किया जा रहा है। वृक्षारोपण में बेर, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, करंज, आंवला आदि के पौधें शामिल किए गए है। ताकि ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ लोगों को जैव विविधता का ऐहसास भी हो। इस इलाके में राम वन गमन पथ में छह ग्राम पंचायतों को मुख्य केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें अमलोर, लंहगऱ, पीढ़ी, गढ़सिवनी, जोबा व अछोला शामिल है। सड़क के दोनों किनारों पर फलदार, छायादार पौधें लगाए जा रहे है।

    इसी प्रकार महासमुंद के बलिदानी वीर नारायण सिंह जलाशय कोडार में बोटिंग सुविधा के साथ कैंपिंग लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वन चेतना केंद्र कुहरी, इको पर्यटन कोडार जलाशय में विभिन्न विभागों के द्वारा सैलानियों के सुख-सुविधा के लिए अपने-अपने स्तर से विभिन्न सामग्रियां मुहैया कराई गयी है।
 
  इको पर्यटन केंद्र में 39 लाख की लागत से काम कराया गया है। कोडार जलाशय में नौका विहार के लिए बोटिंग की सुविधा सैलानियों को उपलब्ध है। वहीं कम दाम पर टैंट में ठहरने के इंतजाम भी किए गए हैं। फिलहाल चार टेंट लगाए गए है । एक टेंट में दो व्यक्तियों के सोने और आराम करने के लिए पर्याप्त जगह है। पर्यटकों और बच्चों के लिए क्रिकेट, वालीबाल, कैरम, शतरंज के साथ ही निशानेबाजी की सुविधा भी इस इको पर्यटन केंद्र में उपलब्ध है। कोडार जलाशय नेशनल हाईवे-53 से नजदीक होने के कारण आने-जाने वाले लोगों को यहां सुकून का अनुभव होता है।
 
    महासमुंद जिले के सरायपाली स्थित शिशुपाल पर्वत पर्यटकों की ट्रैकिंग का नया प्वाइंट बन गया है। इसी पहाड़ के ऊपर राजा शिशुपाल का महल हुआ करता था। जब राजा को अंग्रेजो ने घेर लिया तब राजा ने अपने घोड़े की आंख पर पट्टी बांधकर पहाड़ से छलांग लगा दी थी। इसी कारण इस पहाड़ को शिशुपाल पर्वत और यहां के झरने को घोड़ाधार जलप्रपात कहा जाता है। ये राजधानी रायपुर से करीब 157 किमी की दूरी पर और सरायपाली से 30 किमी की दूरी पर स्थित है।