क्या पीएम नरेंद्र मोदी भारत देश में फैली विक्षिप्त कुप्रथाओं और मानव धर्म जाति में फैले दलित समाज पर लगे अस्पृश्यता के दाग को मिटाएंगे, जो कि समस्त मानव ईश्वर का अंश है। मानव समाज सब एक ही है जो सदियों से कलंकित है।

Will PM Narendra Modi remove the deranged evi

क्या पीएम नरेंद्र मोदी भारत देश में फैली विक्षिप्त कुप्रथाओं और मानव धर्म जाति में फैले दलित समाज पर लगे अस्पृश्यता के दाग को मिटाएंगे, जो कि समस्त मानव ईश्वर का अंश है। मानव समाज सब एक ही है जो सदियों से कलंकित है।
क्या पीएम नरेंद्र मोदी भारत देश में फैली विक्षिप्त कुप्रथाओं और मानव धर्म जाति में फैले दलित समाज पर लगे अस्पृश्यता के दाग को मिटाएंगे, जो कि समस्त मानव ईश्वर का अंश है। मानव समाज सब एक ही है जो सदियों से कलंकित है।

NBL, 27/01/2022, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: Will PM Narendra Modi remove the deranged evil practices spread in the country of India and the stain of untouchability on the Dalit society spread in the human religion caste, which is a part of all human God. Human society is all the same which has been tarnished for centuries.

देश आजाद होनें के पहले, और देश आजाद होने के बाद भी देश के दलित समाज को आजादी नहीं मिल पाया, वह है उनके उपर अत्याचार, जो देश के उंची स्वर्ण समाज के उंची जाति के द्वारा किया गया और आज भी उनको नीच व निम्न श्रेणि के दर्जे में रखा गया है, उन दलित समाज को जो हैंआज भी देश के स्वर्ण समाज ऊँची जाति के लोग उनसे छुआछूत भेद भाव करते हैं,  इस प्रकार के निम्न सोच रखने के कारण अपने ही देश के दलित समुदाय  हिंदू धर्म से अलग थलग हो गया है, और अन्य धर्मो को अपना लिया है, उनके बावजूद भी दलित समाज को शांति व आजादी नहीं मिल पाया आज तक, न ही इनको कोई स्वर्ण समाज ऊँची जाति के लोग इनका साथ दिया, केवल और केवल राजनीति का एक हिस्सा बन कर रह गए है देश के अंदर। 

जो धर्म तुम्हे नीच मानता है, तुम उसे लात मार दो.. ( पेरियार) ने कहा, और यही हकीकत में सत्य है, नवसर्जन ट्रस्ट ने 569 गांवों में 98,000 लोगों के बीच चार साल तक शोध के बाद 2010 में पाया कि दलित, भले हिन्दू हों, वे 90.2 प्रतिशत गांवों के ग्राम मंदिरों में प्रवेश नहीं पा सकते, 54 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में दलित बच्चों को अलग कर मिड डे मील दिए जाते हैं।75 साल बाद भी दलित तलाश रहे आजादी का सही अर्थ।

1997 तक दलित हिंसा को लेकर प्रामाणिक आंकड़े गायब थे। पिछले 42 साल के उपलब्ध आंकड़े के आधार पर अनुमान इस तरह हैंः हत्याः 25,947 (दलित), 5,336 (आदिवासी); बलात्कारः 54,903 (दलित महिलाएं), 22,004 (आदिवासी महिलाएं); पुलिस में दर्ज उत्पीड़न के मामलेः 12,04,665 (दलित), 2,11,331 (आदिवासी)। मीडिया में छपी-दिखाई गई स्टोरीज भी संकेत देती हैं कि दलितों और आदिवासियों पर निर्मम हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या जाति और छुआछूत को जड़ से मिटाया जा सकता है? डॉ. आम्बेडकर ने इसके रास्ते के तौर पर हिन्दू धर्म को छोड़ना बताया था। लेकिन इस्लाम और ईसाईयत समेत सभी धर्म जाति के विषाणु से ग्रस्त हैं। आगे एकमात्र प्रभावी रास्ता संविधान के प्रति निर्भीक निष्ठा है, जो दलित समाज को ऊर्जा देता है अपने हक के लड़ाई लड़ने के लिए, अन्य धर्मो के धर्माचारियों के द्वारा आज भी इनके उपर अत्याचार बंद नहीं कर रहे हैं, इनको रोकना हिंदू धर्म के सनातनी लोगों का दायित्तव बनता है, और इन लोगों के उपर जो दाग लगा है छुआछुत का उनको मिटाना ही पड़ेगा, तब कही जाकर इन दलित समाज को शांति और सम्मान मिलेगा यही उनके लिए सही आजादी होगी। 

भारतीय सनातन धर्म ग्रंथ में ये दलित समाज का उल्लेख कही पर आपको मिलेगा ही नहीं, मनु स्मृति में भी चार वर्णो को दर्शाया गया है ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र लेकिन यह सब कर्मो पर आधारित है, जो जैसा कर्म करेगा वैसा इन चार वर्णो के कोई भी एक वर्ण का अनुगामी बनेगा, लेकिन सनातनी धर्म के ग्रंथ को भी इन दलित समाज के लिए अनुपयोगी बताया गया है, अन्य दूसरे धर्मो के द्वारा जहर घोला गया है, इन दलित समाज के लोगों के अंदर अपने निजी स्वार्थ के लिए। लेकिन इस लेख के माध्यम से दलित समाज के लोगों के आँखों के उपर जो पट्टी लगा है, उनको अब उतार देने का वक्त आ गया है, और जिस धर्म ने आपको दलित नीच चमार बनाया उनको आपको जानना बहुत जरूरी है। 

सिकन्दर लोदी (1489-1517) के शासनकाल से पहले पूरे भारतीय इतिहास में 'चमार' नाम की किसी जाति का उल्लेख नहीं मिलता | आज जिन्हें हम आपको बताने वाले है, कैसा बना दलित समाज चमार, और कैसे खेल हुआ,देश के अंदर, अपने ही सनातनी हिंदू चार वर्णो के अंदर मतभेद यह सब विदेशी मुगल आक्रनताओं की चाल था भारत को तोड़ने के लिए। 

जबकि भारत माँ के पवित्र भूमि में कोई अछूत संतान पैदा ही नहीं लिया न कल हुआ था ना भविष्य में कभी होगा, लेकिन इन मुगल अकरानताओं ने हम सनातनी चार वर्णो को अलग अलग श्रेणि में बाँट दिया, जिसका अभिशाप बन कर आज भी हम भारतीय झेल रहे हैं, अपने ही भाई बहनो को अछूत बोलकर नफरत कर रहे हैं, जबकि मुस्लिम व ईसाई धर्म हमारे भारतीय मूल धर्म नहीं है, बल्कि जो ये दलित है व हमारे सनातनी धर्म का मूल अंश है जिसको आज आप दलित व चमार कहते है उनका एक गौरव शाली इतिहास है, जिसे छुपाया गया दबाया गया जिसे हम आपके सामने रख रहे है। 

जबकी हम सभी भारतीय सनातनी धर्म के ऋषि मुनियों के कुल गोत्र संतान है, मुस्लिम, व ईसाई धर्म को छोड़कर सभी भारतीय सनातनी धर्म के लोगों का कुल गोत्र है, जिसे आप दलित व चमार मानते हैं, उनका भी कुल गोत्र ऋषि मुनियों के कुल गोत्र में से जुड़ा हुआ है। और इसे झूठलाया नहीं जा सकता। देश के बहुत बड़ी आबादी सनातनी धर्म लोगों को हम दलित नीच जाति मानकर उनसे किनारा कर दिया, यही गंदी सोच भारत के लिए ये मुगल बादशाह लोग किया गया, जिसको हम सनातनी धर्म के चार वर्णो के लोग आपस में भेदभाव करके ही अपने भारत देश को तोड़ रहे है। 

* जिसको आज दलित समाज बोलते हो उनको चमार बोलते हो उनका गौरव शाली इतिहास जो आपके बंद आँखों को खोल देगा.... 

सिकन्दर लोदी (1489-1517) के शासनकाल से पहले पूरे भारतीय इतिहास में 'चमार' नाम की किसी जाति का उल्लेख नहीं मिलता | आज जिन्हें हम चमार जाति से संबोधित करते हैं और जिनके साथ छूआछूत का व्यवहार करते हैं, दरअसल वह वीर चंवर वंश के क्षत्रिय हैं | जिन्हें सिकन्दर लोदी ने चमार घोषित करके अपमानित करने की चेष्टा की |

भारत के सबसे विश्वसनीय इतिहास लेखकों में से एक विद्वान कर्नल टाड को माना जाता है जिन्होनें अपनी पुस्तक द हिस्ट्री आफ राजस्थान में चंवर वंश के बारे में विस्तार से लिखा है |

प्रख्यात लेखक डॅा विजय सोनकर शास्त्री ने भी गहन शोध के बाद इनके स्वर्णिम अतीत को विस्तार से बताने वाली पुस्तक हिन्दू चर्ममारी जाति एक स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास" लिखी | महाभारत के अनुशासन पर्व में भी इस राजवंश का उल्लेख है | डॉ शास्त्री के अनुसार प्राचीनकाल में न तो चमार कोई शब्द था और न ही इस नाम की कोई जाति ही थी |

अर्वनाइजेशन' की लेखिका डॉ हमीदा खातून लिखती हैं मध्यकालीन इस्लामी शासन से पूर्व भारत में चर्म एवं सफाई कर्म के लिए किसी विशेष जाति का एक भी उल्लेख नहीं मिलता है | हिंदू चमड़े को निषिद्ध व हेय समझते थे | लेकिन भारत में मुस्लिम शासकों के आने के बाद इसके उत्पादन के भारी प्रयास किए गये थे |

डॅा विजय सोनकर शास्त्री के अनुसार तुर्क आक्रमणकारियों के काल में चंवर राजवंश का शासन भारत के पश्चिमी भाग में था और इसके प्रतापी राजा चंवरसेन थे | राणा सांगा व उनकी पत्नी झाली रानी ने चंवरवंश से संबंध रखने वाले संत रैदासजी को अपना गुरु बनाकर उनको मेवाड़ के राजगुरु की उपाधि दी थी और उनसे चित्तौड़ के किले में रहने की प्रार्थना की थी |

संत रविदास चित्तौड़ किले में कई महीने रहे थे | उनके महान व्यक्तित्व एवं उपदेशों से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें गुरू माना और उनके अनुयायी बने | उसी का परिणाम है आज भी विशेषकर पश्चिम भारत में बड़ी संख्या में रविदासी हैं | राजस्थान में चमार जाति का बर्ताव आज भी लगभग राजपूतों जैसा ही है | औरतें लम्बा घूंघट रखती हैं आदमी ज़्यादातर मूंछे और पगड़ी रखते हैं |

संत रविदास की प्रसिद्धी इतनी बढ़ने लगी कि इस्लामिक शासन घबड़ा गया सिकन्दर लोदी ने मुल्ला सदना फकीर को संत रविदास को मुसलमान बनाने के लिए भेजा वह जानता था की यदि रविदास इस्लाम स्वीकार लेते हैं तो भारत में बहुत बड़ी संख्या में इस्लाम मतावलंबी हो जायेगे लेकिन उसकी सोच धरी की धरी रह गयी स्वयं मुल्ला सदना फकीर शास्त्रार्थ में पराजित हो कोई उत्तर न दे सका और उनकी भक्ति से प्रभावित होकर अपना नाम रामदास रखकर उनका भक्त वैष्णव (हिन्दू) हो गया | दोनों संत मिलकर हिन्दू धर्म के प्रचार में लग गए जिसके फलस्वरूप सिकंदर लोदी आगबबूला हो उठा एवं उसने संत रैदास को कैद कर लिया और इनके अनुयायियों को चमार यानी अछूत चंडाल घोषित कर दिया | उनसे कारावास में खाल खिचवाने, खाल-चमड़ा पीटने, जूती बनाने इत्यादि काम जबरदस्ती कराया गया उन्हें मुसलमान बनाने के लिए बहुत शारीरिक कष्ट दिए | लेकिन उन्होंने कहा ... 

* वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान,

फिर मै क्यों छोडू इसे, पढ़ लू झूठ कुरान.

वेद धर्म छोडू नहीं, कोसिस करो हज़ार,

तिल-तिल काटो चाहि, गोदो अंग कटार। 

संत रैदास पर हो रहे अत्याचारों के प्रतिउत्तर में चंवर वंश के क्षत्रियों ने दिल्ली को घेर लिया | इससे भयभीत हो सिकन्दर लोदी को संत रैदास को छोड़ना पड़ा था | संत रैदास का यह दोहा देखिए .. 

* बादशाह ने वचन उचारा | मत प्यारा इसलाम हमारा ||खंडन करै उसे रविदासा | उसे करौ प्राण कौ नाशा ||जब तक राम नाम रट लावे | दाना पानी यह नहींपावे ||जब इसलाम धर्म स्वीकारे | मुख से कलमा आपा उचारै ||पढे नमाज जभी चितलाई | दाना पानी तब यह पाई ||

समस्या तो यह है कि आपने और हमने संत रविदास के दोहों को ही नहीं पढ़ा, जिसमें उस समय के समाज का चित्रण है जो बादशाह सिकंदर लोदी के अत्याचार, इस्लाम में जबरदस्ती धर्मांतरण और इसका विरोध करने वाले हिंदू ब्राहमणों व क्षत्रियों को निम्न कर्म में धकेलने की ओर संकेत करता है |

चंवर वंश के वीर क्षत्रिय जिन्हें सिकंदर लोदी ने 'चमार' बनाया और हमारे-आपके हिंदू पुरखों ने उन्हें अछूत बना कर इस्लामी बर्बरता का हाथ मजबूत किया | इस समाज ने पददलित और अपमानित होना स्वीकार किया, लेकिन विधर्मी होना स्वीकार नहीं किया आज भी यह समाज हिन्दू धर्म का आधार बनकर खड़ा है |

आज भारत में 23 करोड़ मुसलमान हैं और लगभग 35 करोड़ अनुसूचित जातियों के लोग हैं | जरा सोचिये इन लोगों ने भी मुगल अत्याचारों के आगे हार मान ली होती और मुसलमान बन गये होते तो आज भारत में मुस्लिम जनसंख्या 50 करोड़ के पार होती और आज भारत एक मुस्लिम राष्ट्र बन चुका होता | यहाँ भी जेहाद का बोलबाला होता और ईराक, सीरिया, सोमालिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान आदि देशों की तरह बम-धमाके, मार-काट और खून-खराबे का माहौल होता | हम हिन्दू या तो मार डाले जाते या फिर धर्मान्तरित कर दिये जाते या फिर हमें काफिर के रूप में अत्यंत ही गलीज जिन्दगी मिलती |

धन्य हैं हमारे ये भाई जिन्होंने पीढ़ी दर पीढ़ी अत्याचार और अपमान सहकर भी हिन्दुत्व का गौरव बचाये रखा और स्वयं अपमानित और गरीब रहकर भी हर प्रकार से भारतवासियों की सेवा की |

अगर आज के हिंदू सनातनी धर्म को सर्वोपरी मानकर धर्म को आगे बढ़ाने के लिए आगे बढ़ रहा है, तो ये भी करें जो हमारे सनातनी हिंदू दलित भाई बहन कठोर यातनाएं झेलने के बाद भी अपने मातृ भूमि के शान को झुकने नही दिया और अपना सनातनी हिंदू धर्म व बौद्ध धर्म को छोड़कर कही बाहर नहीं गया न ही मुस्लिम धर्म को अपनाया ऐसे समाज को आप सनातनी हिंदू धर्म के लोग दलित व अछूत कैसे मान सकते हैं, अब कंधे से कंधा मिलाकर चलने का समय है, सुबह का भुला अगर शाम को लौट आये उनको भुला आप नहीं कह सकते।

पीएम नरेंद्र मोदी सरकार आप इन सनातनी धर्म के चार वर्णो के सब भेदभाव को मिटा दिया और मानव मात्र सब एक समान समाज बना दिया तो उसी समय देश के चार सनातनी हिंदू धर्म वर्णो का संपूर्ण आजादी माना जायेगा, क्या आप इस पर्दे को हटा देंगे या राजनीतिक उलझन में ये दलित समाज उलझ कर रह जायेंगे। अगर हटा दिया तो उसी समय देश में रामराज्य का स्थापना होगा। सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के साथ सनातनी हिंदू धर्म का विस्तार होगा। यही नया उन्नति शील भारत का पुकार है।