CG के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में आखिर क्यों नहीं टिक रहा कोई दिल का डाक्टर, जानिए वजह....
प्रदेश के एकमात्र सरकारी दिल के अस्पताल एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में लंबे समय से बाइपास सर्जरी शुरू नहीं हो पाई है। अब ओपन हार्ट सर्जरी पर भी ग्रहण लग गया है। आंबेडकर अस्पताल में एसीआइ में पदस्थ एकमात्र कार्डियक एनेस्थेटिक ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया है।




रायपुर। प्रदेश के एकमात्र सरकारी दिल के अस्पताल एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में लंबे समय से बाइपास सर्जरी शुरू नहीं हो पाई है। अब ओपन हार्ट सर्जरी पर भी ग्रहण लग गया है। आंबेडकर अस्पताल में एसीआइ में पदस्थ एकमात्र कार्डियक एनेस्थेटिक ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया है।
एससीआई की कार्डियक एनेस्थेटिक डा. तान्या छोड़ा ने अपना त्यागपत्र विभागाध्यक्ष को सौंपा है, जिसमें नौकरी छोड़ने के लिए व्यक्तिगत कारण बताया गया है। ओपन हार्ट सर्जरी और बाइपास जैसे जटिल आपरेशनों में कार्डियक एनेस्थेटिक की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। यहां से अभी तक पांच सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर सरकारी नौकरी छोड़ चुके हैं। एक माह पहले ही यहां कैंसर सर्जन ने नौकरी छोड़ी थी।
ये है नौकरी छोड़ने की वजह
इधर, आंबेडकर अस्पताल में चर्चा है कि सुपर स्पेशियलिटी डाक्टरों को सैलरी कम मिलने की वजह से ही वे नौकरी छोड़ रहे हैं। सुपर स्पेशियलिटी डाक्टरों को राज्य के सरकारी अस्पतालों में एमडी और एमएस के समकक्ष वेतनमान दिया जा रहा है। वे इसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि वे एमडी और एमएस डाक्टरों से पांच साल ज्यादा पढ़ाई करते हैं। डाक्टरों का कहना है कि राज्य शासन की ओर से बिलासपुर और जगदलपुर में सुपरस्पेशलिटी हास्पिटल शुरू करने की तैयारी की जा रही है, लेकिन जहां डाक्टर पदस्थ हैं उन्हें उचित वेतमान नही मिल रहा है। देश के दूसरे राज्यों में सुपरस्पेशलिटी डाक्टरों के लिए अलग से वेतनमान है।
आंबेडकर अस्पताल में बाइपास सर्जरी शुरू करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की हार्टलंग्स मशीन तो दे दी गई है, लेकिन भर्ती नियम नहीं बनाए जाने के कारण इन्हें चलाने के लिए परफ्यूजनिस्ट और कार्डियक सर्जरी फिजिशियन असिस्टेंट की भर्ती अब तक नहीं हो पाई है। जबकि इनके लिए तीन-तीन पद स्वीकृत हो चुके हैं।
प्रदेशभर से एसीआइ में बाइपास सर्जरी के हर माह 35 से 40 मामले आते हैं। सुविधा नहीं होने के कारण डाक्टरों को इन्हें एम्स या फिर कहीं अन्य अस्पताल रेफर करने के लिए विवश होना पड़ता है। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से अन्य राज्यों से तुलना कर भर्ती नियम की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग को दे दी गई है। अब तक भर्ती नियम नहीं बनने से बाइपास सर्जरी की सुविधा नहीं मिल पा रही है।