वह धन चाहे नैतिक रूप से आए अथवा अनैतिक रूप से आए समाज में उन्हीं को सम्मान मिलेगा




मनेंद्रगढ़। कलयुग है संख्या बल और संगठन दोनों महत्वपूर्ण होते हैं। आजकल मसल पावर और मनी पावर यह महत्वपूर्ण हो गया है। येन केन प्रकारेण, केवल और केवल आप धनार्जन करते रहिए। संख्या बल और संगठन अपने आप तैयार हो जाते हैं।
जिस प्रकार खूंटी मुद्रा अच्छी मुद्रा को बाजार से चरण के बाहर कर देती है उसी प्रकार आपके पास मनी पावर हो आप सदैव बाजार में चलते रहेंगे क्योंकि मनी पावर में वह सामर्थ है वह शासन को खरीद सकता है वह संगठन को कर ही सकता है वह संख्या बल को खरीद सकता है इसीलिए वर्तमान युग में केवल और केवल धन अर्जन ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है।
क्या कीजिएगा केवल अर्जित पद का सम्मान है अर्जित पद होगा तो साल भर आपके पास कार्ड आएंगे आमंत्रण आएंगे सामने की लाइन में आपको बैठने के लिए कुर्सी मिलेगी मान मिलेगा सम्मान मिलेगा और इसे प्राप्त करने के लिए आपको संगठन बनाने पड़ेंगे और संगठन में अपने चाटुकार बनाने के लिए आप को आखिरकार धन ही तो खर्चा करना पड़ेगा।
इसीलिए यह कोई नई बात नहीं है मनुष्य की प्रतिक्रिया और आधारित हो गई है वह सारी नैतिकता को ताक पर रखकर केवल और केवल सुबह उठने से लेकर रात सोने तक केवल और केवल धन और जन में लगा है वह धन चाहे नैतिक रूप से आए अथवा अनैतिक रूप से आए समाज में उन्हीं को सम्मान मिलेगा । शासन प्रशासन के अधिकारी धन से ही संचालित होते हैं जिनके पास धन होगा उनके सामने कोई भी दुम हिलाने के लिए सदैव तत्पर रहेगा।जिनके पद होगा धन होगा और यदि आपके पास धन है तो सब कुछ है मान है इज्जत है मर्यादा है और आप सर्वश्रेष्ठ हैं।