Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale : शिवपुराण कथा सुनने उमड़ा जनसैलाब, कभी चाय बेचते थे मशहूर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा…फिर शिव ने संवारा जीवन…पढ़िए धर्मान्तरण सहित कई मुद्दों पर दिए बयान…

Shiv Puran by Pradeep Pandit: 10 बजे तक नजारा ऐसा था मानो कथा नहीं मेला लगा हो। खचाखच भीड़ के बीच यहां आने वाले हर व्यक्ति की एक ही आस... किसी तरह पं. प्रदीप मिश्रा की कथा पंडाल में बैठकर सुन सकें।

Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale : शिवपुराण कथा सुनने उमड़ा जनसैलाब, कभी चाय बेचते थे मशहूर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा…फिर शिव ने संवारा जीवन…पढ़िए धर्मान्तरण सहित कई मुद्दों पर दिए बयान…
Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale : शिवपुराण कथा सुनने उमड़ा जनसैलाब, कभी चाय बेचते थे मशहूर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा…फिर शिव ने संवारा जीवन…पढ़िए धर्मान्तरण सहित कई मुद्दों पर दिए बयान…

Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale: People gathered to listen to the Shiv Puran story, once used to sell tea, Pandit Pradeep Mishra, a famous story reader

नया भारत डेस्क : धर्मांतरण छत्तीसगढ़ की बड़ी समस्या है। धर्मांतरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा का बड़ा बयान सामने आया है। रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में ऑटो वाले जाने से कतरा रहे हैं। ट्रैफिक जाम इतना है कि 500 फीट की ऊंचाई से ड्रोन तस्वीरें लेने पर सिवाए भीड़ में लोगों के सिर के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा। गलियां खचाखच गाड़ियों की पार्किंग से फुल हैं। सैंकड़ों वॉलेंटियर और पुलिस के जवान व्यवस्था संभालने में लगे हैं। गुढियारी के दही हांडी मैदान में शिव पुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)

 

2 लाख से अधिक लोगों की भीड़ हर दिन जुट रही है। क्योंकि यहां चल रही है पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव कथा। यह कथा 13 नवंबर तक चलेगी। कथावाचक पं मिश्रा को सुनने रायपुर में देशभर से लोग जुटे हैं। कैसे प्रदीप मिश्रा, बने कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा,अपने सफर की कहानी खुद उन्होंने बताई।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)

 

मध्यप्रदेश के सीहोर में जन्में पंडित प्रदीप मिश्रा अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताते हैं। उन्होंने कहा- मेरा जन्म घर के आंगन में तुलसी की क्यारी के पास हुआ था, क्योंकि अस्पताल में जन्म के बाद दाई को जो रुपए दिए जाते थे उतने भी हमारे पास नहीं थे। मेरे पिता स्व रामेश्वर मिश्रा पढ़ नहीं पाए। चने का ठेला लगाते थे। बाद में चाय की दुकान चलाई, मैं भी दुकान में जाकर लोगों को चाय दिया करता था।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)

 

पं प्रदीप मिश्रा ने बताया- मेरा कोई लक्ष्य नहीं था, मैं दूसरों के कपड़े पहनकर स्कूल गया, दूसरों की किताबों से पढ़ा। बस यही चिंता रहती थी कि पेट भर जाए और परिवार को संभाल लें। भगवान शिव ने पेट भी भरा और जीवन भी संवारा। हमें याद है, बहन की शादी का जिम्मा था, मुझे याद है सीहोर के एक सेठ की बेटी की शादी हुई तो भवन में डेकोरेशन था। हम उस सेठ के पास हाथ जोड़कर कहने गए थे कि वो अपना डेकोरेशन रहनें दें ताकि इसी में हमारी बहन की शादी हो जाए।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)

 

पं प्रदीप मिश्रा ने बताया कि सीहोर में ही एक ब्राह्मण परिवार की गीता बाई पराशर नाम की महिला ने उन्हें कथा वाचक बनने पर प्रेरित किया। वो दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम करती थीं। मैं उनके घर पर गया था, उन्होंने मुझे गुरुदीक्षा के लिए इंदौर भेजा। मेरे गुरु श्री विठलेश राय काका जी ने मुझे दीक्षा दी। पुराणों का ज्ञान दिया।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)

पं मिश्र बताते हैं कि उनके गुरु के मंदिर में सैंकड़ो पक्षी रहते हैं। गुरु पक्षियों से श्री कृष्ण बुलवाते थे। मंत्र बुलवाते थे। पक्षी भी हमारे गुरुधाम में हरे राम हरे कृष्ण, बाहर निकलो कोई आया है... बोलते हैं। मुझे याद है मैं जब उनके पास गया था तो मुझे देखते ही उन्होंने मेरी गुरुमाता अपनी पत्नी से कहा- बालक आया है भूखा है इसे भोजन दो। इसके बाद उन्होंने मुझे आर्शीवाद देकर कहा था तुम्हारा पंडाल कभी खाली नहीं जाएगा। शुरुआत में मैंने शिव मंदिर में कथा भगवान को शिव को ही सुनाना शुरू किया। मैं मंदिर की सफाई करता था। इसके बाद सीहोर में ही पहली बार मंच पर कथावाचक के रूप में शुरुआत की।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)

 

अपने कथा के कार्यक्रमों में पं प्रदीप मिश्रा लोगों से कहते हैं एक लोटा जल समस्या का हल। इसके बारे में उन्होंने कहा- शिव बाबा की कृपा होती है जल चढ़ाने से। माता पार्वती भी उन्हें जल चढ़ाती थीं। भगवान गणेश जी भी। भगवान राम जब अयोध्या से निकले और जहां-जहां रुके शिवलिंग बनाए और जल चढ़ाया। जल का महत्व ये है कि हम अपने हृदय भाव भगवान को अर्पित कर रहे हैं। हृदय में शिव का ध्यान करके जल चढ़ाइए और अपनी समस्या भगवान से साझा करिए। हमारे यहां शिव पुराण में कमल गट्‌टे के जल का प्रयोग बताया गया है। इसे शुक्रवार के दिन भगवान शिव पर चढ़ाएं, इससे लक्ष्मी आती है और आरोग्यता रहती है।
 

पं प्रदीप मिश्रा ने कहा- भगवान शिव कर्म करने को कहते हैं। हम अपनी कथा में भी लोगों से यही कहते हैं कि कर्म करिए और विश्वास के साथ भगवान शिव की आराधना करें। भगवान शिव ने अपने पुत्रों को विष्णु की तरह बैकुंठ और रावण को दी गई सोने की लंका नहीं दी। उन्होंने उन्हें भी कर्म करने दिया।
 

पं प्रदीप मिश्रा ने कहा- आजकल युवा नशे की ओर जा रहे हैं। आज के पोस्टर्स भगवान शिव को गांजा पीते या चिलम के साथ दिखाया जाता है। शिव जी ने कोई नशा नहीं करा । जब विष भेजा गया तब उसे पीते समय जो बूंदे गिरीं वो भांग धतूरा बनीं। वो सिर्फ शिव के पास रखी होती हैं, उनका सेवन शिव नहीं करते। स्वयं माता पार्वती ने शिव जी से पूछा था आप किस नशे में रहते हैं तो उन्होंने कहा थ राम नाम का नशा है। यहां आकर लोग शिव का नशा कर रहे हैं तो दूसरे नशे की जरुतर ही नहीं। यहां हम कौन सा भांग का प्रसाद बंट रहे हैं। यहां लोग जो आए हैं शिव के भक्ति रस में मस्त हैं।
 

पूर्व सीएम, पूर्व मंत्री समेत विधायक और मेयर पहुंचे:
गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, सांसद सुनील सोनी, विधायक विकास उपाध्याय, विधायक कुलदीप जुनेजा, विधायक अरुण वोरा, महापौर एजाज ढेबर, सच्चिदानंद उपासने समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि पं. मिश्र की कथा सुनने के लिए पहुंचे। इस मौके पर कथा के आयोजनकर्ता बसंत अग्रवाल और उनकी टीम ने सभी को स्मृति चिन्ह देकर उनका सम्मान किया।

सबको एंट्री नहीं दे सकते इसलिए जगह-जगह लगाई एलईडी स्क्रीन
शिव महापुराण कथा सुनने छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों से भक्त रायपुर पहुंचे हैं। इसके अलावा आसपास के राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग यहां आए हैं। कथा स्थल में एक हद तक ही लोगों को एंट्री दी जा सकती है। दूर-दराज से पं. मिश्र की कथा सुनने आए श्रद्धालुओं को कथा सुनने में परेशानी न हो, इसलिए आयोजन समिति ने गुढ़ियारी में जगह-जगह एलईडी स्क्रीन लगवा दी है, ताकि जो पंडाल में प्रवेश न कर पाएं वे बाहर से ही सीधा प्रसारण देख सकें। जहां एलईडी स्क्रीन नहीं लगाई जा सकी, वहां बड़े-बड़े लाउड स्पीकर्स भी लगाए गए थे। भक्तजनों ने इसी व्यवस्था के साथ कथा का आनंद उठाया।पास है तो सुबह 10 बजे ही कथा स्थल पहुंचें।

 

पहले दिन के मुकाबले गुरुवार को दोगुनी भीड़ उमड़ी। ऐसे लोग जिनके पास वीवीआईपी और वीाईपी पास हैं, उन्हें भी प्रवेश में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भक्तों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए आयोजन समिति ने ऐसे सभी लोगों से अपील की है कि पास के साथ सुबह 10 बजे ही कथा स्थल पर पहुंच जाएं, ताकि किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)

न साधु बनने की जरूरत है, न संन्यासी ‘एक लोटा जल, हर समस्या का हल’


पं. प्रदीप मिश्रा ने अपनी कथा में अंधविश्वास पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि तुम्हें उतना ही मिलेगा, जितना तुम्हारे भाग्य में मिला है। कोई भी बाबा कोई तुम्हें गड़ा धन नहीं दिला सकता। केवल एक ही बाबा हैं जो तुम्हारा भाग्य बदल सकते हैं और वो हैं भोलेनाथ। उन्हें मनाने के लिए तुम्हें कोई महान जतन करने की जरूरत नहीं है। बस एक लोटा जल और हर समस्या का हल। यानी बाबा के शिवलिंग पर एक लोटा जल अर्पित कर दो, तुम्हारी सारी समस्याओं का समाधान भी हो जाएगा और सारी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति तुम्हें साधु-संन्यासी बनने के लिए कहता है तो उन्हें कहना, मुझे माफ करो। तुम ही बन जाओ। भगवान शंकर ने अर्धनारीश्वर रूप लेकर यही संदेश दिया है कि महिला और पुरुष बनो और परिवार बनाओ। परिवार का सही तरह से पालन-पोषण करो। परिवार को खुश रखा तो जीवन भी सुखमय बन जाएगा।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)