शिक्षाविद् डॉ. शाहिद अली ने जब कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति की नियुक्ति में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला उठाया तो कुलपति तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे है जिसको लेकर राज्यपाल को इस विषय पर जाँच करवानी चाहिए।
When educationist Dr. Shahid Ali raised the matter




NBL, 16/08/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: When educationist Dr. Shahid Ali raised the matter of fraud and corruption in the appointment of the Vice Chancellor of Kushabhau Thakre Journalism and Mass Communication University, Raipur, the Vice Chancellor is doing appeasement politics, for which the Governor should get an inquiry done on this subject. पढ़े विस्तार से...
देश में कोई भी संगठन, चाहे वह सरकारी हो या निजी, उसे अपने संगठन में होने वाले गलत कार्यों को रोकने या उसके बारे में बोलने का अधिकार है, उस संगठन का कोई भी व्यक्ति उन गलत कार्यों पर आवाज उठा सकता है, छत्तीसगढ़ रायपुर में पत्रकारिता पढ़ाने वाले सरकारी विश्वविद्यालय जिसका नाम कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय में कुलपति का एक नया पद स्थापित किया गया है, जो संदेह के घेरे में है और शिक्षाविद् डॉ. शाहिद अली और कुछ कर्मचारी लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इसलिए नवनियुक्त कुलपति विरोध करने वाले शिक्षाविद् डॉ. शाहिद अली को प्रताड़ित कर रहे हैं और यहां तक कि डॉ. अली को विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर द्वारपालों के माध्यम से रोका जाता है जो उनके पद की गरिमा को नष्ट कर रहे हैं कुलपति के द्वारा उनके पढ़ाए जा रहे बच्चों के सामने उन्हें अपमानित करने से वे मानसिक रूप से आहत हो रहे हैं, उनसे उनके पद छीन लिए गए हैं, ऐसा घोर अन्याय शिक्षाविद् डॉ. शाहिद अली के उपर किया जा रहा है और न्याय कहता है जहां अन्याय हो रहा है वहां आवाज उठाओ, बाकी न्याय आपको आपकी सच्चाई दिलायेगी, लेकिन जिन्होंने आवाज उठाई उन्हें अब तक न्याय नहीं मिल रहा है,यह आवाज उठाने वाले लोगों के साथ अन्याय है।
शिक्षाविद् डॉ. शाहिद अली अल्पसंख्यक समुदाय से मुस्लिम हैं और कुलपति तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं, जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से सख्त लहजे में कहा कि हम उन लोगों को नहीं बख्शेंगे जो तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव शर्मा अपने अवगुणों को छुपाने के लिए हिंदू/मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं, वहीं डॉ. शाहिद अली ने चुनौती दी है कि मैं कुलपति पर जो आरोप लगा रहा हूं, वह पूरी तरह सच है और मैंने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आप लोगों को जानकारी दे रहा हूं ताकि यह बात राज्यपाल तक पहुंच सके और हमें न्याय मिल सके और पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले बच्चों को भी न्याय मिल सके ताकि उनके प्रमाणपत्रों में अयोग्य कुलपति के हस्ताक्षर न रहें क्योंकि यह कुलपति का जांच होना निश्चित है,और एक दिन इनकी सच्चाई सबके सामने जाएगी इसलिए राज्यपाल महोदय को जल्द से जल्द इस गंभीर मुद्दे को अपने संज्ञान में लेना चाहिए।
* शिक्षाविद् डाक्टर शाहिद अली की प्रेस विज्ञप्ति
16/08/2023 कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के छद्म नाम से कुलपति के पद पर श्री बल्देव भाई शर्मा की नियम विरुद्ध नियुक्ति के खिलाफ शिक्षाविद् डॉ शाहिद अली की अपील को कुलाधिपति महोदय छत्तीसगढ़ के संज्ञान में ले ली गई है। इस मामले में उच्च स्तर पर कार्रवाई की प्रतीक्षा शिक्षाविदों को है। छत्तीसगढ़ में विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्तियां हमेशा से चर्चा का विषय रहीं हैं। छत्तीसगढ़ के पत्रकारों एवं शिक्षाविदों की उपेक्षा कर अन्य राज्यों के व्यक्तियों को कुलपति बनाए जाने पर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन इस बार कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्ति का जो खुलासा हुआ है उसने पूरे सिस्टम को चौंका दिया है। विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ शाहिद अली ने कुलपति श्री बल्देव भाई शर्मा के पास न्यूनतम योग्यता पूरी ना करने तथा नियुक्ति में यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनिवार्य प्रावधानों का उल्लंघन करने के कारण इस नियुक्ति को रद्द करने अपील की है। शिकायत के अनुसार श्री बल्देव भाई शर्मा को कुलपति के पद पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है वे इस पद पर नियम विरुद्ध कार्य भी कर रहे हैं।
बताया जाता है कि श्री बल्देव भाई शर्मा के पास किसी भी विषय की ना तो पीजी डिग्री है और ना ही पीएचडी की वैध उपाधि है। जो व्यक्ति विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की न्यूनतम योग्यता भी नहीं रखता है उसकी विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर नियुक्ति एक बड़ा सवाल है। विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में किस प्रकार से हाईलेवल सांठगांठ करके योग्य आवेदकों को दरकिनार कर दिया जाता है उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता कि अनेक ऐसे दावेदार थे जिनके पास कुलपति पद के लिए उच्चतम अर्हताएं थी। कुलाधिपति द्वारा कुलपति पद के लिए नियुक्त तीन सदस्यीय सर्च कमेटी में चेयरमैन प्रो. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री बनाए गए थे। सर्च कमेटी में शामिल प्रो.कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री यूजीसी की ओर से नामिनी थे।
जबकि अन्य दो सदस्यों में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की ओर से हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति श्री ओम थानवी तथा राज्य शासन की ओर से तत्कालीन वन संरक्षक एवं योजना आयोग के सदस्य डॉ के.सुब्रमण्यम की उपस्थिति रही। तीन सदस्यीय समिति के चेयरमैन प्रो कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री उस दौरान हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति रहे। केन्द्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति रहते हुए प्रो अग्निहोत्री ने यूजीसी के नियमों को ताक में रखकर केवल स्नातक दो वर्षीय बीए थर्ड डिवीजन श्री बल्देव भाई शर्मा को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के पत्रकारिता विभाग में वर्ष 2017 में एमिनेंट प्रोफेसर मानद के पद पर भ्रष्ट नियुक्ति प्रदान कर दी।
जब प्रो कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में कुलपति पद के लिए दिनांक 12/09/2019 को बनाईं गई सर्च कमेटी में चेयरमैन नियुक्त हो गए तो उन्होंने श्री बल्देव भाई शर्मा के नाम की कुलपति पद के पैनल में अनुशंसा भी कर दी। डा शाहिद अली ने आरटीआई में प्राप्त दस्तावेजों से यह भी सवाल उठाया है कि श्री बल्देव भाई शर्मा ने वर्ष 2017 में ही इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, रेवाड़ी से डाक्ट्रेट की मानद उपाधि प्राप्त की जिसका उपयोग किसी अकादमिक कार्य में नहीं किया जा सकता है किंतु इन्होंने कुलपति पद के आवेदन में इसका दुरूपयोग करते हुए अकादमिक योग्यता के रूप में दर्शाया। डा शाहिद अली ने कुलपति नियुक्ति की सांठगांठ और गड़बड़ी पर उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई की भी अपील की है।
इस पूरे मामले में कुलपति के पद पर हुई अनियमितता की जांच होने पर कुछ बड़े खुलासे भी हो सकते हैं। डॉ अली ने बताया कि जब उन्होंने कुलपति की नियुक्ति में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला उठाया तो कुलपति उन्हें लगातार गंभीर रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। एक अल्पसंख्यक समुदाय का होने के कारण वे प्रतिशोध ले रहे हैं जबकि शासन को इस मामले में कुलपति को तत्काल बर्खास्त कर कार्रवाई करना चाहिए। डॉ शाहिद अली ने बताया कि कुलपति श्री बल्देव भाई शर्मा को तत्काल बर्खास्त नहीं करने पर जन-जन तक अपनी बात रखेंगे।
उल्लेखनीय है कि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में कुलपति पद के लिए 20/09/2019 को विज्ञापन जारी कर अंतिम तिथि 11/10/2019 तक योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मंगाए गए थे। इसके बाद सर्च कमेटी की बैठक राजभवन में दिनांक 11/11/2019 को संपन्न हुई। बैठक में सर्च कमेटी ने छह लोगों के नामों का पैनल प्रस्तुत किया जिनमें सबसे ऊपर श्री बल्देव भाई शर्मा उसके बाद क्रमशः श्री दिलीप चंद मंडल, श्री जगदीश उपासने, श्री लव कुमार मिश्रा, डॉ मुकेश कुमार, श्री उर्मिलेश नाम पैनल में रखे गए।
यूजीसी रेगुलेशन 2018 का अनिवार्य प्रावधान विश्वविद्यालय में कम से कम 10 वर्षों के लिए प्रोफेसर के पद का अनुभव अथवा एक प्रतिष्ठित अनुसंधान या शैक्षणिक प्रशासनिक संगठन में शैक्षणिक नेतृत्व के साक्ष्य के साथ 10 वर्षों के अनुभव के साथ एक विशिष्ट शिक्षाविद् होना चाहिए।
राज्यपाल के अवर सचिव के हस्ताक्षर से जारी दिनांक 20/09/2019 में कहा गया ऐसे व्यावसायिक व्यक्ति, जो या तो पत्रकारिता अथवा संचार मीडिया क्षेत्र की शाखा से हो, जिसके पास सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में वरिष्ठ स्तर में 20 वर्ष का अनुभव हो, की वांछित अहर्ता को पूर्ण करते हों। डॉ शाहिद अली ने अपील में राज्यपाल के अवर सचिव द्वारा जारी कुलपति पद के लिए यूजीसी के प्रावधानों के विरुद्ध शैक्षणिक अर्हता को भी चुनौती दी है और कहा है कि यूजीसी के मापदंडों को किसी भी प्रकार से बदला नहीं जा सकता है।
डॉ शाहिद अली ने बताया कि विश्वविद्यालयों में स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी स्तर की पढ़ाई एवं परीक्षाएं होती है। असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर तथा प्रोफेसर की चयन प्रक्रिया होती है। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक एवं अकादमिक विभागों के नेतृत्व, विद्यापरिषद , कार्यपरिषद तथा दीक्षांत समारोह का संचालन होता है। अतः ऐसा व्यक्ति जिसके पास न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी नहीं है, केवल बीए स्नातक है। कोई अनुसंधान अथवा शैक्षणिक प्रशासनिक नेतृत्व का अनुभव नहीं है वह विश्वविद्यालय का कुलपति कैसे नियुक्त हो सकता है। एजुकेशन सिस्टम की गुणवत्ता पर ऐसी नियुक्तियों से गंभीर चिंता और चुनौती उत्पन्न होती है।
डॉ शाहिद अली के अनुसार श्री बल्देव भाई शर्मा ने 5/3/2020 को कुलपति का पदभार ग्रहण किया और उसके दो हफ्ते बाद लाकडाऊन हो गया। लगभग दो वर्ष कोरोना काल रहा। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर कुलपति ने अपनी शैक्षणिक प्रोफ़ाइल अपलोड नहीं की। इसलिए योग्यता और नियुक्ति की सांठगांठ का पता नहीं चला। लेकिन पिछले एक वर्ष से जब आफलाइन और कार्यालय सामान्य होने लगे तो कार्यशैली से आशंका हुई और आरटीआई के माध्यम से तथ्यों का पता चला। छल कपट धोखाधड़ी का इससे बड़ा मामला क्या होगा जो व्यक्ति केवल बीए पास है वह कुलपति के पद का दुरुपयोग करके अनेक विश्वविद्यालयों में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा और प्रोफेसरों के चयन समिति में एक्सपर्ट बनकर जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सहित छत्तीसगढ़ सरकार को इसका गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए।
विशेष बात है कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पिछले तीन सालों में ऐसा कोई अकादमिक उपलब्धि हासिल नहीं हुई है जिसमें शासन करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। कुलपति महीने में 15 -20 दिन बिना छुट्टियों के गायब रहते हैं। कार्यालय में मात्र दो से तीन घंटे ही रहते हैं। कोई भी स्तरीय संगोष्ठियां नहीं हुई। नैक का आवेदन तक नहीं हुआ। वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को सेवा से हटाया गया। प्रोफ़ेसर के छद्म नाम से बने कुलपति की भ्रष्ट नियुक्ति को जनहित, शासन हित और राष्ट्रहित में तत्काल समाप्त करने की जरूरत है। ( डॉ शाहिद अलीशिक्षाविद्, रायपुर )