आज विपक्षी दलों के नेता देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री नहीं मानते, उनका सम्मान नहीं करते, यही हाल भाजपा नेताओं का भी है, वे विपक्षी दलों के कुछ नेताओं की उपेक्षा करते हैं, लेकिन क्यों? क्या यह देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश है?

Today some leaders of opposition parties

आज विपक्षी दलों के नेता देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री नहीं मानते, उनका सम्मान नहीं करते, यही हाल भाजपा नेताओं का भी है, वे विपक्षी दलों के कुछ नेताओं की उपेक्षा करते हैं, लेकिन क्यों? क्या यह देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश है?
आज विपक्षी दलों के नेता देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री नहीं मानते, उनका सम्मान नहीं करते, यही हाल भाजपा नेताओं का भी है, वे विपक्षी दलों के कुछ नेताओं की उपेक्षा करते हैं, लेकिन क्यों? क्या यह देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश है?

NBL, 26/06/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: Today some leaders of opposition parties do not consider the country's Prime Minister Narendra Modi as the Prime Minister, do not respect him, the same is the case with BJP leaders, they ignore some leaders of opposition parties, but why? Is this a good message for the country's democracy? पढ़े विस्तार से.... आखिर देश के राजनीतिक नेताओं द्वारा देश में क्या हो रहा है, जबकि सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के नेताओं को देश के लोकतंत्र ने अपना कीमती वोट देकर चुना है, ताकि उनका अपना नेता अपने क्षेत्र का विकास कर सके, लेकिन आजकल भारत में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा एक राजनीतिक युद्ध चल रहा है, इन राजनीतिक नेताओं के निजी स्वार्थ दोनों पक्षों में दिखाई दे रहे हैं, देश के हित में कोई भी काम नहीं दिख रहा है, इस आधुनिक भारत के सभी नेता बस एक दूसरे में कमियां निकालते नजर आ रहे हैं। 

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर से 370 हटा दिया लेकिन यह विपक्षी दलों के लिए सही नहीं है, जब हम विपक्षी दल सत्ता में आएंगे तो हम फिर से कश्मीर में 370 स्थापित करेंगे, क्या यह आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है, क्या आप विपक्षी दलों के नेता इन अनुच्छेद 370 का विरोध करने वाले लोगों को अपने पक्ष में लाकर सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं, यानी आप विपक्षी नेता देश में भ्रम फैलाकर अपना राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं देश में एनआरसी और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) कानून लागू होना चाहिए, जो देशहित में सही है। विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा देशहित में इन कानूनों को लेकर देश के लोकतंत्र में भ्रम पैदा करना, अराजकता का माहौल पैदा करना, अपने पक्ष में वोट की अपील करना, इन कानूनों को हटाने की बात करना, इन कानूनों को हटाकर विपक्षी दलों के नेताओं के माध्यम से देश में क्या भला करना चाहते हैं, यह देश के लोकतंत्र को भी पता होना चाहिए।

आजकल देश के सभी सांसदों को संसद भवन में शपथ दिलाई जा रही है और साथ ही शपथ ग्रहण समारोह में देश के सांसदों का अजीब व्यवहार देखने को मिल रहा है, कुछ नेता हाथ में संविधान की प्रति दिखाकर शपथ ले रहे हैं तो वहीं कई अन्य नेता अपने शीर्ष नेताओं के नाम के नारे लगा रहे हैं, यहां तक ​​कि भारत देश की जगह दूसरे देशों के नारे भी लगाए जा रहे हैं, असदुद्दीन ओवैसी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में जय फिलिस्तीन के नारे लगाए, ये हाल है हमारे देश भारत के लोकसभा सांसदों का, इन्हीं सब कारणों से देश को अंग्रेजों से आजादी मिलने में सदियां लग गईं और इन्हीं सब कारणों से विदेशी आक्रमणकारी मुगलों ने सदियों तक भारत पर राज किया, जब आज इस आधुनिक देश भारत के सांसदों के रवैये को देखकर ऐसा दोहरा चरित्र नजर आता है तो देश में उन्हें वोट देने वाले मतदाताओं का रवैया भी ऐसा ही होगा। देश को जोड़ने वाले नेता कम नजर आते हैं, देश और लोकतंत्र को तोड़ने वाले नेता आज भी देश में बहुतायत में नजर आते हैं, देश की सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के बीच दूरियां इतनी बढ़ गई विपक्षी दलों के नेता देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। 

ये विपक्षी दलों के राजनीतिक नेता, चाहे बड़े हों या छोटे, उन्हें देश का प्रधानमंत्री मानने को तैयार नहीं हैं। आपको उनके पद का ज्ञान नहीं है, ये बेलगाम जुबान की तरह है, जो मुंह में आता है बोल देते हो, जबकि आप दोनों मिलकर देश चलाते हो, देश का मूल ढांचा आप पर निर्भर करता है, आप सत्ता पक्ष में हो या विपक्ष में, आप एक शरीर के दो हाथ हो और एक दूसरे के बिना देश सही से कैसे चलेगा, जब आप सभी राजनीतिक नेता अपने निजी हितों के लिए लड़ते रहेंगे। 

जबकि आप देश के लोकतंत्र का आईना हो जो देश की बुनियादी जरूरतों को पूरा करता है, उन कमियों को पूरा करने के लिए सत्ता पक्ष से लड़ो ना कि अपने निजी हितों के लिए लड़ो, और देश हित और लोकतंत्र के लिए सार्थक मुद्दे लेकर न्याय व्यवस्था से लड़ो, अपनी बात शांतिपूर्वक रखो ताकि देश का लोकतंत्र समझ सके कि विपक्ष हमारे अधिकारों के लिए कितने अच्छे से लड़ रहा है, सत्ता पक्ष को एहसास दिलाओ कि हम भी आने वाले समय में आपसे बेहतर सरकार चला सकते हैं, देश के लोकतंत्र में ये बदलाव दिल से लाओ ना कि भ्रम फैलाओ ताकि आपका ही नुकसान हो और देश में मजबूत जनादेश ना ला पाओ।

सत्ताधारी पार्टी भाजपा के बड़े नेताओं से लेकर उसके छोटे-बड़े नेताओं में भी खामियां देखी जा सकती हैं। अब आप देश के पूर्व मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों की खामियां निकालकर देश के लोकतंत्र को गुमराह कर रहे हैं। उनके बारे में बुरा-भला कहकर क्या आप यह साबित करना चाहते हैं कि वो बुरे नेता थे और आप भाजपा वाले अच्छे नेता हैं। जबकि उस समय वो पूर्व मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री भी अच्छे नेता थे। उनके कार्यकाल में देशहित में काम हुआ था। उन्होंने भी उस समय की परिस्थिति के हिसाब से कुछ गलतियां की होंगी। उन पर दोष मढ़कर आप खुद को महान नहीं कह सकते। आपमें भी बहुत सी कमियां हैं, जो आपको नहीं दिखतीं। देश के विपक्षी दलों के नेताओं को आपमें वो कमियां दिखती हैं और देश के लोकतंत्र को भी वो कमियां दिखती हैं। इसीलिए देश के कई लोकतंत्रवादी आज भी भाजपा को पसंद नहीं करते। आपकी हिंदुत्व की राजनीति भी देश में नहीं चली। आपने देश में दो दशक तक पूर्ण बहुमत की सरकार चलाई।

वो भी देश के लोकतंत्र को आपकी हित कर शब्द सबका साथ सबका विकास की नीति पसंद आई। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में श्री राम मंदिर का मुद्दा आप बीजेपी के लिए पूरी तरह फ्लॉप रहा। यहां तक ​​कि अयोध्या लोकसभा की सीट भी आप बीजेपी को नहीं दी गई, आप हार गए, आपका हिंदुत्व का खेल देश में ज्यादा असर नहीं दिखा सका जो देश के कई हिंदुओं को पसंद नहीं आया और आपका 400 पार का नारा 240 पर ही सिमट गया। अब देश में आप बीजेपी द्वारा चलाई जा रही सरकार वैशाखी सरकार है जिसे आप एनडीए कहते हैं।

आप अपने गठबंधन के आधार पर चल रहे हैं, इतना भी अहंकार न करें कि भारत के हिंदू हमारे हैं जबकि देश के मुसलमान हिंदुओं से कहीं अच्छे हैं जो बीजेपी को वोट न देकर अपनी हितैषी पार्टियों को वोट देते हैं भले ही आप उन्हें अपना दुश्मन मानते हों लेकिन वे अपनी हितैषी पार्टियों को धोखा नहीं देते और आप बीजेपी ने हिंदुओं को खुश करने के लिए सब कुछ किया फिर भी उन्होंने आपका पूरा साथ नहीं दिया। वर्तमान लोकसभा चुनाव परिणामों में आपने स्पष्ट रूप से देखा है कि देश के हिंदुओं के वोट से हिंदू कभी भी भाजपा का वोट बैंक नहीं बन सकते, इसलिए यदि भाजपा सबका साथ सबका विकास की नीतियों के अनुसार काम करेगी तो जो लोग आपको वोट नहीं देते वे भी आपको वोट देने लगेंगे।

उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों के दो नेता जिनकी खूब चर्चा हुई थी, दो युवराजो की जोड़ी जिनकी चर्चा भाजपा के शीर्ष नेताओं ने खूब की थी, वह फिर से दो जोड़ी उत्तर प्रदेश में वापस आ गए हैं और इस बार उनकी पार्टी पूरी तरह डूब जाएगी और उन दो युवराजो के नाम हैं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में खूब धमाल मचाई और 40 सीटें जीतकर भाजपा, मोदी, योगी की डबल इंजन सरकार को उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से मात्र 33 सीटें में सिमटा दी।

इन दोनों युवराजो ने चुनाव किसी भी तरह से जीता हो, लेकिन जीत तो जीत होती है। भाजपा के लिए यह सबक काफी होना चाहिए कि किसी व्यक्ति विशेष पर व्यक्तिगत हमला करने में बीजेपी को क्या परिणाम हासिल हुआ, अब देश का लोकतंत्र मुद्दों पर वोट करता है और विपक्षी दलों के नेताओं के पास हर वह मुद्दा था जो देश के लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण था, भले ही भाजपा उनके मुद्दों को फर्जी मुद्दे कहती हो, लेकिन इसका असर देश में देखने को मिला, इसीलिए उन्होंने अपनी सीटें बढ़ाकर भाजपा को कड़ी टक्कर देने में सफलता पाई, आज विपक्षी दल देश में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।

अगर बीजेपी के पास नरेंद्र मोदी जैसा सशक्त नेता नहीं होता तो आज बीजेपी देश में विपक्ष की भूमिका निभा रही होती, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी को अपने भाषणों के लहजे में भी बदलाव करना होगा जिसमें वो विपक्षी पार्टियों के पूर्व नेताओं को लेकर भाषण देते हैं, इस बात पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है कि हम देश के लिए कितना बेहतर कर सकते हैं, पीएम मोदी और उनके नेताओं से देश के लोकतंत्र को यही चाहिए, अगर आप देखेंगे कि आप देश के लिए कितना बेहतर कर रहे हैं तो आने वाले चुनावों में बीजेपी को फायदा होगा, वरना अगर वो इसी तरह देश में विभाजनकारी राजनीति करते रहे तो उनका बढ़ता ग्राफ नीचे गिर जाएगा।