आधुनिक युग में मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए हमें अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना होगा।

To protect human values

आधुनिक युग में मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए हमें अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना होगा।
आधुनिक युग में मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए हमें अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना होगा।

NBL, 29/08/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: To protect human values ​​in the modern era, we have to make our children cultured. पढ़े विस्तार से...... 

हमारा व्यवहार ही हमारी पहचान है। व्यवहार को उत्कृष्ट बनाने के लिए संस्कार होने चाहिए। संस्कार व्यक्ति को हमारे इसी परिवेश से मिलते हैं। इस सबके बीच परोपकार ही संस्कार है जो सबको एक दूसरे से जोड़े रखता है। यदि यह संस्कार नहीं होगा तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से शून्य होगा। ऐसे व्यक्ति को समाज में न तो स्थान मिलता है और न ही सम्मान।

हमारी शुरूआत एक शून्य से होती है। इसके बाद हम धीरे धीरे इसी परिवेश से सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं। संस्कारों की कड़ी में बात की जाए तो यह हमारे ऊपर निर्भर करता है। यदि हम अच्छे संस्कार सीखें तो तेजी से प्रगति करेंगे और यदि संस्कारों का बोध न हो हम कुछ नहीं कर सकते हैं। परोपकार संस्कार हमें व्यापक बनाता है, जो सामाजिक परिवेश और सृष्टि को बदल सकता है।

आधुनिक युग में हमारी सभ्य संस्कृति लुप्त होती जा रही है, आज के बच्चों का व्यवहार इतना विषाक्त होता जा रहा है कि उन्हें जन्म देने वाले उनके माता-पिता भी बहुत चिंतित रहते हैं, लेकिन हम माता-पिता ही हैं जिन्होंने इस असभ्य व्यवहार को जन्म दिये है, केवल दिखावे के लिए हमने अपने बच्चों के खान-पान, रहन-सहन और व्यवहार में बदलाव कर दिया है।

आज हर माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें अच्छे और महंगे स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी हमारे बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, वे हर छोटी-छोटी बात पर चिढ़ जाते हैं और हम माता-पिता स्वयं उनके गुस्से का शिकार हो जाते हैं और हम स्वयं उनके बुरे स्वभाव के कारण चिंतित हो जाते हैं, हम अपने बच्चों के इस बुरे व्यवहार को कैसे सुधारें, लेकिन यह सुधरने के बजाय दिन-प्रतिदिन और बढ़ता जाता है और घर का माहौल खराब हो जाता है, पूरा परिवार डिप्रेशन में चला जाता है और इसका मुख्य कारण संस्कारहीन परिवार का होना है।

संस्कार का अर्थ अच्छे कार्यों, गुणों और नैतिक मूल्यों का पालन करने से है। आजकल के विद्यार्थी अपना सारा ध्यान और सारा समय अपनी शिक्षा में ही देते हैं। संस्कार भी जरूरी हैं। हमारे मन, मस्तिष्क और हृदय संस्कारों के समावेश से ही क्रियाशील होते हैं। इनमें परोपकार संस्कार आवश्यक है। यही वह संस्कार है जो एक दूसरे के प्रति हमारा लगाव बढ़ाता है और रिश्तों की मजबूत डोर से बांधता है।

मनुष्य के लिए जरूरी है कि वो अपने आप को हर परिस्थिति के अनुसार ढाल लें, क्योंकि परिस्थिति कभी मनुष्य के अनुसार नहीं बदल सकती। किन्तु, यह तभी संभव है जब हमें संस्कारों की समझ हो। अक्सर हमें एक दूसरे की मदद की आवश्यकता पढ़ती है। हम अपेक्षा भी करते हैं और दूसरों की मदद के लिए तैयार भी रहते हैं। यह परोपकार के संस्कार की बदौलत ही संभव है।

संस्कार बेहद अहम होते हैं। संस्कारों के बिना न तो हम आगे बढ़ सकते हैं और न ही उन्नति कर सकते हैं। संस्कारों की शुरूआत घर से होती है और स्कूल से संस्कारों की समझ बढ़ती है। परोपकार का संस्कार समाज को एकजुट बनाता है और सामाजिक समरसता का भाव विकसित करता है। लिहाजा, हर व्यक्ति को संस्कारवान होना चाहिए।

जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छे संस्कार तथा अनुशासन बहुत आवश्यक है। उसके लिए हर कार्य चाहे वह पढ़ाई हो या खेल, अथवा अन्य कार्य हों उसमें एक निश्चित समय अवधि का होना बहुत आवश्यक है। उसके लिए हमें अपने गुरु तथा माता-पिता बड़ों का सम्मान करना आवश्यक है। साथ ही हमें अपनी सोच को सकारात्मक रखना आवश्यक है। तभी हम समाज में आगे बढ़ सकते हैं और देश के तरक्की में हम अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं। संस्कारों में परोपकार सबसे अहम है। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए, तभी एक समृद्ध और सुरक्षित समाज का निर्माण होगा। संस्कार ही हमें आगे बढ़ने के प्रेरित करते हैं।

संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। अगर संस्कार नहीं होंगे तो हमारी सामाजिक जिम्मेदारियां और सामाजिक भागीदारी शून्य हो जाएगी। संस्कारों की पहली पाठशाला घर से शुरू होती है। हम घर में जो कुछ सीखते हैं, वही बाहर भी करते हैं। इसके बाद स्कूल में संस्कारों का समायोजन होता है। इसके अलावा संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसे दान कहते हैं। दान के जरिए ही हम समाज में एक-दूसरे की भावनाओं को समझ पाते हैं। इसके जरिए हम एक-दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित होते हैं। अगर यह संस्कार नहीं होगा तो हमें समाज में कोई स्थान नहीं मिल सकता। इसलिए संस्कारों की शृंखला में हमें दान के बारे में जानना चाहिए और उसका अनुपालन भी सुनिश्चित करना चाहिए। तभी हम समाज में विशेष स्थान बनाने में सफल हो सकते हैं।

अपने हौंसले को ये मत बताओं, कि तुम्हारी तकलीफ कितनी बड़ी है। अपनी तकलीफ को बताओं कि तुम्हारा हौंसला कितना बड़ा है। संस्कार की आत्मविश्वास ही एक कुंजी है, जो हमारे हौंसले बुलंद करते हैं। परोपकार संस्कार की भूमिका सबसे अहम है। हमें इसे अपने जीवन में उतारना चाहिए ताकि लोगों को हमारा अधिक से अधिक सहयोग मिले।

जब हम अपने या अजनबी परिवार के किसी भी सदस्य से मिलते हैं तो हम उनसे एक ही उम्मीद रखते हैं, वह है सम्मान जो हमें सिर्फ उसी परिवार से मिल सकता है जो अपने परिवार को अच्छे संस्कार देता हो। दुनिया के हर धर्म के लोगों का संस्कारवान होना और सम्मान पाना या दूसरों को सम्मान देना बहुत जरूरी है।