काल चक्र में तीन चक्र थे, दया, लोभ और अहंकार और ऐसा केवल कलियुग में ही है, हर युग में ये तीन चक्र थे।
There were three cycles in the Kaal Chakra,




NBL, 09/03/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: There were three cycles in the Kaal Chakra, mercy, greed and ego and this is the case only in Kaliyuga, these three cycles were there in every era. पढ़े विस्तार से....
संसार का प्रत्येक प्राणी, यहाँ तक कि हम मनुष्य भी, समय चक्र के प्रभाव में हैं। इसके अनुसार हम सभी प्राणी जन्म लेते और मरते हैं और समय के इस चक्र में हम सभी प्राणी अपने आप को जीवित रखने के लिए कर्म करते हैं। हम सभी प्राणी अपने भोजन और अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, जैसे शेर, भेड़, बकरी या अन्य जीव, लेकिन शेर को भी काम करना पड़ता है और फिर भोजन पाने के लिए कहीं जाता है। उनके पास एक कार्य योजना भी है जिसमें वे सफल भी होते हैं और असफल भी।
इसी तरह सभी जीव अपने आप को अधिक शक्तिशाली और घातक प्राणियों से बचाने के लिए उपाय करते हैं, कुछ अपने चतुर दिमाग से खुद को बचाते हैं और कुछ उस शक्तिशाली प्राणी के खिलाफ खुद से लड़ते हैं जो उनके लिए जीवन और मृत्यु दोनों है। और कोई अहंकार के वशीभूत होकर अपनी मौत को गले लगा लेता है।
यही हाल हम इंसानों का भी है, हम बुद्धिमान होने के बावजूद भी इन हिंसक जानवरों की तरह व्यवहार करने लगते हैं और ये सदियों से चला आ रहा है, जो मांस जानवर खाते हैं, वही मांस हम इंसान भी खाते हैं। जबकि यह हम इंसानों के लिए उपयुक्त नहीं है, जबकि मांसाहारी जानवर अपनी जीभ की मदद से पानी पीते हैं और हम इंसान मुंह से पानी पीते हैं, हम इंसानों और जानवरों में बहुत अंतर है लेकिन सदियों से इंसान जानवर बन गए हैं, जो कि सही नहीं है प्रकृति समय चक्र के अनुसार, यदि आप उनके अनुसार कार्य करने लगे तो समय आपके अनुसार काम करेगा जो आपके हित में होगा।
इसी तरह हम सभी इंसान जानते हैं कि दयालु होने से क्या फायदा है, लालची होने से क्या नुकसान है और घमंडी होने से क्या विनाश होता है, फिर भी हम इंसान एक-दूसरे के लिए गड्ढा खोदने में लगे हुए हैं, जबकि हमें भी उस गड्ढे में गिरना है इसके बावजूद भी हम इंसान गलतियाँ करते रहते हैं, जबकि हम इंसान खुद को दुनिया के अन्य प्राणियों से अधिक बुद्धिमान कहते हैं, और हमने अपने लिए धर्म, अपने लिए धन और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई संसाधन एकत्र किए हैं, और हम इंसान अपने या अन्य लोगों कि पालन पोषण भी कर रहे हैं। हमारी दया, लालच और अहंकार, जिनके प्रभाव अलग-अलग होते हैं और हम सभी जानते हैं कि इन तीनों के प्रभाव से हमें क्या लाभ और क्या हानि हो सकती है। फिर भी ग़लतियाँ करते रहते हैं और इन तीनों के प्रभाव में हर हमेशा रहते हैं।
हम सभी जानते हैं कि बंदूक में एक घातक गोली होती है और इसे चलाने से किसी की जान भी जा सकती है और यह किन परिस्थितियों और स्थितियों में चलाई जाती है, फिर भी आज लोग इसे खिलौने की तरह जब चाहे तब पकड़कर घूम रहे हैं। उस व्यक्ति पर गोली मार दी जाती है जिसने कोई विशेष गलती नहीं की है, फिर गोली चलाने वाला व्यक्ति जीवन भर जेल में रहता है। सदियों से धर्म के नाम पर क्रूरता, वही जाति, वही लालच, वही अहंकार के वशीभूत क्रूरता। क्या आपकी क्रूरता से आपको फ़ायदा होता है या आपको नुकसान होता है? इस विषय पर विचार जरूर करें और फिर वह काम करें जो आपके हित में या जनहित में हो।
मधुर वाणी और दया एक ऐसा हथियार है जो आपको महान बना देगा और लालच, अहंकार एक ऐसा घातक हथियार है जो आपको पतन की ओर ले जाएगा। खुश रहने का अच्छा साधन, मधुर वाणी, मधुर मुस्कान और दयालुता ही है, इससे बड़ा कोई नहीं है जो आपके जीवन में आपकी मदद कर सके। क्या मैं अपने जीवन में शांति ला सकता हूँ? इस पर ध्यान दें तो आपके जीवन बेहतर हो जाएगा, जन्म मरण तो काल चक्र का हिस्सा है जो पापी और पुण्यआत्मा दोनों के लिए है, लेकिन अपने जीवन में वह घटना क्यों लाये जो हमारी शांति छीन लें। जब आप पैदा हुए तो बोलने में आपको दो साल लग गया और जब आप बोलने लगे तो आप जहर जैसा वाणी क्यों बोलने लगे जो दूसरों को पीड़ा दे,आप अपने नवजात अवस्था के दो साल के कठिन तपस्या को यू ही कड़वा बोली के लिए मूक साधना किया था? जो आपके कड़वी वाणी से जीवन भर दूसरे लोगों को दुख पहुँचे। और जीवन भर आपको कोसते फिरते रहे। ऐसे लोग जन्म क्यों लेते है इस धरती पर जो एक भी शब्द इनकी मधुर नही होते। वाह रे मेरी किस्मत जो इन जैसे के साथ मेरा जीवन चल रहा है।