Chhattisgarh News : देश की सबसे महँगी शाकाहारी सब्जी का स्वाद भी लाजवाब,अब आ गया छत्तीसगढ़ के बाजारो में स्वादिष्ट बोड़ा...जाने क्या है मार्केट में बोड़ा की कीमत…

दुनिया में तरह तरह की चीज़ें लोग खाते हैं। तरह तरह की ऐसी सब्जियां भी होती हैं जिन्हे हम जानते तक नहीं। बस ऐसी ही एक अनोखी और महंगी सब्जी के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं जिसे न तो हम उगा सकते हैं और न ही साधारण तरीके से इसे खोज सकते हैं

Chhattisgarh News : देश की सबसे महँगी शाकाहारी सब्जी का स्वाद भी लाजवाब,अब आ गया छत्तीसगढ़ के बाजारो में स्वादिष्ट बोड़ा...जाने क्या है मार्केट में बोड़ा की कीमत…
Chhattisgarh News : देश की सबसे महँगी शाकाहारी सब्जी का स्वाद भी लाजवाब,अब आ गया छत्तीसगढ़ के बाजारो में स्वादिष्ट बोड़ा...जाने क्या है मार्केट में बोड़ा की कीमत…

डेस्क : दुनिया में तरह तरह की चीज़ें लोग खाते हैं।  तरह तरह की ऐसी सब्जियां भी होती हैं जिन्हे हम जानते तक नहीं।  बस ऐसी ही एक अनोखी और महंगी सब्जी के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं जिसे न तो हम उगा सकते हैं और न ही साधारण तरीके से इसे खोज सकते हैं। बस्तर के जंगलों में एक ऐसी ही एक सब्जी इन दिनों उपज रही है  जिसके जायके के लोग दीवाने हैं और लोगों की इसी दीवानगी के चलते आज ये सब्जी बस्तर में 2500 से 3000 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है।  ”बोड़ा” कहलाने वाली ये सब्जी देश की सबसे महंगी शाकाहारी सब्जियों में शुमार है।

इन दिनों बस्तर में हो रही बारिश और उमस से ग्रामीण काफी खुश हैं क्योंकि बारिश और उमस का मौसम साल वृक्षों के नीचे उगने वाली अनोखी सब्जी ”बोड़ा” के उगने के लिए अनुकूल माना जाता है।  इस समय वनांचलों में जंगल जाकर ग्रामीण बोड़ा एकत्र करने में लगे हुए हैं और उन्हें बाज़ारों में बेच कर अच्छी रकम कमा रहे हैं।  दरअसल बोड़ा ज़मीन के अंदर उगता है और ये सिर्फ साल वृक्षों के नीचे ही पाया जाता है।  फफूंद प्रजाति की इस सब्जी के लज़ीज़ स्वाद के लोग दीवाने हैं

बस्तर के ग्रामीणों के लिए यह तेंदुपत्ता और महुवा के बाद जीवनोपार्जन का मुख्य स्त्रोत है।  बारिश के मौसम की  शुरुआत के साथ बोड़ा के बाजार में आने का सिलसिला शुरू हो गया है। अनोखी बात ये है की यह ज़मीन के अंदर उगने वाला एक तरह का फंगस है जो प्राकृतिक ढंग से ही उगता है, इसमें कोई बीज नहीं होता, इसके उत्पादन की कृत्रिम तकनीक को खोज पाने में वैज्ञानिक अब तक नाकाम रहे हैं।  प्राकृतिक रूप से निश्चित अवधि के लिए ही इसका उगना और इसकी स्वादिष्टता ने इसे विशेष बना दिया है।  आलम ये है की इसकी डिमांड के चलते ये यहाँ 2500 से 3000 रुपये किलो की दर से बिक रहा है।  300 से भी अधिक किलोमीटर दूर के दूसरे  राज्यों तक इसकी सप्लाई भी होती है।

 शहरी लोगों में इस सब्जी के प्रति ज़बरदस्त आकर्षण है।  लोगों का कहना है की ये मांसाहारी व्यंजनों  से भी अधिक स्वादिष्ट है।  वातावरण में आये परिवर्तन के चलते जब बोड़ा की आवक कम होती है तो लोग मुंह मांगी कीमत पर इसे खरीदने को तैयार रहते हैं।  वर्षा ऋतू में बस्तर और उसके सीमावर्ती राज्यों में गर्मी के चलते जब लोग मांसाहार अधिक पसंद नहीं करते तब साल वनों के द्वीप में उपजने वाले बोडे की सब्जी ही घर घर में बनती है।

 

 बोड़ा में प्रोटीन,विटामिन, मिनरल,  फैट और एनीमिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है जिसके चलते ये स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है।  साल वृक्ष के पत्ते पतझड़ में जगल की ज़मीन पर गिरते हैं और बारिश की पहली फुहार पर उमस और गर्मी के वातावरण में पत्ते और ज़मीन के सिम्बायटिक सम्बन्ध से जमीन के निचे लगभग एक इंच की गहरायी पर बोड़ा उपजता है। मटमैले  रंग के चलते इसे धरती के अंदर खोज पाना बड़ा मुश्किल होता है। कृषि वैज्ञानिक बोड़ा के कृत्रिम उत्पादन का राज़ खोजने में लगातार लगे हुये हैं।