जो व्यक्ति धैर्यवान है वह विश्व को जीत सकता है, सभी धर्मों के मूल वाक्यों में धैर्य का महत्व माना गया है, धैर्य का फल मीठा होता है।
The person who is patient can conquer the world,




NBL,29/12/2022, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: The person who is patient can conquer the world, the importance of patience has been considered in the basic sentences of all religions, the fruit of patience is sweet.
ठीक है, हम मान लेते हैं, कि धैर्य रखना कुछ कठिन है, परंतु असंभव नहीं है। इसमें थोड़ा कष्ट तो होता है। परंतु यह भी तो सत्य है, कि बिना कष्ट उठाए कोई सुख भी तो नहीं मिलता। ऋषि लोग कहते हैं, भले ही धैर्य रखना कष्टकारक है, धैर्य का बीज और वृक्ष भले ही कड़वा है, परंतु जब इस वृक्ष पर फल आते हैं, तो बहुत मीठे होते हैं, पढ़े आगे विस्तार से.. Motivational Thought: धैर्य से मिलता है मनचाहा परिणाम.... भारतीय जीवन दर्शन में धैर्य को व्यक्ति की सबसे बड़ी पूंजी माना गया है। हमारे धर्मग्रंथों में बताया गया है कि जो व्यक्ति धैर्यशील होता है, वह दुनिया को जीत सकता है। सभी धर्मों के मूल वाक्यों में धैर्य का महत्व माना गया है। सब्र का फल मीठा होता है, यह वाक्य आपने भी कई जगह पढ़ा होगा। हमारे ऋषि मुनि कह गए हैं कि धैर्यवान के लिए संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। एक विचलित मन मस्तिष्क वाला व्यक्ति सामने पड़ी काम की उस वस्तु को भी अपनी हड़बड़ी में अनदेखा कर आगे बढ़ सकता है, जिसे ढूंढने वह निकला था। इसके विपरीत धैर्यवान व्यक्ति कोयले के ढेर में से भी हीरा निकालने की सामर्थ्य रखता है।
इस बात को समझने के लिए भगवान बुद्ध से जुड़ी एक कथा सुनते हैं...
शिष्य ने कहा-स्वच्छ जल मैंने घड़े में भर लिया...
कुछ देर बाद बुद्ध ने अपने दूसरे शिष्य से कहा कि मेरे लिए नदी से जल ले आओ। वह शिष्य भी घड़ा लेकर तुरंत चल पड़ा। कुछ विलंब के बाद वह शिष्य वापस आया और साफ जल से भरा हुआ घड़ा भगवान के समक्ष प्रस्तुत किया। जल पीकर बुद्ध ने पूछा कि क्या तुम कहीं और से जल लाए हो? उस शिष्य ने कहा, नहीं भगवन! यह जल उसी नदी का है। उस नदी के पानी में मिट्टी घुल गई थी। मैंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की और जब मिट्टी नीचे बैठ गई, तब स्वच्छ जल मैंने घड़े में भर लिया।
धैर्य का महत्व समझाने के लिए मैंने जल की इच्छा प्रकट की...
उसकी बात सुनकर भगवान बुद्ध ने कहा कि हे वत्स, मैंने पशुओं के एक झुंड को नदी की दिशा में जाते हुए देख लिया था। इसीलिए धैर्य का महत्व समझाने के लिए मैंने जल की इच्छा प्रकट की। पहले शिष्य को नदी का जल आचमन योग्य नहीं लगा क्योंकि पशुओं के द्वारा नदी पार करने से जल में मिट्टी घुल गई थी। यह जल भी उसी नदी से लिया गया है, पर अब यह पूरी तरह स्वच्छ और पीने योग्य है। पहले शिष्य ने अधैर्य का परिचय दिया और उसी अमृत तुल्य जल को गंदा समझकर छोड़ आया। वहीं दूसरे शिष्य ने धैर्य से मिट्टी बैठने की प्रतीक्षा की और इच्छित वस्तु को पा लिया।
धैर्य और अधैर्य में अंतर
यही अंतर है धैर्य और अधैर्य में, अधीरता में व्यक्ति सामने उपलब्ध उस वस्तु को भी ठुकरा देता है, जिसकी उसे आवश्यकता होती है। धैर्यवान व्यक्ति शांति से सही समय की प्रतीक्षा करता है और अपनी इच्छित वस्तु को कम प्रयास में ही पा लेता है।