सृष्टि का श्रृंगार व मिट्टी की खुशबू पवित्र सिन्ध में है: महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन




अजमेर। सृष्टि का श्रृंगार व मिट्टी की खुशबू पवित्र सिन्ध में है और सिन्ध मिलकर अखण्ड भारत बनेगा के लिए समाज के साथ संत समाज भी संकल्पित है। ऐसे आर्शीवचन महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन, हरीशेवा धाम, भीलवाडा ने सिन्धुपति महाराजा द्ाहरसेन विकास व समारोह समिति द्वारा सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1309वां बलिदान वर्ष पर आॅनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सिन्ध व हिन्द महाराजा दाहरसेन’ विषय पर कहे। उन्होने कहा कि किसी देश की पहचान होती है संत, सती व सूर से, जो सिन्ध में थी। उन्होने सिन्ध में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर भी पूरी दुनिया में मिलकर आवाज उठाने का आव्हान किया।
मुख्य अतिथि इन्दौर के सांसद शंकर लालवाणी ने विचार प्रकट करते हुय कहा कि सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के जीवन के प्रेरणादायी प्रसंगों को युवा पीढी तक पहुचाने के लिये फिल्म का निर्माण करवाया जायेगा साथ ही इन्दौर में भी अजमेर की तरह भव्य स्मारक का निर्माण करवाकर तीर्थस्थान बनाया जायेगा। उन्होने कहा कि महाराजा दाहरसेन की पुत्रियों ने सैनिकों का उत्साहवर्द्धन किया और अपने वीर पिता के बलिदान का बदला लिया यह भी हमारे लिए प्रेरणादायी है। समारोह समिति के सुझाव पर उन्होने कहा कि राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुये ऐसे महापुरूष की जानकारी विद्यार्थियों तक पहुचाने के लिए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पुस्तकों में पाठ भी जुडवाया जायेगा।
पूर्व सांसद ओंकारसिंह लखावत ने अध्यक्षता करते हुये कहा कि सिन्ध और हिन्द को अलग नहीं कर सकते है। आज सिन्ध हमारे पास नहीं। विभाजन के बाद अलग हो गया है। हम अलग दुष्टिकोण नहीं करते सकते हैं दोनो देशों को जोडने के कार्य में माध्यम बने हैं महाराजा दाहरसेन। हमारी पहली शक्तिपीठ हिंगलाज माता हमारे पास नहीं है। हमारी इच्छाशक्ति है कि यह भूगोल ठीक होना चाहिए और दोनो देशों के बीच यह तारबंदी हटनी चाहिये जिससे हम पवित्र धरती के दर्शन कर सके और हमे इतिहास को आगे बढाना है। भविष्य में ध्यान आयेगा कि नवजागरण के समय हम कहां थे।
वक्ता जोधपुर के रघुवीर सिंह सोढा ने कहा कि सिन्ध में आज महाराजा दाहरसेन को अपना हीरो मानते है और विदेशी आक्रमणों के कारण हमारे वीर सपूत शहीद हुये और सिन्ध ने सदैव अत्याचार देखे हैं।अमेरीका से वक्ता के रूप में जुडे पत्रकार राजा दाहर ने कहा कि सिन्ध में मोहब्बत है और अमन चैन है दोनो देश में संस्कृति का मेल है और राजा दाहरसेन अपने वतन के लिये शहीद हुये। सभी चाहते है कि सिन्ध मिलकर अखण्ड भारत हो। समारोह समिति के कवंल प्रकाश किशनानी ने कहा कि 1997 से निरंतर बलिदान दिवस, जयंती के कार्यक्रमों के अलावा महापुरूषों की लगाई सभी मूर्तियों पर कार्यक्रम, हिंगलाज माता पूजन के साथ युवाओं के लिये प्रेरणादायी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को स्मारक दर्शन, पूजन के साथ सिन्ध के गौरवमयी इतिहास की प्रदर्शनी का भी अवलोकन कराया जाता है जिससे स्मारक एक तीर्थस्थल बन गया है।
संगोष्ठी का संचालन करते हुये भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि कोरानाकाल के समय आॅनलाइन संगोष्ठियों के साथ अलग अलग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया है जिससे विद्यार्थियों, युवाओं व मातृशक्ति का देश में जुडाव हुआ है।
महाराजा दाहरसेन के बलिदान दिवस 16 जून 2021 के अवसर पर महाराजा दरहरसेन के चित्र पर पुष्पांजलि व हिंगलाज माता पूजन-अपने अपने निवास पर आयोजित किया जायेगा जिसके संयोजक पूर्व उप-महापौर सम्पत सांखला व कवंलप्रकाश किशनानी रहेगें।
अलग अलग प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान पर रहने वाले विजेताओं को कोरोनाकाल के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में पुरस्कृत किया जाएगा। प्रतिवर्ष नगर निगम अजमेर, अजमेर विकास प्राधिकारण, पर्यटन विभाग, सिन्धु शोधपीठ, मदस विश्वविद्यालय व भारतीय सिन्धु सभा के सहयोग से सभी कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।