बदलते बस्तर की पहचान है लाला जगदलपुरी ग्रंथालय - सुंदरराज पी




जगदलपुर। लाला जगदलपुरी केंद्रीय ग्रंथालय, जगदलपुर द्वारा लाला जगदलपुरी जन्म समारोह के अवसर पर आयोजित बस्तर साहित्य महोत्सव 2021 के दूसरे दिन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में बस्तर पुलिस महानिरीक्षक श्री सुंदरराज पी. विशिष्ठ अतिथि के रूप में बस्तर वनमंडल की वनमण्डलाधिकारी सुश्री स्टायलो मंडावी, कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान की संचालक सुश्री विजया रात्रे एवं पद्मश्री धर्मपाल सैनी जी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती भारती प्रधान ने किया।
अपने उद्बोधन में सुश्री मंडावी ने कहा कि साहित्य समाज का आईना होता है। साहित्यिक आयोजन विचारों के आदान प्रदान के सशक्त माध्यम होते हैं।
सुश्री रात्रे ने कहा कि छात्र जीवन मे मुझे कविताएं पढ़ने का शौक रहा है। कविताओं का प्रभाव मेरे जीवन में सदैव रहा है।
मुख्य अतिथि सुंदरराज पी ने कहा कि प्रशासन के सहयोग से बस्तर की पहचान बदल रही है। बस्तर अब नए आयाम गढ़ रहा है। जहां एक तरफ लाला जगदलपुरी केंद्रीय ग्रंथालय में छात्र 24 घंटे पढ़ाई करते हैं वही बादल द्वारा बस्तर के साहित्य, भाषा एवं कला के संरक्षण तथा संवर्धन के कार्य किया जा रहा है। थिंक बी द्वारा यहां के युवा स्टार्ट अप कर रहे हैं तथा देश और दुनिया मे अपना लोहा मनवा रहे हैं। उन्होंने लाला जगदलपुरी को याद करते हुए कहा कि लाला जी ने साहित्यिक आकाश में बस्तर के नाम रोशन किया।
इस अवसर पर बस्तर के प्रख्यात साहित्यकार स्व. हरिहर वैष्णव को बस्तर साहित्य सम्मान 2021 से विभूषित किया गया। स्व० वैष्णव के लिए उनके भाई श्री खेम वैष्णव ने यह सम्मान प्राप्त किया। सम्मान स्वरूप उन्हें शाल, श्रीफल एवं ग्यारह हजार रुपये तथा एक सम्मान पत्र दिया गया।
बस्तर साहित्य महोत्सव के तहत आयोजित कवि सम्मेलन में सर्वश्री विपिन बिहारी दास, अवध किशोर शर्मा, सनत कुमार जैन, सुभाष पांडेय, नरेंद्र पाढ़ी, शशांक शेंडे, कृष्ण शरण पटेल, भरत गंगादित्य, नरेंद्र यादव, मनोज उपाध्याय, अनिल शुक्ला, एसके मिश्रा, राजेंद्र सिंह ठाकुर, एनके यादव, राजकुमार जायसवाल, महेश तनेरी, विकास पांडेय, एसके त्रिपाठी, श्रीमती सुषमा झा, मधु तिवारी, मोहिनी ठाकुर, पूर्णिमा सरोज, रानू नाग, प्रेमा पाठक, खुदैजा खान, सुश्री उर्मिला आचार्य, कुमारी जाह्नवि नाग, सुश्री चमेली कुर्रे, ज्योति यादव, दुलेश्वरी मांझी, सुषमा यादव ने काव्यपाठ किया।