Demonetisation: नोटबंदी का फैसला सही... सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ी राहत... केंद्र को क्लीन चीट.....

Supreme Court Demonetisation Verdict डेस्क. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है. पांच जजों की संविधान बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता. संविधान पीठ ने यह फैसला चार एक के बहुमत से सुनाया. मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में की गई नोटबंदी को लेकर उठे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. 

Demonetisation: नोटबंदी का फैसला सही... सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ी राहत... केंद्र को क्लीन चीट.....
Demonetisation: नोटबंदी का फैसला सही... सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ी राहत... केंद्र को क्लीन चीट.....

Supreme Court Demonetisation Verdict

 

डेस्क. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है. पांच जजों की संविधान बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता. संविधान पीठ ने यह फैसला चार एक के बहुमत से सुनाया. मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में की गई नोटबंदी को लेकर उठे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. 

 

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को अमान्य करने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है. कोर्ट ने इसी के साथ नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया. नोटबंदी के खिलाफ 3 दर्जन से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई हुई. न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत का यह फैसला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना द्वारा सुनाया गया. 

 

कोर्ट ने कहा कि इसकी प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं पाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरबीआई के पास विमुद्रीकरण लाने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और केंद्र और आरबीआई के बीच परामर्श के बाद ही निर्णय लिया गया. इस दौरान जस्टिस बीवी नागरत्न फैसले से असमत नजर आईं. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला कानून के जरिए किया जाना था. कोर्ट ने केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक और याचिकाकर्ताओं की दलीलों को विस्तार से सुनने के बाद पिछले सात दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. भारत सरकार ने इसे अकादमिक मुद्दा बताया था.