बिग CG न्यूज: दुकानदार को पीटने से पुलिसवालों को रोका तो TI ने युवक की करवा दी बेदम पिटाई.... पिता ने कहा, ‘थाने लाकर जबरन पिलाई शराब, पॉकेट में रख दिया गांजे का पॉकेट’.... पुलिस ने किया सनसनीखेज आरोपों का खंडन..... कही ये बड़ी बात....

बिग CG न्यूज: दुकानदार को पीटने से पुलिसवालों को रोका तो TI ने युवक की करवा दी बेदम पिटाई.... पिता ने कहा, ‘थाने लाकर जबरन पिलाई शराब, पॉकेट में रख दिया गांजे का पॉकेट’.... पुलिस ने किया सनसनीखेज आरोपों का खंडन..... कही ये बड़ी बात....

रायपुर। राजधानी पुलिस पर गंभीर आरोप लगा है। फल दुकानदार को पीट रहे थानेदार को टोकना एक युवक को महंगा पड़ गया। 10 मिनट लेट हो जाने पर वहां मौजूद पुलिसवालों ने फल दुकान वालों को थप्पड़ जड़ दिया। पुलिस के इस तरह के व्यवहार से आहत होकर वहां फल खरीद रहे युवक अक्षय अनुपम ने थप्पड़ मारने का विरोध किया। 

 

पुलिस को युवक का विरोध सहन नहीं हुआ, और उसे जबरदस्ती पुलिस वाहन में बैठाकर थाने लाया गया। जहां उसकी बेदम पिटाई की गई। यहीं नहीं पुलिस ने युवक को जबरदस्ती शराब पिलाई और 20 पैकेट गांजा रखने को लेकर झूठी रिपोर्ट बनाने का निर्देश थानेदार ने पुलिसकर्मियों को दिया। थानेदार ने वर्दी का रौब दिखाते हुए पहले तो युवक की सरेराह पिटाई की और फिर जब उससे भी मन नहीं भरा तो पुलिस गाड़ी में भरकर थाने लाकर भी उसकी दम भर पिटाई कर दी। 

 

पिता के आरोप

 

युवक की पिटाई की खबर पर जब पिता थाने पहुंचा तो टीआई ने पिता के सामने ही युवक की दोबारा पिटाई शुरू कर दी। यही नहीं पिता के साथ थाने में धक्का-मुकी करते हुए दुर्व्यवहार भी किया गया। इस पूरी घटना सेे आहत पिता ने आज एक लेटर सोशल मीडिया में वायरल किया है। पोस्ट के मुताबिक पीड़ित के पिता ने कहा कि मेरा बेटा अक्षज अनुपम रात में अपना कैमरा ठीक करवाकर घर लौट रहा था। 

 

रास्ते में करीब 8ः15 बजे अनुपम गार्डन के सामने उसने देखा कि कुछ पुलिस वाले एक फल वाले की पिटाई इसलिए कर रहे थे कि वह कोरोना गाइड लाइन का पालन न करते हुए अपने ठेले पर फल बेच रहा था। मेरे बेटे ने रुककर पुलिस वालों से कहा कि उन्हें इस तरह नहीं पीटना चाहिए। इतने में सरस्वती नगर थाने का थानेदार गौतम गेडाम जीप से नीचे उतरकर पुलिस वालों से कहा इस साले को जीप में पटककर थाने ले चलो। 

 

बेटे का मोबाइल रास्ते में पुलिस वालों ने छीन लिया मुझसे बात भी करने नहीं दिया, न पुलिस ने बतौर गार्जियन मुझे सूचित किया। थाने ले जाकर पुलिस वालों ने उसे जख्मी होते तक मारा। मुझे जैसे-तैसे खबर लगी और मैं भागते हुए एक पत्रकार के साथ सरस्वती नगर थाने पहुंचा। पुलिसवाले तब भी उसे मार रहे थे। मैंने कारण पूछा तो मुझसे भी बदतमीजी की, यहां तक की धक्कामुक्की भी और साथ ही पत्रकार से भी बदतजीमी की और उसका फोन छीनने की कोशिश भी की। 

 

जबरदस्ती केस बनाने के लिए मेरे बेटे के मुंह को खोल कर शराब पिलाने की कोशिश की। थाने लाकर पहले बीस पैकेट गांजा रखने फिर चार पैकेट गांजा रखने की झूठी बात मुझे बताई। मेरा बेटा दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी.ए. ऑनर्स इंग्लिश है वही से उसने सिनेमा में पी.जी किया। वही जॉब भी कर रहा था। कोरोना के कारण मैंने उसे अपने पास रायपुर बुला लिया।

 

मेरा बेटा मेरी तरह किसी गलत बात को सहन नहीं कर सकता, किसी पर भी होने वाले जुल्म को बर्दास्त नहीं कर सकता। कल रात इसलिए अनुपम गार्डन के पास रुककर पुलिस वालों को समझाने की कोशिश की, जिसका अंजाम मेरे बेटे को भुगतना पड़ा। मैं हमेशा छत्तीसगढ़ की पुलिस की प्रशंसा करता रहा हूं। पर इस पुलिस की बर्बरता से मैं बेहद आहत हुआ हूं।

 


पुलिस ने आरोपों का पूरी तरह से किया खंडन 

 

पिटाई मामले में सहित्यकार रमेश अनुपम के सनसनीखेज आरोपों का राजधानी पुलिस ने खंडन किया है। राजधानी पुलिस ने आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताया है। पुलिस ने युवक के पिता की मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोपों की प्रामाणिकता मांगी है, साथ ही ये सवाल भी पूछा है कि आखिरकार इस घटनाक्रम पर घंटो बाद सोशल मीडिया में पोस्ट क्यों किया गया। पुलिस ने आरोपों को खंडन करते हुए कहा है कि शासन के आदेशानुसार सरस्वती नगर थाना पुलिस रोजाना 8 बजे सभी प्रतिष्ठानों को बंद कराने निकलती है। 

 

इस दौरान अक्षत वहाँ पहुँचकर थाना प्रभारी एवं पुलिस के जवानों से आपत्तिजनक शब्दों में बहस करने लगा था। जिसके बाद उस पर वैधानिक कार्रवाई करने के लिए थान ले जाया गया था। अक्षत के पिता द्वारा पुलिस पर जो भी आरोप लगाया गया उसका क्या प्रमाण है। इस तरह के बे बुनियादी आरोप पूरे तरीके से गलत है। पुलिस के पास पूरे कार्रवाई के संपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध है। अगर अक्षत को बल पूर्वक थाना ले जाया गया था, तो इसकी जानकारी उनके पिता को कैसे मिली ?

 

पुलिस पर आरोप लगाया है कि उनके पुत्र को थाना में जबरदस्ती शराब की बॉटल पिलाई जा रही थी, अगर पुलिस ऐसा करती तो अक्षत पर कार्रवाई क्यों नही की, यदि पुलिस की नियत यही थी तो? अगर पुलिस ने उनके सामने ही थान में अक्षत की पिटाई की, तो उन्होंने मौके पर ही इसका विरोध क्यों नही किया, जबकी उन्होंने अपने post में लिखा है वो “ग़लत नही सहते”? मारपीट की शिकायत तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों से क्यों नही की गई, social Media में घंटो बाद जारी करने का आशय?

 

अगर अक्षत को चोटें आई थी, तो उसका सुपुर्तनामा क्यों लिया गया ? तब ही इंकार करना था। इसके प्रमाण भी नही दिए के चोट कैसे आइ, थाने में आइ या पूर्व की चोट है? अक्षत के पिता के पास क्या प्रमाण है, की उनके पुत्र को चोट तात्कालिक है, और उन्हें थाना में ही मारा गया है ? आखिर क्यों पूरी घटना के 18 से 20 घँटे बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट डाला गया है ? 

 

पुलिस पर इस तरह के आरोप पूरे तरीके गलत है। पुलिस ने नियमानुसार पूरी कार्रवाई की है। जिसके साक्ष्य क़ानूनी काग़ज़ में पुलिस के पास मौजूद है। अगर पुलिस की मंशा अक्षत पर जबरदस्ती NDPS कार्रवाई करने की थी,और झूठे गांजा प्रकरण की थी तो case क्यू नही बनाया? इसका मतलब बात तथ्यहीन है।