विज्ञानः अनुसंधान से पता चला है कि जीवन में जितना याद रखना जरूरी है, उतना ही भूलना भी जरूरी है. आप पढ़े मस्तिष्क के रहस्य.

Science: Research has shown that as much as it is important to remember in life.

विज्ञानः अनुसंधान से पता चला है कि जीवन में जितना याद रखना जरूरी है, उतना ही भूलना भी जरूरी है. आप पढ़े मस्तिष्क के रहस्य.
विज्ञानः अनुसंधान से पता चला है कि जीवन में जितना याद रखना जरूरी है, उतना ही भूलना भी जरूरी है. आप पढ़े मस्तिष्क के रहस्य.

NBL, 11/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Science: Research has shown that as much as it is important to remember in life, it is equally important to forget.  You read the secrets of the brain.

इंसानी दिमाग को समझने के लिए दस साल तक चलने वाली करीब 99 अरब रुपए लागत की परियोजना पर काम शुरू हो गया है, पढ़े विस्तार से... 

दुनिया के 135 संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक इस परियोजना में भाग ले रहे हैं जिसका नाम है ‘दि ह्यूमन ब्रेन प्रोजेक्ट’ (एचबीपी)। इनमें से ज्यादातर वैज्ञानिक यूरोपीय हैं। इसका उद्देश्य एक ऐसी तकनीक विकसित करना है जिससे दिमाग की कंप्यूटर से नकल तैयार की जा सके।सि र्फ परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के लिए ही नहीं, रोजमर्रा के जीवन के लिए भी याददाश्त एक जरूरी चीज है। इसके बिना इंसान का कोई अस्तित्व नहीं है। लेकिन, इसके उलट भूलने को एक बीमारी माना जाता है। हालांकि, अनुसंधान से पता चला है कि भूलना अच्छा है। जीवन में जितना याद रखना जरूरी है, उतना ही भूलना भी जरूरी है। अगर आप बुरे दिनों को भूलेंगे नहीं तो जीवन नरक हो जाएगा। लोग अक्सर भयानक हादसे को याद करके बीमार हो जाते हैं। अच्छा यही होगा कि आप ऐसी घटनाओं को भूल जाएं। दरअसल, हमारा दिमाग यादों और जानकारियों का ऐसा जाल बना लेता है जिसमें हम जीवन भर उलझ कर रह जाते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों के निशाने पर दिमाग है। मानव मस्तिष्क ही वह अहम चीज है जिसने हमें दूसरे जीवधारी से अलग कर रखा है।

इंसानी दिमाग को समझने के लिए दस साल तक चलने वाली करीब 99 अरब रुपए लागत की परियोजना पर काम शुरू हो गया है। दुनिया के 135 संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक इस परियोजना में भाग ले रहे हैं जिसका नाम है ‘दि ह्यूमन ब्रेन प्रोजेक्ट’ (एचबीपी)। इनमें से ज्यादातर वैज्ञानिक यूरोपीय हैं। इसका उद्देश्य एक ऐसी तकनीक विकसित करना है जिससे दिमाग की कंप्यूटर से नकल तैयार की जा सके।

यह हर साल प्रकाशित हजारों न्यूरोसाइंस के शोधपत्रों से दिमाग पर शोध के आंकड़ों का डाटाबेस भी तैयार करेगा। ह्यूमन ब्रेन प्रोजेक्ट पूरी तरह नई कंप्यूटर साइंस टेक्नोलॉजी बनाने की कोशिश है ताकि हम सालों से दिमाग के बारे में जुटाई जा रही सारी जानकारियों को एकत्र कर सकें। इस परियोजना को यूरोपीय संघ भी आर्थिक सहायता दे रहा है। परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक मानते हैं कि वर्तमान कंप्यूटर तकनीक दिमाग की जटिल क्रियाओं की नकल करने में सक्षम नहीं है। लेकिन एक दशक के अंदर ही सुपरकंप्यूटर इतने ताकतवर हो जाने चाहिए कि इंसानी दिमाग की पहली नकल का प्रारूप तैयार हो सके।

दरअसल, आदमी का दिमाग एक अद्भुत मायालोक है, हालांकि हम जानते हैं कि हमारे दिल का धड़कना, सांस लेना, अंग संचालन, व्यवहार, स्मृति, भावनाएं, कामनाएं, अवधारणाएं, कलाएं, सौंदर्य शास्त्र और हमारा दर्शनशास्त्र आदि दिमाग से ही निकलते और नियंत्रित होते हैं। आज हम मोटे तौर पर दिमाग के उन हिस्सों को जानते हैं जिनसे हमारा बोलना-चालना, हाथ पैरों का चलना वगैरह नियंत्रित होता है, लेकिन फिर भी न्यूरो साइंस यानी मस्तिष्क संरचना और संचालन का विज्ञान अभी अपनी शैशव अवस्था में ही है।

आम धारणाओं के विपरीत एक से डेढ़ किलो के बीच का औसत भार वाला वयस्क दिमाग बेहद कोमल होता है, कुछ-कुछ जैली की तरह और सुर्खलाल। एक दिमाग एक सेकेंड में सौ खरब संकेतों को प्रोसेस कर सकता है। जाहिर है दुनिया का कोई कंप्यूटर आज ऐसा करने में सक्षम नहीं। आज एमआरआई के जरिए हम दिमाग की मोटी-मोटी गतिविधियों को देख सकते हैं। लेकिन सोचने-समझने जैसी उच्च क्रियाओं में दिमाग कैसे काम करता है, यह ठीक-ठीक मालूम नहीं। दिमाग में लाखों-करोड़ों न्यूरॉन या तंत्रिकाएं हैं।

उनके बीच क्या आपसी संबंध है, वे कैसे काम करती हैं, यह हमें ठीक-ठीक मालूम नहीं, लेकिन यह सही है कि न्यूरो साइंस के जरिए पता चल रहा है कि दिमाग के अन्दर क्या.क्या घट रहा है। दरअसल वैज्ञानिक नजरिए से देखिए तो हम क्या हैं? कई रसायनों और प्रणालियों का एक चलता-फिरता कारखाना बस। जटिल जीवन की एक मामूली कड़ी जो डीएनए के जरिए अपने माता-पिता से जुड़ी है।

एक आम आदमी के दिमाग का वजन तीन पाउंड यानी एक किलोग्राम पांच सौ ग्राम तक होता है। इंसान का दिमाग 75 फीसद से ज्यादा पानी, 10 फीसद फैट और 8 फीसद प्रोटीन से बना होता है। यह शरीर का सब से ज्यादा चरबी वाला अंग है। मानव मस्तिष्क कंप्यूटर से भी ज्यादा तेज प्रतिक्रिया करता है जिस के कई रहस्य आज भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं।

इस के कई रहस्यों से परदा हटना अभी बाकी है। इंसानी दिमाग रक्तचाप, धड़कन, हार्ट रेट और सांस लेने की प्रक्रिया को सामान्य रखता है। वह शरीर के सभी अंगों को कंट्रोल करता है। दिमाग का दायां हिस्सा शरीर के बाएं भाग को तथा बायां हिस्सा शरीर के दाएं भाग को नियंत्रित करता है। शरीर के अलग अलग हिस्सों की सूचना अलग रफ्तार से दिमाग तक पहुंचती है।

ऐसा माना जाता है कि एक दिन में बीस हजार बार पलक झपकाने के कारण हम दिन में तीस मिनट तक अंधे रहते हैं। हमारा दिमाग लगभग छह मिनट तक आॅक्सीजन न मिलने पर भी रह सकता है, लेकिन इससे ज्यादा समय होने पर उसके डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप, मछली, उभयचर आदि जानवरों में दिमाग होता है। लेकिन मानव मस्तिष्क अद्वितीय है। यह सब से बड़ा तो नहीं है, लेकिन यह हमें हर बात की कल्पना और समस्या को हल करने की शक्ति देता है। यह एक अद्भुत अंग है।

दरअसल शरीर एक मंत्रालय है, तो मस्तिष्क उसका प्रधानमंत्री। इस की मर्जी के बिना शरीर का कोई भी हिस्सा सही प्रकार से काम नहीं कर सकता। अत्यधिक मानसिक परिश्रम और थकान, पाचन संस्थान की गड़बड़ी, शारीरिक और मानसिक दुर्बलता या किसी लंबी बीमारी के चलते मस्तिष्क पर असर पड़ने लगता है और हमारी स्मरणशक्ति कम हो जाती है। मस्तिष्क की शक्ति को हमारे छात्र ऐसे बढ़ा सकते हैं। बादाम में आयरन, कॉपर, फॉस्फोरस और विटामिन बी पाए जाते हैं। इसलिए बादाम मस्तिष्क, दिल और लिवर को ठीक से काम करते रहने में मदद करता है।

मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाने के लिए पांच बादाम रात को पानी में भिगो दें। सुबह छिलके उतार कर बारीक पीस कर पेस्ट बना लें। अब एक गिलास दूध और उसमें इस पेस्ट को और दो चम्मच शहद को डाल कर पी लें। यह मस्तिष्क के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। आपकी यादाश्त अच्छी रहेगी और पढ़ाई में मन लगेगा।
रूस के मस्तिष्क विज्ञानी सरगेई येफ्रेमोव के एक शोध के मुताबिक अपनी मस्तिष्क क्षमता का सिर्फ पचास प्रतिशत उपयोग कर सकें तो आप एक दर्जन भाषाएं सीख सकते हैं, एक दर्जन से अधिक यूनिवर्सिटियों से पीएचडी कर सकते हैं और एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के बाईस वॉल्यूम कंठस्थ कर सकते हैं।

दिमाग की रिजर्व क्षमता का प्रयोग कैसे किया जाए? इस पर आजकल बहुत शोध चल रहे हैं। विद्वान रॉबर्ट कॉलियर कहते हैं कि आप कुछ नहीं, बस दिमाग में जो विचार आता हो, उससे लाभ लेने का संकल्प कीजिए। उससे अपने लिए काम करवाएं। हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए अपने भीतर छिपे संसाधनों के दोहन के लिए। चीजों को बेहतर बनाने पर विचार करें और उस पर अमल करें। बस अमल करते जाएं, आप पाएंगे आपकी गाड़ी रफ्तार पर है। आप खुद को पहले से ज्यादा ऊर्जावान भी महसूस करेंगे और क्लास में सबसे तेज भी। १