CG:अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बेमेतरा के तत्वाधान में मानवता के लिए योग विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया




संजू जैन:7000885784
बेमेतरा:अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वाधान में मानवता के लिए योग विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिलहरण तिवारी जिला प्रभारी पतंजलि योग समिति बेमेतरा एवं अन्य अतिथियो के उपस्थिति में शुभारंभ हुआ सर्वप्रथम दिव्य प्रज्वल्लित किया गया ततपश्चात मुख्य अतिथि,अतिथि यो का बैंच लगाकर स्वागत किये एवं समापन में मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथि यो को स्मृति चिंह भेंट करके सम्मान किये
इसमें संस्थान के जिला प्रभारी ब्रह्माकुमारी बी के शशि दीदी ने कहा की चारों ओर चल रहे हिंसात्मक कृत्यों को देखते हुए, वर्तमान समय में मानवीय मूल्यों की बेहद आवश्यकता महसूस हो रही है।योग हमारे मानवीय मूल्यों को बढ़ाने में मदद करता है।इसके अंदर दया करुणा क्षमा रहम त्याग समर्पण सम्मान प्रेम शांति आदि मूल्यों का समावेश है।योग कुछ घंटे या मिनट बैठकर करने का कार्य नहीं वास्तव में योग एक नियमित और अनुशासित उपाय है खुशनुमा जीवन जीने का।
ब्रम्हाकुमारी शशि दीदी ने बताया कि हमें केवल 21 जून को ही नहीं, लेकिन प्रतिदिन आध्यात्मिक ज्ञान, मेडिटेशन ,फिजिकल एक्सरसाइज, प्राणायाम आदि करना ही चाहिए। संपूर्ण योग माना महर्षि पतंजलि ने जो अष्टांग योग हमें बताया ,जिसके आठ अंग है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि इन सभी अंगों को हमें जीवन में लाना होगा।आज हमने यम नियम को छोड़कर आसन प्राणायाम को ही सब कुछ मान लिया है।आसन और प्राणायाम योग की प्रारंभिक अवस्था है।आवश्यकता है यम नियम माना अपने अंदर बाहर की शुद्धि पहले की जाए।फिर आसन प्राणायाम से लेकर ध्यान से समाधि तक की संपूर्ण यात्रा करनी होगी।अन्यथा योग का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।उन्होंने ध्यान करा कर गहन शांति का अहसास व समाधि की अवस्था का अनुभव भी कराया। योग का महत्व समझाने के लिए प्रेरणादाई ड्रामा की प्रस्तुति की गई।सूर्य नमस्कार व म्यूजिकल एक्सरसाइज भी कराया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिलहरण तिवारी ने सभी को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई देते हुए योग दिवस पर संदेश देते हुए योग के प्रकार एवं उसके अर्थ को स्पष्ट किया, तिवारी जी ने बताया कि योग तीन प्रकार के हैं पहला तो योग अर्थात जिसे हम गणितीय भाषा में कहें कि इसमें इतने का योग करो, हमारी भारतीय संस्कृति भी सदा से ही सब को जोड़ने व जुड़ने में विश्वास रखती है अतः भारतीय संस्कृति योग संस्कृति है
दूसरा योग का अर्थ होता है अपने श्वास प्रश्वास को जोड़ना अर्थात आत्मा को परमात्मा से जोड़ना अर्थात जीवत्त्व को ईश्वरत्त्व से जोड़ना,इसीलिए योग के माध्यम से कुंडलियों का जागरण किया जाता है योग केवल शरीर के लिए ही नहीं बल्कि आत्म कल्याण के लिए भी आवश्यक हैऔर तीसरा है जो योग की परिभाषा को परिलक्षित करते हुए योग महर्षि पतंजलि और चरक ने आयुर्वेद के सिद्धांत पर कहा है कि शरीर को जिस तरह भोजन,जल,वायु और विभिन्न प्रकार के भौतिक संसाधनों की आवश्यकता होती है वैसे ही आत्म तत्व को भी योग की आवश्यकता होती है| वह जो ईश्वर से दूरी को नजदीक कर दे, परमात्मा के दुर्लभ तत्व को भी हमें हृदयगमन करवा दे वह योग है|ऐसे क्रिया योग,भक्ति योग, ज्ञान योग,तपस्या योग,सुलभ योग,कर्मयोग का अनुसरण हमें करना चाहिए इसीलिए योग दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि जिस हेतु इस धरती पर हम आए हैं उससे जुड़ना ही हमारा जीवन का लक्ष्य हो
इस कार्यक्रम में.भरत साहु जिला प्रभारी भारत स्वाभिमान ट्रस्ट एवं योग है योग छत्तीसगढ़, रीना साहु जिला प्रभारी महिला पतंजलि योग समिति बेमेतरा, नारद साहु जिला प्रभारी युवा भारत बेमेतरा , डा.एस.गोराई योग शिक्षक बेमेतरा ,ताराचंद माहेश्वरी वरिष्ठ समाज सेवी, कुलदीप एवं जनप्रतिनिधि सहित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बेमेतरा दीदी,भैय्या लोग उपस्थित रहे