मन को बस में करने की युक्ति सन्त बताते हैं




ऋषि, मुनि, योगी, यति योग तपस्या कर ऊपरी लोकों में फंस गए, उनको अभी भी नहीं मिला मनुष्य शरीर
आपके पास दोनों विकल्प हैं मनुष्य शरीर भी और मौजूदा सतगुरु भी, उनसे रास्ता लेकर अपना काम बना लो
उज्जैन (मध्य प्रदेश)। इस झूठी दुनिया को ही सच और सब कुछ मानकर दिन-रात इसकी नश्वर चीजों को कमाने में लग कर अपना अमूल्य मानव जीवन गवांने वाले मनुष्य को उच्च कोटि का सतसंग सुनाकर समय रहते जगाने-चेताने वाले, निर्वाण प्राप्ति का मार्ग नामदान की दौलत देने वाले इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 7 मई 2022 सायंकाल को उज्जैन आश्रम से एनआरआई संगत को दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित लाइव ऑनलाइन संदेश में बताया कि उस प्रभु ने पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों को बनाने के साथ-साथ मनुष्य को भी बनाया। मां-बाप जैसा या साथी के अनुरूप मनुष्य का भी स्वभाव बन जाता है। माता-पिता का असर साथ रहने वाले बच्चे पर आता है। बच्चा जब थोड़े समय के लिए अलग हो जाता है, पढ़ाई या नौकरी में मिले साथ के अनुसार उसका स्वभाव बन जाता है। कुछ स्वभाव तो पूर्व जन्मों का संस्कार बनाता है लेकिन ज्यादातर आदमी जहां रहता है उससे उसका आदत स्वभाव बन जाता है।
इस समय खाने-पीने, मौज-मस्ती, पैसा कमाने में आदमी मस्त है, मौत को ही भूल रहा है
आजकल लोगों की आदत स्वभाव बन गया, सुबह उठना, दैनिक क्रिया करना, नाश्ता-पानी करके नौकरी खेती दुकान दफ्तर की ड्यूटी चले जाना आदि। जब कोई महात्मा सन्त मिलते हैं, सतसंग सुनता है तब कुछ याद आती है, समझ में आता है। नहीं तो इस समय पैसा-नाम कमाने, बाल बच्चों की सेवा, देख-रेख में ही आदमी मस्त है, मौत को भूल रहा है। जबकि मौत सत्य है। आनी ही आनी है। लेकिन उस चीज को भूला हुआ है। मौत को बराबर याद करने की जरूरत है। मौत के समय कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती।
जैसे आप एनआरआई विदेश को अपना घर समझने लग गए, सच पूछो तो आपका घर यहां नहीं है
सन्त, महात्मा जब आए, लोगों को चेताया कि सब छोड़ कर के जाना है। अपने घर को बराबर याद रखो। दुनिया की चीजें तुम्हारे काम आने वाली नहीं है। यह मुसाफिर खाना है। दुनिया संसार अपना घर नहीं है। आप (एनआरआई) भारत देश के रहने वाले, विदेशों में रहने लग गए, उसको अपना घर समझने लग गए लेकिन याद आता है। आप भारत में रहो या किसी भी देश में रहो, वो तो आपको एक दिन छोड़ना ही पड़ेगा। ऐसे ही सच पूछो तो आपका घर यहां नहीं है। आप चाहे विदेश से भारत में आ जाओ लेकिन यह भी घर आपका नहीं है।
आप बहुत भाग्यशाली हो कि आपको देव दुर्लभ मनुष्य शरीर मिला
आपका घर सतलोक हैं, इसका भेद सन्तों ने खोला। इसे याद रखो। वह अगर याद नहीं आएगा, वहां जाने का कोई उपाय नहीं करोगे तो फंस जाआगे। बहुत से फंस गए हैं। ऋषि मुनि योगी यति, बहुत लोग आए, योग तपस्या किया, ऊपरी लोकों में चले गए लेकिन अब भी फंसे हुए हैं, मनुष्य शरीर ही नहीं मिला उनको। मनुष्य शरीर जब मिलेगा तभी उनका मुक्ति-मोक्ष हो पाएगा क्योंकि मुक्ति-मोक्ष का दरवाजा इसी मनुष्य शरीर में ही है। आपको अपने को भाग्यशाली समझना चाहिए कि हमको उस प्रभु ने मनुष्य शरीर दिया है। जब सतसंग सुनते रहोगे, सन्तों के आस-पास आते-जाते रहोगे तब आपका काम हो पाएगा।
नामदान मिलते हुए भी नाम की कमाई क्यों नहीं हो पाती
क्योंकि वह चीज तो भाव में नहीं आती है। नाम जपने, नाम की कमाई भजन, ध्यान, सुमिरन करने के लिए मन कहता नहीं है। क्योंकि मन दूसरी जगह दुनिया की चीजों, इंद्रियों के भोग में लगा हुआ है। यह मानव मंदिर है। आप इसको अपने स्वभाव वश गंदा कर दे रहे हो। नापाक शरीर इस लायक नहीं रहता है। शरीर से आदमी बैठ ही नहीं पाता। अगर शरीर को साफ और खान-पान का परहेज रखता, मांसाहारी के यहां खाता-पीता नहीं है, मांसाहारियो से, बुरे कर्म वालों से दूर रहता है तब शरीर तो बैठता है लेकिन मन पापी भागता रहता है। कर्म आ जाते हैं, वह बैठने नहीं देते। ऐसी इच्छा पैदा कर देते हैं कि भजन में मन नहीं लगता है। मन तो एक ही है। जहां रहेगा वहीं जाएगा। भजन करने में मन भाग गया तो मेहनत बेकार जाती है इसलिए मन को दुरुस्त करना जरूरी होता है।
मन को बस में करने की युक्ति सन्त बताते हैं
मन कैसे बस में आएगा? कैसे रुकेगा? इसकी युक्ति सन्त बतलाते हैं। सतसंग के वचन की मार जब जीव के ऊपर पड़ी तब जीव को होश आया नहीं तो जीव यहां पर फंसा हुआ है, कुछ याद, ज्ञान ही नहीं कि हमारा भी घर, पिता, वतन है। इच्छा, तड़प ही नहीं जगती है प्रभु से मिलने की। जीव को अपने घर पहुंचाने के लिए सन्त बहुत से काम करते हैं। तो आप सब भी अपना असली निशाना लक्ष्य बनाओ।
सन्त उमाकान्त जी के वचन
समझलो! निर्मित ऑक्सीजन जब नहीं मिलेगी तब बगीचा और जंगलों की ऑक्सीजन से ही जीवन दान मिलेगा। ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाइए, आगे इसकी भारी जरूरत पड़ेगी। पीपल, एलोवेरा, तुलसी, नीम, मनी प्लांट, एरिका पाम, क्रिसमस कैक्टस, स्नेक ट्री, आरेंज जरबेरा, आर्किड इन पौधो को लगाइये, ये रात दिन ऑक्सीजन देते हैं। सन्त सतगुरु के बताए वचनों पर कभी शंका नहीं करना चाहिए। पैदा होने से पहले जो मां के स्तन में दूध भरता है, उस मालिक पर भरोसा करो, पेट के लिए ईमान और धर्म मत बेचो।