Sahara India Scam: सहारा में फंसे पैसें पर आया बड़ा अपडेट, कंपनी ने बताया-कहां गई आपकी रकम...जनिए कब मिलेगा पैसा..
Sahara India Scam : अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने SIRECL और SHICL को सेबी के साथ निवेशकों का पैसा तीन महीने के अंदर 15 फीसद ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया था. साथ ही सेबी को सभी ओएफसीडी धारकों की डिटेल प्रदान करने को भी कहा गया. Sahara India Scam




Sahara India Scam
Sahara India Scam : सहारा सेबी विवाद (Sahara SEBI Case) फिर से सुर्खियों में है। इसके साथ ही उन लोगों के ज़ख्म फिर से हरे हो गए हैं, जिन्होंने सहारा ग्रुप (Sahara Group) की कंपनियों में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा लगाया, लेकिन रिटर्न में कुछ नहीं मिला। गुरुवार को मध्य प्रदेश के दतिया से एक पुलिस टीम सहारा समूह के अध्यक्ष सुब्रत रॉय (Subrata Roy) और निदेशक मंडल के सदस्यों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट लेकर लखनऊ पहुंची। (Sahara India Scam)
यह वारंट साल 2020 में दर्ज हुई एक एफआईआर से जुड़ा है। दतिया पुलिस को 14 ऐसी शिकायतें मिली थीं, जिनमें कहा गया कि कंपनी उनका पैसा नहीं लौटा रही है। देश में ऐसे कई लोग हैं, जिनका पैसा ना तो सहारा और ना ही सेबी (SEBI) ने वापस लौटाया है। जिनका मोटा पैसा फंसा हुआ है, वे तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाकर अपना पैसा वापस पाने में लगे हैं, लेकिन जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है, वे पूरी तरह भगवान भरोसे बैठे हुए हैं। तो आइए जानते हैं कि आखिर यह सहारा विवाद कैसे शुरू हुआ।(Sahara India Scam)
सहारा ग्रुप की दो कंपनियों से जुड़ा है विवाद :
सहारा इंडिया (Sahara India) की शुरूआत साल 1978 में हुई थी। सहारा स्कैम (Sahara scam) मुख्य रूप से सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल ऐस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) से जुड़ा है। बात 30 सितंबर, 2009 की है। सहारा ग्रुप की एक कंपनी सहारा प्राइम सिटी ने अपने आईपीओ के लिए सेबी में आवेदन (DRHP) दाखिल किया था। डीआरएचपी में कंपनी से जुड़ी सारी अहम जानकारी होती है। जब सेबी ने इस डीआरएचपी का अध्ययन किया, तो सेबी को सहारा ग्रुप की दो कंपनियों की पैसा जुटाने की प्रक्रिया में कुछ गलतियां दिखीं। ये दो कंपनियां SHICL और SIRECL ही थीं(Sahara India Scam)
सहारा ने अपने पत्र में कही यह बात:
सहारा की तरफ से विभिन्न समाचार पत्रों में जारी पत्र में लिखा गया कि वह (सहारा) भी सेबी से पीड़ित है। हमसे दौड़ने के लिए कहा जाता है लेकिन हमें बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है। सहारा का कहना है कि निवेशकों का पैसा अब सेबी का पास है।(Sahara India Scam)
कौन हैं सुब्रत रॉय :
बिहार के अररिया जिले के रहने वाले सुब्रत रॉय ने अपना कारोबार 1978 में 2,000 रुपये की रकम लगाकर यूपी के गोरखपुर से शुरू किया था. उन्होंने लोगों से पैसा जमा करने की एक स्कीम से शुरुआत की. इस पर 1979-80 में पाबंदी लग गई और तुरंत पैसा वापस करना पड़ा. फिर उन्होंने हाउसिंग फाइनेंस कंपनी शुरू की, जिसके लिए बाजार से पैसा उगाहने की कोई सीमा नहीं थी. उनका यह काम चल निकला. बढ़ते-बढ़ते सहारा देश की टॉप की कंपनियों में शामिल हो गई. एक समय सहारा की कंपनियों में इंडियन रेलवे के बाद सबसे ज्यादा कर्मचारी काम करते थे.(Sahara India Scam) I
2013 में टाइम मैगजीन ने सहारा को भारतीय रेलवे के बाद दूसरी सबसे ज्यादा नौकरी देने वाली संस्था बताया था. इंडिया टुडे ने उनका नाम देश के 10 सबसे ताकतवर लोगों में शामिल किया था.(Sahara India Scam)
OFCD के जरिए निवेशकों से जुटाए 24,000 करोड़ :
इसी दौरान 25 दिसंबर 2009 और 4 जनवरी 2010 को सेबी को दो शिकायतें मिलीं। इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCDs) जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है। इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई। इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी। सेबी ने पाया कि SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढ़ाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। सेबी ने सहारा की इन दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने का आदेश दिया और कहा कि वह निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाए।(Sahara India Scam)
फिर शुरू हुआ अदालती कार्रवाई का दौर..
इसके बाद अदालती कार्रवाई का दौर शुरू हो गया। मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। ऐसे भी संभावना जताई गई कि सहारा ग्रुप द्वारा काले धन को छिपाने के लिए बड़े स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने जब फंड के सोर्स के बार में सबूत मांगे, तो समूह कोर्ट को संतुष्ट करने में विफल रहा।(Sahara India Scam)
तीन महीने में 15% ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश :
अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों कंपनियों को सेबी के साथ निवेशकों का पैसा तीन महीने के अंदर 15 फीसद ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया। साथ ही सेबी को सभी ओएफसीडी धारकों की डिटेल प्रदान करने को भी कहा गया। इसके बाद सहारा 127 ट्रक लेकर सेबी के ऑफिस पहुंचा, जिसमें निवेशकों की डिटेल्स थीं। लेकिन इन फाइल्स में निवेशकों की पूरी जानकारी नहीं थी। इससे मनी लॉन्ड्रिंग का शक बना रहा। सहारा सेबी को तीन महीने में 15 फीसद ब्याज के साथ पैसा जमा कराने में नाकाम रहा।(Sahara India Scam)
इस तरह कानून के शिकंजे में आया सहारा ग्रुप :
समय के साथ, सुप्रीम कोर्ट और सेबी दोनों ही इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग की तरह लेने लगे। उन्होंने सहारा इंडिया के बैंक अकाउंट और संपत्ति को फ्रीज करना शुरू कर दिया। 26 जनवरी, 2014 को सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार हुए। नवंबर 2017 में ईडी ने सहारा ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चार्ज किया। इस तरह सहारा ग्रुप पूरी तरह कानून के शिकंजे में आ गया।(Sahara India Scam)
सहारा ने अब तक सेबी को जमा कराए सिर्फ 15,503.69 करोड़ :
सहारा ने सेबी को पहली किस्त 5120 करोड़ रुपये की जमा कराई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार सहारा समूह की कंपनियों- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन एवं सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन और उनके प्रवर्तकों एवं निदेशकों ने सेबी को कुल 15,485.80 करोड़ रुपये ही जमा कराए हैं। हाल ही में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद में कहा था, ‘सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) ने 232.85 लाख निवेशकों से 19400.87 करोड़ रुपये और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) ने 75.14 लाख निवेशकों से 6380.50 करोड़ रुपये जुटाये थे। सुप्रीम कोर्ट के 31.08.2012 के बाद के आदेशों के अनुसार, SIRECL और SHICL ने निवेशकों से जुटाई गई 25,781.37 करोड़ की मूल राशि के मुकाबले 31 दिसंबर, 2021 तक ‘सेबी-सहारा रिफंड’ खाते में 15,503.69 करोड़ रुपये ही जमा किए हैं।(Sahara India Scam)
सेबी ने सिर्फ इतना पैसा ही लौटाया :
सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि सेबी सहारा इंडिया के निवेशकों को अब तक केवल 138.07 करोड़ रुपये ही लौटा पाया है। वित्त राज्यमंत्री ने बताया कि सेबी को 81.70 करोड़ रुपये की कुल मूल राशि के लिए 53,642 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट या पास बुक से जुड़े 19,644 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से सेबी ने 48,326 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट या पासबुक वाले 17,526 योग्य बॉन्डधारकों को 138.07 करोड़ रुपये की राशि रिफंड की।(Sahara India Scam)
सेबी क्यों नहीं लौटा पा रही पैसा :
सेबी द्वारा निवेशकों को उनका पैसा नहीं लौटा पाने के पीछे दलील दी जा रही है कि दस्तावेजों और रिकॉर्ड में निवेशकों का डाटा ट्रेस नहीं हो पा रहा है। सरकार द्वारा बताया गया कि सेबी के पास रिफंड के लिए आए कई आवेदन या तो SIRECL और SHICL द्वारा उपलब्ध कराये गए दस्तावेजों और डाटा में रिकॉर्ड ट्रेस नहीं हो पाने के कारण अथवा सेबी द्वारा पूछे गए प्रश्नों को लेकर बांडधारकों से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होने के कारण बंद कर दिए गए हैं। वहीं, जिन लोगों का पैसा SIRECL और SHICL से कन्वर्जन कराकर सहारा क्यू शॉप (Sahara Q Shop) या सहारा की अन्य क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज में उलझा दिया गया, उनकी मुश्किलें और भी ज्यादा हैं। अब देखना यह है कि सरकार निवेशकों के हित में कोई ठोस कदम उठा पाती है या नहीं।(Sahara India Scam
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