Sahara India Chief Subrata Roy: सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला…पढ़िए latest Update….
Sahara India Chief Subrata Roy: देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार रही सहारा इंडिया में देश के करोड़ों लोगो ने निवेश किया था, परन्तु कंपनी के कामकाज में पारदर्शिता ना होने और वित्तीय अनियमितता के कारण लोगो के पैसे फँस गए हैं। अब पटना हाईकोर्ट ने सहारा इंडिया के कई स्कीमों में निवेशकों द्वारा जमा किये गए पैसों के भुगतान को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रत राय को हाजिर होने का आदेश दिया था।




Sahara India Chief Subrata Roy: Supreme Court gave a big decision to Sahara chief Subrata Roy
Sahara India Chief Subrata Roy: लेकिन, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) न कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय (Sahara Chief Subrata Roy) को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश देकर पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अन्य लोगों की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान इस तरह का आदेश जारी करके उच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा लांघी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुब्रत रॉय उस मामले में आरोपी नहीं थे, जो पटना उच्च न्यायालय के समक्ष था।
Sahara India Chief Subrata Roy यह गलत चलन है, जो बढ़ रहा है:
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि यह गलत चलन है, जो बढ़ रहा है। जमानत के लिए दायर याचिका में आप उन मामलों की जांच करते हैं जो जमानत पर विचार के लिए अप्रासंगिक हैं। जमानत के लिए यह कैसे प्रासंगिक हो सकता है? या तो आप जमानत खारिज करें या मंजूर करें। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें निवेशकों का पैसा वापस नहीं करने को लेकर बिहार के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वह सहारा प्रमुख को अदालत के समक्ष निजी तौर पर पेश करें। पीठ ने आज की सुनवाई के दौरान कहा कि उच्च न्यायालय को अन्य मुकदमों में इस तरह के आदेश पारित करने चाहिए थे, न कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 438 के तहत अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते वक्त।(Sahara India Chief Subrata Roy)
सीआरपीसी की धारा 438 गिरफ्तारी की आशंका से बचने के लिए जमानत के निर्देश से संबंधित है। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर ने कहा,अपने 22 साल के अनुभव में मैंने एक चीज सीखी है कि यह आपके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। पीठ ने कहा, हम यह नहीं कह रहे हैं कि उच्च न्यायालय ऐसा नहीं कर सकता। यह (अदालत) कर सकता है, लेकिन उचित प्रारूप और अधिकार क्षेत्र के तहत। (धारा) 438 में नहीं।(Sahara India Chief Subrata Roy)
Sahara India Chief Subrata Roy सुब्रत रॉय निवेशकों का पैसा कैसे लौटाएंगे:
बिहार सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने ने रॉय को अभियुक्त नहीं बनाया है। उन्हें योजना पेश करने को कहा है कि आखिरकार वह निवेशकों का पैसा कैसे लौटाएंगे। पीठ ने कहा हम केवल यह कह रहे हैं कि ऐसा (धारा) 438 के तहत नहीं किया जाना चाहिए था। न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत का अनुरोध किया था और अदालत को केवल इस मामले पर विचार करना चाहिए था कि क्या जमानत मंजूर करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं।(Sahara India Chief Subrata Roy)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यदि इस तरह का आदेश सत्र अदालत की ओर से दिया जाता तो उच्च न्यायालय उस सत्र न्यायाधीश को आड़े हाथों लेता और यहां तक कि उसे न्यायिक अकादमी में जाने की सलाह भी देता। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए स्थगित कर दी।(Sahara India Chief Subrata Roy)