RBI Rules : काम की खबर! लोन नहीं भरने पर क्या अब गारंटर को भरना होता है पूरा पैसा, क्या मिलती है मोहलत, ये है RBI ने नियम, जाने सबकुछ...
RBI Rules: Useful news! Now if the loan is not repaid, does the guarantor have to pay the entire amount? What is the moratorium? This is the rule of RBI, know everything... RBI Rules : काम की खबर! लोन नहीं भरने पर क्या अब गारंटर को भरना होता है पूरा पैसा, क्या मिलती है मोहलत, ये है RBI ने नियम, जाने सबकुछ...




RBI Rules :
नया भारत डेस्क : लोन लेने वाले सभी लोग उधार का पैसा नहीं चुका पाते. कुछ लोगों की मजबूरी होती है तो कुछ लोग जानबूझ कर डिफॉल्ट करते हैं. डिफॉल्ट करने वाले लोगों को लगता है कि कार्रवाई होगी भी तो वे उसे देख लेंगे. अमूमन लोग बैंकों या गैर-वित्तीय संस्थाओं के पैसे चुका देते हैं क्योंकि उन्हें कार्रवाई का डर होता है. लोन लेना मजबूरी है तो कही-कहीं जरूरी भी. होम लोन(home loan) लेकर घर बनाते हैं. (RBI Rules)
और वही ऑटो लोन लेकर हम गाड़ी खरीदते हैं. दोनों की जरूरतें अलग-अलग हैं. फिर उस लोन पर ब्याज भरते हैं. जो लोग ब्याज और मूलधन का पैसा नहीं चुकाते, वे डिफॉल्ट घोषित हो जाते हैं. क्या लोन नहीं चुकाने या डिफॉल्टर घोषित होने पर बहुत बड़ी आफत आ जाती है? यह पूरी तरह से लोन लेने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है. जो लोग लोन डिफॉल्टर के रूल और अपने अधिकार जानते हैं, वे बैंकों या गैर-वित्तीय संस्थानों के सामने मजबूती से अपनी बात रखते हैं. वे बताते हैं कि अभी पैसा क्यों नहीं लौटा पा रहे और भविष्य में उधार का पैसा लौटा देने की वे मंशा रखते हैं. (RBI Rules)
डिफॉल्ट होने पर दो तरह की मुश्किल होती है. पहला, क्रेडिट स्कोर निगेटिव(credit score negative) में चला जाएगा. लोन लेने और उसे नहीं चुकाने पर आपके क्रेडिट से जुड़ी सभी जानकारी सिबिल को भेज दी जाती है. ये सूचनाएं और भी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी को दी जाती हैं. इससे आगे लोन लेने में दिक्कत आएगी. अगर आपने लोन लेने के लिए कोई प्रॉपर्टी बंधक रखी है तो बैंक उसे कैप्चर कर सकता है. बाद में उसकी नीलामी भी कराई जा सकती है. (RBI Rules)
क्या मिलती है मोहलत
ऐसा नहीं है कि लोन नहीं चुकाने पर हाथों हाथ कार्रवाई शुरू हो जाती है. बैंकों की तरफ से इसकी कुछ मोहलत मिलती है. सबसे पहले तो उधार लेने वाले व्यक्ति को एक नोटिस भेजा जाता है जिसमें लोन और ब्याज की राशि का जिक्र होता है. अगर बैंक को लगता है कि उधारकर्ता जानबूझ कर कर्ज नहीं चुका रहा, पैसे रहते हुए समय पर ईएमआई नहीं चुकाई गई या रीपेमेंट नहीं किया गया, तो बैंक कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है. (RBI Rules)
लोन लेने वाले व्यक्ति के साथ कोई गारंटर है तो बैंक पहले उससे संपर्क करता है. इसके लिए गारंटर एग्रीमेंट होता है. इसमें लिखा जाता है कि लोन लेने वाला आदमी उधार चुकाने में डिफॉल्ट करता है तो गारंटर को पैसा भरना होगा. बैंक अपनी कार्रवाई पहला रीपेमेंट नहीं चुकाने पर ही शुरू कर देते हैं. लेकिन यह कार्रवाई कितनी गंभीर हो सकती है, वह बैंक और कस्टमर के बीच पनपे विवाद या रिश्ते पर निर्भर करता है. (RBI Rules)
शुरुआती कोशिशें जब नाकाम हो जाती हैं, तभी बैंक कानूनी कार्रवाई शुरू करते हैं. अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, कोई हादसा जाए या गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो बैंक रीपेमेंट में मोहलत देता है. यह मोहलत उधार लेने वाले व्यक्ति (यदि दुर्घटना हो जाए या गंभीर तबीयत खराब) और उसके परिवार को मिलती है. रिजर्व बैंक का साफ कहना है कि उधारकर्ताओं को मोहलत देनी है और बैंक कभी बाहुबल का इस्तेमाल नहीं कर सकते. (RBI Rules)
मूलधन से ज्यादा ब्याज हो जाए तो
कभी स्थिति ये भी आती है कि आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर उधार लेने वाला व्यक्ति समय पर ब्याज नहीं चुका पाता. इससे मूलधन से ज्यादा ब्याज की राशि हो जाती है. ऐसे में उधारकर्ता लोन चुकाने में असमर्थ हो जाता है. इसमें मोहलत देते हुए बैंक वन टाइम सेटलमेंट का ऑफर देते हैं. इस दशा में बैंक इस लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट या NPA में डाल देते हैं. इसमें उधार लेने वाला आदमी दिवालिया घोषित हो जाता है जो लोन चुकाने में अक्षम मान लिया जाता है. (RBI Rules)
इससे बचने के लिए बैंक उस आदमी को एक बार में थोड़ी राशि चुका कर लोन से बाहर निकलने का मौका देती है. इसमें देखा जाता है कि बैंक मूलधन और ब्याज की अधिकांश राशि माफ कर देते हैं. और एक लमसम राशि देने का प्रस्ताव दिया जाता है. इसका फायदा लिया जा सकता है लेकिन क्रेडिट स्कोर बट्टा खाते में चला जाएगा और आगे किसी तरह का लोन लेना मुश्किल होगा. (RBI Rules)