Post Office Scheme : पोस्ट ऑफिस बनेंगे बैंक ! डाकघर बिल को मिली मंजूरी...
Post Office Scheme: Post offices will become banks! Post office bill approved... Post Office Scheme : पोस्ट ऑफिस बनेंगे बैंक ! डाकघर बिल को मिली मंजूरी...




Post Office Scheme :
नया भारत डेस्क : टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार ने प्रासंगिकता खो रहे डाकघरों का पुनरूद्धार करते हुए इन्हें सेवा प्रदान करने वाला संस्थान बनाने और इन्हें बैंकों में तब्दील करने के लिए पिछले नौ साल में कई प्रयास किए हैं. वैष्णव ने डाकघर विधेयक 2023 को विचार एवं पारित करने के लिए उच्च सदन में रखते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि यह विधेयक 125 साल पुराने डाकघर कानून में संशोधन करने के लिए लाया गया है. (Post Office Scheme)
क्या है डाकघर विधेयक?
यह विधेयक 125 साल पुराने डाकघर कानून में संशोधन करने के लिए लाया गया है। देशभर में डाक, डाकघर और डाकियों पर काफी विश्वास है। डाकघर विधेयक (2023) को 10 अगस्त 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था। यह भारतीय डाकघर अधिनियम (1898) की जगह लेगा। अपने नेटवर्क के जरिये अलग-अलग तरह की नागरिक-केंद्रित सेवाओं की डिलीवरी को शामिल करने के लिए इसे लाया गया है। (Post Office Scheme)
बिल लाने के पीछे क्या है सरकार की मंशा?
सरकार काफी समय से प्रासंगिकता खो रहे डाकघरों का पुनरुद्धार करने में जुटी है। वह इन्हें सेवा प्रदान करने वाला संस्थान बनाना चाहती है। इन्हें बैंकों में तब्दील करने के लिए पिछले नौ साल में उसने कई प्रयास किए हैं। डाकघरों को व्यावहारिक रूप से बैंकों में तब्दील किया गया है। डाकघरों के विस्तार को देखें तो 2004 से 2014 के बीच 660 डाकघर बंद किए गए। वहीं, 2014 से 2023 के बीच में करीब 5,000 नए डाकघर खोले गए और करीब 5746 डाकघर खुलने की प्रक्रिया में हैं। डाकघरों में तीन करोड़ से ज्यादा सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए हैं। इनमें एक लाख 41 हजार करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, डाकघर निर्यात सुविधा एक ऐसी सुविधा है जिसमें देश के दूरदराज में रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपने समान का निर्यात दुनिया में कहीं भी कर सकता है। अभी 867 डाक निर्यात केंद्र खोले गए हैं। इनमें 60 करोड़ रुपये से ज्यादा का निर्यात किया गया है। (Post Office Scheme)
क्या हैं इस बिल के मुख्य फीचर?
-डाकघर विधेयक (2023) अत्यधिक प्रतिस्पर्धी घरेलू कूरियर सेक्टर में अपनी सेवाओं की कीमतें तय करने में डाक विभाग को फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है।
– इसमें डाक अधिकारियों की शक्तियां बढ़ाने की बात की गई है। अगर उन्हें शक होता है कि किसी पार्सल या किसी डाक में ड्यूटी नहीं अदा की गई है या फिर वो कानूनन प्रतिबंधित है तो अधिकारी उस पार्सल को कस्टम अधिकारी को भेज देगा। कस्टम अधिकारी उस पार्सल से कानून के मुताबिक निपटेंगे। (Post Office Scheme)
– विधेयक में सुरक्षा को लेकर बड़ी व्यवस्था की गई है। इसके तहर केंद्र सरकार अधिकारी की नियुक्ति करेगी। उस अधिकारी को अगर लगता है कि कोई पार्सल राष्ट्र की सुरक्षा के खिलाफ है या किसी दूसरे देश से संबंधों में नुकसान या शांति में बाधा पहुंचा सकता है तो वह अधिकारी उस पार्सल को रोक सकता है। यहां तक खोलकर चेक कर सकता है। उसके पास जब्ती का भी अधिकार होगा। बाद में ऐसे सामान को नष्ट भी किया जा सकता है।
– इस विधेयक में डाक विभाग के कर्मचारियों को भी प्रोटेक्शन दिया गया है। आमतौर पर लोगों के पार्सल खोने या देर से पहुंचने या डैमेज होने पर डाक अधिकारी के खिलाफ केस करने की नौबत आ जाती है। लेकिन, विधेयक के कानून बनने के बाद ऐसा नहीं हो पाएगा। कारण है कि नए कानून में ऐसा प्रावधान बनाया गया कि ऐसे हालातों में डाक अधिकारियों के खिलाफ केस नहीं किया जा सकेगा। (Post Office Scheme)
– एक और अहम बात यह है कि पोस्ट ऑफिस को डाक टिकट जारी करने का अधिकार मिलेगा।
प्राइवेटाइजेशन की कवायद तो नहीं?
अश्विनी वैष्णव ने डाकघरों के निजीकरण संबंधी विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि इसका ही सवाल ही नहीं उठता। डाक सेवाओं के निजीकरण का न तो विधेयक में कोई प्रावधान है न ही सरकार की ऐसी कोई मंशा है। उन्होंने बताया है कि इस कानून के जरिये कई प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है। सुरक्षा संबंधी उपाय भी किए गए हैं। (Post Office Scheme)