पीएम नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' राजनीतिक से ज्यादा सामाजिक लगती है, जो देश को प्रेरित करती है और देश के मुखिया देश के लोकतंत्र से सीधा संवाद करते हैं.
PM Narendra Modi's 'Mann Ki Baat' seems more social




NBL, 31/07/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: PM Narendra Modi's 'Mann Ki Baat' seems more social than political, which inspires the country and the head of the country communicates directly with the country's democracy.
पीएम नरेंद्र मोदी का मन की बात रहस्यों से भरा एक अनोखा संवाद है, जो देश के लोकतंत्र परिवार की तरह है, देश के हर मुद्दे पर देश के लोकतंत्र परिवार से बात करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी के लिए यह संवाद राजनीति नहीं बल्कि पूरी तरह से सामाजिक और सामाजिक लगता है. सामाजिक के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी अपनी नैतिकता को देश के लोकतंत्र के साथ साझा करते हैं और देश की जनता द्वारा किए गए अच्छे कार्यों को देश की जनता को बताते हैं और इन अच्छे कार्यों से प्रेरित होकर देश की जनता को स्वयं ज्ञान देते हैं। ताकि देश की जनता पीएम मोदी से बात करके नई प्रेरणा ले सके और प्रेरणा लेकर ऐसे अच्छे काम करना सीख सके और स्वयं देशवासियों के लिए और भी अच्छे काम कर सके। वे अपनी खुशी के साथ-साथ देश के अन्य लोगों को भी खुशी देने में अहम भूमिका निभाते हैं। देश की जनता देश में विकास के पथ पर बहुत आसानी से आगे बढ़ सकती है, यही उनका गुण है जो पीएम नरेंद्र मोदी को ताकत देता है और देश के मुखिया पीएम मोदी के साथ भागीदार बनकर लोगों में विश्वास जगता है। और पीएम मोदी देश के लोगों को प्रोत्साहित करते है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिए एक सामाजिक प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पहचान पेश की, जिसका राजनीतिक लाभ भी मिल रहा है क्योंकि हम सभी देशवासी सामाजिक प्राणी हैं और घर के मुखिया के सरल स्वभाव और उनके आदर्श जीवन से प्रभावित हैं और हम बहुत कुछ सीखते हैं, वैसे ही हम देशवासी भी देश के मुखिया से बहुत कुछ सीख रहे हैं, अगर हम थोड़े समय के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के राजनीतिक माहौल को हटा दें तो हमें लगता है कि आदर्श सामाजिक मुखिया हमारे साथ हैं। जो हमें सही दिशा-निर्देश देकर प्रगति का मार्ग दिखा रहे हैं।'मन की बात' में प्रधानमंत्री मोदी किसी भी तरह की राजनीतिक चर्चा से बचते हैं.यह एक राजनीतिक व्यक्ति एवं राजनीतिज्ञ द्वारा किया जा रहा एक सामाजिक संवाद है जिसका मूल उद्देश्य एक ऐसी सामाजिक विकास का निर्माण करना है जो भारतीय समाज में दूरदर्शी परिवर्तन ला सके।
एक प्रकार से 'मन की बात' ने देश में पत्र-लेखन की संस्कृति को नया जीवन दिया है। मोबाइल संदेशों के विपरीत, पत्र लेखन विस्तारित संचार की इच्छा की अभिव्यक्ति है, जो सामाजिकता की आत्मा है। दुनिया के अन्य देशों के विपरीत, भारतीय समाज समुदाय की भावना प्रबल है क्योंकि संवाद जीवित है। पश्चिमी समाज कम संचार और अधिक अकेलेपन का समाज है।
'मन की बात' ने देश में रेडियो सुनने की संस्कृति को भी पुनर्जीवित किया है, जो भारतीय समाज में सामूहिकता को बढ़ाने का माध्यम रहा है। भारत में बहुत से लोग गांवों और कस्बों की चौपालों में या शहरों और कस्बों में पान की दुकानों और घरों में बैठकर रेडियो सुनते थे, लेकिन टीवी और मोबाइल के आने के बाद यह संस्कृति कुछ हद तक कमजोर पड़ने लगी। अब 'मन की बात' जन-सुनने की उसी संस्कृति को फिर से विकसित कर रही है। आज जगह-जगह पान की दुकानों, चौपालों, खेत-खलिहानों में लोग समूह में 'मन की बात' सुनते दिख जाएंगे।
मन की बात कार्यक्रम भारतीय समाज को कई तरह से प्रभावित कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जिस सामाजिक कार्य की चर्चा करते हैं, उसके प्रति लोगों की सोच बदलती है, उसे व्यापक स्वीकृति मिलती है। इसमें जिस कार्य और उद्यम की चर्चा होती है, वह गौरवान्वित हो जाता है। इससे उस व्यक्ति में बेहतर कार्य करने की इच्छा बढ़ती है। उन्हें एक सामाजिक नायक के रूप में जाना जाता है, जिन्हें देखकर और सुनकर और भी लोगों में ऐसा करने की इच्छा बढ़ती है।
'मन की बात' का प्रभाव क्षेत्र संपूर्ण भारत है। महानगरों से आगे बढ़कर यह कार्यक्रम छोटे शहरों, कस्बों, गांवों और दूरदराज के इलाकों में भी सुना जाता है, जहां भी ऑल इंडिया रेडियो का नेटवर्क पहुंचता है। ऑल इंडिया रेडियो की पहुंच देश के लगभग 92 प्रतिशत क्षेत्रफल और जनसंख्या तक है। इसमें देश के सुदूर इलाकों जैसे उत्तर-पूर्व, जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख और रेतीले पहाड़ों के प्रसंग आते रहते हैं। इससे उन सुदूर समाजों में शेष भारत के साथ जुड़ाव की भावना मजबूत होती है। शेष भारत में भी उन सुदूर समाजों से जुड़ने की इच्छा बढ़ती है।
औपनिवेशिक आधुनिकता ने भारतीय समाज में अनेक प्रकार के संकटों को जन्म दिया है। इससे हमारे अंदर लोभ, लालच, प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन की प्रवृत्ति बढ़ी है। इससे जल, जंगल, जमीन और भारतीय समाज के बुनियादी मूल्यों पर गहरी चोट पहुंची है। इससे भारतीय समाज में जल संकट बढ़ा है, वायु प्रदूषण बढ़ा है और हम अपने लोक ज्ञान एवं मूल्यों से कट गये हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में ऐसे सामाजिक प्रयासों पर जोर दिया है, जो हमें पानी की समस्या से उबरने में मदद करें। उन्होंने वन क्षेत्र के निवासियों का अपनी भूमि, संस्कृति, इतिहास के प्रति लगाव फिर से पैदा किया है, ताकि उनका अपने समाज और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति विश्वास गहरा हो सके।
उन्होंने 'मन की बात' के माध्यम से कई प्रकार के स्थानीय उत्पादों का भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया है। भारतीय समाज में कई तरह के स्थानीय उद्यमी विकास कार्यों में लगे हुए हैं, उन पर कोई ध्यान भी नहीं देता। 'मन की बात' ने इन स्थानीय उद्यमियों और स्थानीय उत्पादों को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इसने भारतीय समाज के कमजोर सामाजिक समूहों को मूल्यवान और मजबूत बनाने का प्रयास किया है। दिव्यांगजन पर चर्चा इसका एक बड़ा उदाहरण है। उन्होंने दिव्यांगों को सम्मानजनक पहचान और नई भाषा देने का प्रयास किया है। इससे दिव्यांगजनों में एक नई आकांक्षा का जन्म हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने खास तौर पर महिलाओं द्वारा किए गए कार्यों का जिक्र किया है. इससे दूर-दराज के इलाकों में रहने वाली कामकाजी और श्रमिक महिलाएं सशक्त हुई हैं। इसमें स्थानीय पारंपरिक खेलों और खेल के सामान के निर्माण जैसे विषय भी सामने आये हैं। इस प्रकार, 'मन की बात' ने स्थानीय, लेकिन महत्वपूर्ण सामाजिक प्रयासों को महत्व देकर एक नई सामाजिक संपदा विकसित की है। इससे न केवल समाज की जड़ता को तोड़ने में मदद मिली है, बल्कि नए भारत के लिए एक नई सामाजिक प्रेरणा भी पैदा हुई है।