CG- बड़ा आरोप VIDEO बिग न्यूज: मंत्री रविंद्र चौबे बोले, रिपोर्ट खुले लिफ़ाफ़े में भेजी गई थी..... सूचना है की रिपोर्ट लीक हुई है.... झीरम रिपोर्ट पर कांग्रेस का तीखा हमला.... 'झीरम राजनैतिक हत्याकांड, कलंक का पहला टीका पूर्व CM पर'.... देखें VIDEO.......




रायपुर। वरिष्ठ मंत्री रवीन्द्र चौबे तथा गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू आज शनिवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित किए। पत्रकार वार्ता में मंत्री रविंद्र चौबे ने बड़ा आरोप लगाया है। मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि मेरे पास यह सूचना है कि जबकि राज्यपाल भवन से न्यायिक जाँच रिपोर्ट भेजी गई तो लिफ़ाफ़ा खूला हुआ था। मंत्री रविंद्र चौबे ने आगे कहा कि यह आशंका बलवती क्यों नहीं होती कि जाँच रिपोर्ट लीक हुई।
पत्रकार वार्ता में दावा किया गया है कि राजभवन से आई रिपोर्ट खुले लिफ़ाफ़े में आई थी। मुख्यमंत्री सचिवालय ने खुला लिफ़ाफ़ा लेने से इंकार किया तो उसके बाद लिफ़ाफ़ा सीलबंद होकर पहुँचा। झीरम न्यायिक जाँच रिपोर्ट के मसले पर पीसी बुलाई गई। पत्रकार वार्ता में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और मंत्री रविंद्र चौबे मौजुद हैं।
मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि झीरम राजनैतिक हत्याकांड है। इसके पीछे कौन है। यह जाँच से सामने आएगा लेकिन डॉ रमन सिंह इससे भयाक्रांत क्यों है। हम साज़िशकर्ता का पता लगाने की क़वायद कर रहे हैं तो डर क्यों लग रहा है। मंत्री चौबे ने कहा कि जो साजिशकर्ता है वो जाँच में सामने आएगा। लेकिन डॉ रमन सिंह इस कलंक से बच नहीं सकते। बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर इससे बच नहीं सकते। मंत्री चौबे ने सवाल उठाया कि पाँच दिन बाद रिपोर्ट सरकार के पास आई है। क्या ये रिपोर्ट लीक हुई है। भाजपा जो इस रिपोर्ट को लेकर कह रही है उसकी जानकारी कैसे आई।
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झीरम हत्याकांड में कांग्रेस की ओर से कोर्ट और जांच आयोग में पैरवी करने वाले एडवोकेट सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि आयोग ने कई बिंदुओं पर अंतिम तर्क नहीं सुने बिना अपनी रिपोर्ट सौंप दी। ऐसे में अब हम नए सदस्यों के सामने उन मुद्दों को फिर से सुने जाने के लिए आवेदन लगाएंगे।
बिलासपुर में मीडिया से बात करते हुए एडवोकेट श्रीवास्तव ने कहा कि बार-बार इस मुद्दे को उठाया जा रहा है कि आयोग की रिपोर्ट पर कुछ कहना या उसे अधूरी कहना कोर्ट की अवमानना है। यह पूरी तरह गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ कर दिया है कि न्यायिक आयोग न्यायालय नहीं होता। उसके अध्यक्ष को जो अधिकार प्राप्त होते हैं वो राज्य शासन के उस नोटिफिकेशन से मिलते हैं जो आयोग बनाते समय जारी किया जाता है।