Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale In Bhilai Chhattisgarh : एकान्तेश्वर महादेव कथा के दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी,पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिया सफलता का मूलमंत्र,कही ये बात...देखे फोटो और विडियो...

जयंती स्टेडियम भिलाई में जीवन आनंद फाउन्डेशन एवं श्रीराम जन्मोत्सव समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित श्री एकान्तेश्वर शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन भी विश्वविख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से कथा सुनने लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी।

Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale In Bhilai Chhattisgarh : एकान्तेश्वर महादेव कथा के दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी,पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिया सफलता का मूलमंत्र,कही ये बात...देखे फोटो और विडियो...
Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale In Bhilai Chhattisgarh : एकान्तेश्वर महादेव कथा के दूसरे दिन भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी,पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिया सफलता का मूलमंत्र,कही ये बात...देखे फोटो और विडियो...

Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale In Bhilai Chhattisgarh 

भिलाई नगर। जयंती स्टेडियम भिलाई में जीवन आनंद फाउन्डेशन एवं श्रीराम जन्मोत्सव समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित श्री एकान्तेश्वर शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन भी विश्वविख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से कथा सुनने लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी। भोलेनाथ की भक्ति से परिपूर्ण श्रद्धालुओं का उत्साह कम नही हुआ। सिविक सेंटर कथास्थल, कथा का रसपान करने आये श्रद्धालुओं से पूर्णत: भरा हुआ था। पंडाल के अंदर जगह भर जाने के बाद बाहर भी श्रद्धालु बैठकर कथा सुनने लगे। कथावाचक श्री मिश्रा ने इस दौरान भक्तों द्वारा भेजे गये पत्रों की जानकारी श्रद्धालओं को दी।

 

 

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा में अपना जीवन सनातन संस्कृति के प्रसार में लगाने की बात कही। उन्होंने कहा की पहले कई मंदिर खली पड़े रहते थे, वहां कोई नहीं जाता था कोई पूजा नहीं करता था, लेकिन अब श्रद्धालुगण नियमित रूप से मंदिर जाते हैं और भगवान शिव को जल एवं बेल पत्र अर्पित करते हैं। एक श्रद्धालु के पत्र में लिखा था “पहले माँ अपने बच्चों को स्कूल लेने जाती थी तो गार्डन घुमा कर लाती थी पर अब अपने बेटों को मंदिर ले जाती हैं। उन्होंने कहा कि आज सनातन धर्म के प्रति लोग जागरूक हुए हैं अब लोगों में धर्म के प्रति आस्था जगी है। उन्होंने कहा कि महादेव की भक्ति करें सिर्फ वही है जो आपका भविष्य तय करते हैं। शंकर भगवान का भजन करें वही दुनिया का भाग्य लिखने वाले है। कथा के आयोजन समिति श्रीरामजन्मोत्सव समिति के संरक्षक प्रेमप्रकाश पाण्डेय एवं जीवन आनंद फाउंडेशन के प्रमुख विनोद सिंह के द्वारा भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप की आरती के पश्चात् द्वितीय दिवस की कथा का समापन हुआ। कथा का रसपान करने आज दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल सपत्निक कथास्थल पहुंचे, वहीं दुर्ग विधायक अरूण वोरा, पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, डॉ. दयाराम साहू ने भी कथा का रसपान किया।

जल एवं बेल पत्ते के सेवन से मिली गठान से मुक्ति  
कथा में जामुल शिवपुरी भिलाई की निवासी सीमा निर्मलकर ने पत्र में लिखा था की उनका 13 साल का बेटा कैंसर से चल बसा। उनके पति एवं परिवार वालों ने उन्हें छोड़ दिया था, उनके गले में 2-2 गठान हो चुकी थी। तब इनकी सहेली ने बताया की शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का सुझाव दिया लेकिन उन्होंने सहेली की बात नही मानी और हॉस्पिटल में इलाज कराने चली गयी। हॉस्पिटल में भर्ती हुई तब नर्स ने कहाँ शिवजी को एक लोटा जल चढ़ाना एवं बेल पत्र खाना शुरू करो। नर्स की बात मानकर मैंने शिवलिंग पर जलाभिषेक करना शुरू किया और बेलपत्र खाना शुरू किया और अब गठान गल चुकी हैं।

पुराणों में बताये गये हैं पांच महापाप 
कथा में पंडित प्रदीप मिश्र जी ने बताया की पुराणों के अनुसार 5 महापाप हैं, जिसमें बाल हत्या, पर स्त्री का संग, स्वर्ण की चोरी, घर में आग लगाना और किस से विश्वासघात करना। उन्होंने कहा कि इन पांचो पाप किये हुए व्यक्ति के यहाँ जल पीना पर भी महापाप लगता हैं। लेकिन निर्मल हृदय एवं श्रद्धा भाव से शिवलिंग के दर्शन से महापाप से मुक्ति मिलती हैं।

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माता – पिता और गुरु हैं जीवन की असली पूंजी 
पंडित श्री मिश्रा ने अपने प्रवचन में बताया की माता- पिता और गुरु जीवन की असली पूंजी हैं। चाहे कैसी भी विषम परिस्थिति हो माता - पिता और गुरु का चरण कभी नही छोड़ना चाहिए। माता-पिता और गुरु जीवन संवार देते हैं |

स्वयंसेवक, स्थानीय प्रशासन एवं अन्य सामाजिक संगठनों की रही महत्वपूर्ण भूमिका
दूरदराज के क्षेत्रों से आये श्रद्धालुओं की सहायता के लिए स्वयंसेवक, स्थानीय प्रशासन सहित अन्य सामाजिक संस्थाओं और ने अपना पूर्ण सहयोग देकर कथा संचालन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पार्किंग, पेयजल, शौचालय, हेल्पडेस्क, भोजन के द्वारा श्रद्धालुओं की सहायता हेतु समाज के विभिन्न सामाजिक संगठन हमेशा तत्पर रहते हैं |