सौरव गांगुली और जय शाह बने रहेंगे बीसीसीआई के शीर्ष पद पर पिछले 3 साल से अटके हुए मुकदमे पर सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में आखिर क्या है कूलिंग ऑफ पीरियड का मामला जाने सब कुछ पढ़ें पूरी खबर




BCCI के संविधान में बदलाव को लेकर करीब तीन साल पहले दायर की गई अपील पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिर आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने BCCI को अपने संविधान में बदलाव की मंजूरी दे दी है, जिसमें बोर्ड अधिकारियों के कार्यकाल और कूलिंग ऑफ पीरियड के पुराने नियमों में ढील दे दी गई है और अब लगातार 6 साल के लिए BCCI या राज्य क्रिकेट संघ में बने रह सकते हैं.
करीब तीन साल से सुप्रीम कोर्ट में अटके इस मामले पर शीर्ष अदालत ने बुधवार 14 सितंबर को इस मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाया. कोर्ट ने BCCI की अपील को स्वीकार किया और बोर्ड के द्वारा कार्यकाल को लेकर प्रस्तावित संशोधनों पर अपनी मुहर लगाई. इसके चलते तत्काल प्रभाव से गांगुली और शाह के अपने-अपने पदों पर तीन साल के एक और कार्यकाल पर बने रहना तय हो गया है.BCCI में भ्रष्टाचार के मामलों के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त लोढ़ा समिति ने बोर्ड का नया संविंधान तैयार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में इस संविधान को कुछ बदलावों के साथ स्वीकार किया था. इसके तहत, कोई भी पदाधिकारी लगातार 6 साल (3-3 साल के दो कार्यकाल) से ज्यादा किसी भी पद या अलग-अलग पदों में नहीं रह सकता. इसमें राज्य संघ या BCCI में 6-6 साल या दोनों को मिलाकर 6 साल शामिल थे. इसके बाद अनिवार्य रूप से 3 साल के कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना जरूरी था.
BCCI की अपील, सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अक्टूबर 2019 में गांगुली और शाह ने चुनावों के बाद बोर्ड का कार्यभाल संभाला था और दिसंबर में BCCI ने इस प्रावधान समेत कुछ अन्य नियमों में संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. बोर्ड ने कहा था कि राज्य संघ और BCCI के कार्यकालों को एक साथ मिलाना सही नहीं है. इसके बदले राज्य में लगातार 6 साल या BCCI में एक बार में ही लगातार 6 साल तक बने रहने की इजाजत मांगी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अब इसे मंजूरी दे दी है और स्टेट या BCCI में पदाधिकारी किसी एक पद पर लगातार दो कार्यकाल के लिए बने रह सकते हैं. हालांकि, इसके बाद 3 साल का कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा करना ही होगा