नामांतरण के लिए तहसीलदार ने मांगा 20 हजार रुपये,, रुपये नहीं देने पर तहसीलदार की मिलीभगत से बाबू ने किया फाइल गायब,, प्रार्थी पहुंचा कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर की शरण मे,,

नामांतरण के लिए तहसीलदार ने मांगा 20 हजार रुपये,, रुपये नहीं देने पर तहसीलदार की मिलीभगत से बाबू ने किया फाइल गायब,, प्रार्थी पहुंचा कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर की शरण मे,,

बिलासपुर। न्यायधानी में भ्रष्टाचार चरम है। कांग्रेस की शासन में राजस्व अधिकारियों की चांदी हो गयी है। राजस्व अधिकारियों को खुलेआम लूटने की छूट सरकार दे दिया है। नामांतरण करने के लिए मनमानी रुपये वसूल रहे है।
10 हजार से लेकर 50 हजार तक नामांतरण के लिए मांगा जा रहा है। सीपत तहसील में नामांतरण करने के लिए 20 हजार रुपये की मांग किया गया है ,, प्रकरण समाप्त होते तक बाबू को हर पेशी में 500 रुपये भी देना होगा। आज बिलासपुर कलेक्ट्रेट में शिकायत करने पहुचे शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि सीपत तहसील में खुलेआम लेनदेन का खेल चल रहा है। शिकायतकर्ता ने बताया कि दो साल से नामांतरण कराने के लिए सीपत तहसील का चक्कर लगा रहा। बिलासपुर तहसील में पहले से ही लंबित प्रकरण को लेकर सरकार की किरकिरी हो रही है और अब सीपत तहसील में बिना रिश्वत दिए कोई काम नही हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण कलेक्ट्रेट में हुई शिकायत से साफ हो गया है। शीतल प्रशाद त्रिपाठी पीड़ित ने कलेक्टर को शिकायत किया है जिसके अनुसार दर्राभाठा में 82 डिसमिल जमीन खरीदा इसके बाद राजस्व रिकार्ड में नामांतरण करने के लिए 20 जनवरी 2020 को आवेदन प्रस्तुत किया। तहसील कार्यालय में प्रकरण दर्ज करने के बाद क्रेता और विक्रेता सभी ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया और न्यायालय में बयान दर्ज किया गया। जमीन की खरीदी बिक्री पूरी तरह से अविवादित है। नामांतरण के लिए सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद केवल आदेश होना रह गया था। इसी बीच कोरोना के कारण लॉक डाउन हो गया और तहसीलदार ने आवेदकों की अनुपस्थिति बताकर प्रकरण खारिज कर दी। इसकी जानकारी आवेदकों को तब हुई जब लॉक डाउन समाप्त हुआ और प्रकरण की जानकारी लेने तहसील कार्यालय पहुंचे।
इसके बाद आवेदकों ने नए सिरे से आवेदन देकर प्रकरण को फिर से रिस्टोर कराया और सुनवाई के लिए 17 फरवरी 2021 की पेशी दी गई। जब आवेदक 17 फरवरी को तहसील पहुंचे तो कहा गया कि 20 हजार रुपए लेकर आओ तो मामला आगे बढ़ेगा। यही नही आवेदकों से यह भी कहा गया कि हर पेशी में बाबू को 500 रुपये देना होगा वह भी प्रकरण जबतक समाप्त नहीं होगा तब तक देना होगा। यही नही पैसे नही देने पर प्रकरण की फाइल गायब कर दी गई। आवेदक को कोई रास्ता नही दिखने पर कलेक्टर की शरण मे पहुँच कर कलेक्ट्रेट में शिकायत किया है। फिरहाल देखना यह होगा कि दोषियों पर क्या कार्यवाही होती है ?,,