जोंधरा से लेकर गोपालपुर परसोडी कुकुरदीकला अमलडीहा बसंतपुर पहुंच मार्ग की स्थिति हुई बद से बत्तर उग्र आंदोलन की तैयारी में ग्रामीण इसी रोड से हजारों छात्र-छात्राओं व ग्रामीणों को आना पड़ता है मार्केट व स्कूल पढ़ें पूरी खबर

जोंधरा से लेकर गोपालपुर परसोडी कुकुरदीकला अमलडीहा बसंतपुर पहुंच मार्ग की स्थिति हुई बद से बत्तर उग्र आंदोलन की तैयारी में ग्रामीण इसी रोड से हजारों छात्र-छात्राओं व ग्रामीणों को आना पड़ता है मार्केट व स्कूल पढ़ें पूरी खबर
जोंधरा से लेकर गोपालपुर परसोडी कुकुरदीकला अमलडीहा बसंतपुर पहुंच मार्ग की स्थिति हुई बद से बत्तर उग्र आंदोलन की तैयारी में ग्रामीण इसी रोड से हजारों छात्र-छात्राओं व ग्रामीणों को आना पड़ता है मार्केट व स्कूल पढ़ें पूरी खबर

हम आपको आज ऐसे सड़क के बारे में बताने जा रहे हैं जो विगत कई वर्षों से गांव वालों के लिए सिरदर्द बना हुआ है इस सड़क से 8 से 10 गांव के ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं यह पूरा मामला मस्तूरी के ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सोन बसंतपुर अमलडीहा उदयबंद कुकुरदीकला गोपालपुर पर परसोड़ी जोंधरा यह वह ग्राम पंचायत है जहां के लोग इस रोड की वजह से विगत 5 वर्षों से संघ संघर्षरत हैं और स्थिति तब और गंभीर हो जाती हैं जब बारिश के दिन आ जाता है और चारों तरफ कीचड़ युक्त रोड से हजारों छात्र छात्राओं वह ग्रामीणों को स्कूल जाना पड़ता है ऊपर से पास में ही रेत घाट है जिसकी गाड़ियां चलती रहती है जिसके वजह से बच्चों की ड्रेस से लेकर बैग साइकिल सब गंदा हो जाता है पर सभी अधिकारी इस रोड को लेकर चुप्पी साधे बैठे हैं ग्रामीणों के अनुसार जब से यह रोड बना है तब से लेकर आज तक ठेकेदार ने इसमें किसी प्रकार की मरम्मत की कार्य नहीं कराई है ऊपर से हैवी गाड़ियों के चलने की वजह से रोड अब पैदल चलने लायक भी नहीं बचा है जिसके वजह से अब ग्रामीण आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं चाहे आपको जोंधरा से सोन होते हुए उदयबंद जाना हो या आपको जोंधरा से गोपालपुर कुकुरदीकला परसोडी या अमलडीहा जाना है तो आप यकीन मानिए बारिश के दिनों में पैदल पहुंचते-पहुंचते बच्चे भी पहचानने से इंकार कर देंगे यह हाल है इन सड़कों का अब भगवान मालिक है इसका क्या होगा और कब अधिकारी जागेंगे और इस रोड का मरम्मत करेंगे बहर हाल इस रोड की वजह से ऐसे कई बच्चे हैं जिनका कीचड़ में गिर जाना या कीचड़ के वजह से ड्रेस गंदा हो जाने की वजह से स्कूल ना पहुंच पाना आम बात हो गई है अब देखना यह होगा कि अधिकारीगण ग्रामीणों के आंदोलन का इंतजार करते हैं या इनकी समस्याओं को दूर करने की कोशिश करते हैं