MP News: सीएम शिवराज कार्यक्रम के में CM के अभिवादन के समय खड़े ना होने को लेकर सिहोरा-कुंडम विधायक नंदिनी मरावी चर्चा में,देखे वीडियो…

MP News: Sihora-Kundam MLA Nandini Maravi in ​​discussion for not standing while greeting CM in CM Shivraj program

MP News:  सीएम शिवराज कार्यक्रम के में CM के अभिवादन के समय खड़े ना होने को लेकर सिहोरा-कुंडम विधायक नंदिनी मरावी चर्चा में,देखे वीडियो…
MP News: सीएम शिवराज कार्यक्रम के में CM के अभिवादन के समय खड़े ना होने को लेकर सिहोरा-कुंडम विधायक नंदिनी मरावी चर्चा में,देखे वीडियो…

डेस्क : 1857 की आजादी के नायक गौंड राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जबलपुर स्थित शहीद स्थल पर आजादी के दोनों नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित किया .माना जाता है कि देश, धर्म और संस्‍कृति रक्षा के लिए बलिदान देने वाले गोंड शासकों को इतिहास में वह स्‍थान नहीं मिला.

वही आपको बताते चले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह जी के बलिदान दिवस कार्यक्रम में जबलपुर आए हुए थे उनके आगमन पर सभी विधायकों और स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा उनका स्वागत सम्मान किया जा रहा था।इस कार्यक्रम में सभी विधायक ने खड़े होकर मुख्यमंत्री जी का अभिवादन किया लेकिन सिहोरा-कुंडम विधायक नंदिनी मरावी ने खड़ा होना तक मुनासिब नहीं समझा सोशल मीडिया में वीडियो जमकर वायरल हो रहा है । 

देखे वीडियो 

यहां बताते चले कि राजा शंकर शाह और उनके सुपुत्र कुंवर रघुनाथ शाह को 1857 के विद्रोह का नेतृत्‍व करने पर अंग्रेजो द्वारा जबलपुर में तोप से उड़ा दिया गया था. उन्हें तोप से उड़ाने की सजा के पूर्व धर्म बदलने की और माफी मांगने के लिये कड़ी प्रताड़ना दी गई थी. लेकिन उन्‍होनें वीरता का परिचय देते हुये मृत्‍यु की सजा को स्‍वीकार किया.राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह मां काली के परम उपासक और नर्मदा भक्‍त थे. राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को दी गई फांसी की सजा को अंग्रेजों ने विद्रोह की अशंका को देखते हुये तोप से उड़ाने की सजा में तबदील कर दिया था.

राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह ऐसे गोंड शासक थे जिन्‍होनें देश, धर्म और संस्‍कृति की रक्षा करते हुये अपने प्राणों का बलिदान कर दिया, लेकिन अंग्रेजों के सामने सिर नहीं झुकाया. राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह ने 1857 के पहले सन् 1842 और 1818 में भी अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में शामिल हुये थे.लेकिन इसे भी इतिहास लेखन में स्‍थान नहीं दिया गया.