लाहौर, 10 अप्रैल: सिख साम्राज्य के पहले शासक, महाराजा रणजीत सिंह की एक आदमकद क्षतिग्रस्त प्रतिमा की मरम्मत की गई है और प्रतिमा को जल्द ही लाहौर किले में एक सुरक्षित स्थान पर स्थापित किए जाने की उम्मीद है।

Lahore, April 10: A life-size damaged statue of Maharaja Ranjit Singh,

लाहौर, 10 अप्रैल: सिख साम्राज्य के पहले शासक, महाराजा रणजीत सिंह की एक आदमकद क्षतिग्रस्त प्रतिमा की मरम्मत की गई है और प्रतिमा को जल्द ही लाहौर किले में एक सुरक्षित स्थान पर स्थापित किए जाने की उम्मीद है।
लाहौर, 10 अप्रैल: सिख साम्राज्य के पहले शासक, महाराजा रणजीत सिंह की एक आदमकद क्षतिग्रस्त प्रतिमा की मरम्मत की गई है और प्रतिमा को जल्द ही लाहौर किले में एक सुरक्षित स्थान पर स्थापित किए जाने की उम्मीद है।

NBL, 11/04/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. 

Lahore, April 10: A life-size damaged statue of Maharaja Ranjit Singh, the first ruler of the Sikh Empire, has been repaired and the statue is expected to be repositioned at a safe place in the Lahore Fort soon. 

लाहौर, 10 अप्रैल (भाषा) सिख साम्राज्य के पहले शासक महाराजा रणजीत सिंह की एक आदमकद प्रतिमा की मरम्मत कर दी गई है और प्रतिमा को जल्द ही लाहौर किले में एक सुरक्षित स्थान पर फिर से लगाये जाने की उम्मीद है।

कुछ महीने पहले इस प्रतिमा को एक प्रतिबंधित इस्लामी पार्टी के एक कार्यकर्ता द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। यह जानकारी मीडिया की खबर से मिली।

'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' अखबार ने बताया कि नौ फुट की प्रतिमा, कांस्य से बनी है। इसकी मरम्मत फकीर खाना संग्रहालय द्वारा की गई है जिसके तत्वावधान में इसे मूल रूप से 2019 में तराशा गया था।

प्रतिमा का अनावरण जून 2019 में किया गया था। प्रतिमा को विभिन्न अवसरों पर लक्षित किया गया है। आखिरी बार अगस्त 2021 में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के एक सदस्य ने प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी थी।

खबर के अनुसार, इससे पहले भी प्रतिमा को 2019 और 2020 में धार्मिक समूहों के सदस्यों द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया था। उनका दावा था कि रणजीत सिंह की प्रतिमा नहीं बननी चाहिए थी क्योंकि उन्होंने एक शासक के तौर पर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार किया था।

भारत ने प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किये जाने की निंदा करते हुए कहा था कि पाकिस्तान ऐसे हमलों को रोकने के अपने कर्तव्य में पूरी तरह विफल रहा है जो अल्पसंख्यक समुदायों के बीच ‘भय का माहौल’ उत्पन्न कर रहे हैं।