कालीचरण को नहीं मिली जमानत BIG NEWS: कालीचरण की जमानत याचिका खारिज.... हवालात में ही कटेगी कालीचरण की रातें.... महाराष्ट्र पुलिस को नहीं मिला प्रोडक्शन वारंट.... कोर्ट ने कहा ये......

कालीचरण को नहीं मिली जमानत BIG NEWS: कालीचरण की जमानत याचिका खारिज.... हवालात में ही कटेगी कालीचरण की रातें.... महाराष्ट्र पुलिस को नहीं मिला प्रोडक्शन वारंट.... कोर्ट ने कहा ये......

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रायपुर 3 जनवरी 2022। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज विक्रम प्रताप चंद्रा ने धर्म संसद में महात्मा गांधी पर आपत्ति जनक टिप्पणी करने वाले कालीचरण की जमानत याचिका खारिज की है। कोर्ट ने मामले को गंभीर प्रवक्ति का मानते हुए जमानत याचिका खारिज की है। कालीचरण की जमानत याचिका सेशन कोर्ट पर लगाई गई थी। अब कालीचरण की जमानत पर अगली सुनवाई हाईकोर्ट पर होगी। कालीचरण मसले पर रायपुर अदालत में ज़मानत पर क़रीब एक घंटे की बहस सुनने के बाद अदालत ने कालीचरण की ज़मानत याचिका को ख़ारिज कर दिया है।

सरकार की ओर से लोक अभियोजक के के शुक्ला ने ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया की यह किसी एक व्यक्ति को गाली देने का ही नहीं बल्कि वर्ग को भड़काने वाला और दो पक्षों बीच दंगा भड़काने वाला बयान था। अपराध होता लेकिन उसके पहले ही हमने कार्यवाही की और अपराध होने से रोक लिया। जहां तक धाराओं के लगने वाले लगने का मसला है तो यहाँ बहस ज़मानत पर है। ज़मानत याचिका ख़ारिज करने का आग्रह करते हैं।

वहीं महाराष्ट्र पुलिस द्वारा मांगी गई प्रोडक्शन वारंट को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को प्रोडक्शन वारंट देने से मना कर दिया है। इसके बाद अब कल फिर महाराष्ट्र पुलिस ट्रांजिट रिमांड के लिए अपील करेगी।

विक्रम पी चंद्रा ने फ़ैसले में कहा की लगाई गई धाराओं में राजद्रोह है। आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। ज़मानत देना उचित प्रतीत नहीं होता। ज़मानत आवेदन ख़ारिज किया जाता है। इसके ठीक पहले क़रीब एक घंटे की बहस में से क़रीब पैंतालीस मिनट बचाव पक्ष ने लिए। बचाव पक्ष ने राजद्रोह समेत अन्य धाराओं को चुनौती देते हुए इसे प्रकरण में प्रभावी नहीं होने का तर्क दिया। बचाव पक्ष ने कहा कि 153A,153(B)(1) और 295(A) यह धाराएँ प्रभावी नहीं होती। वैसे भी राजद्रोह राज्य के खिलाफ होता है ना कि व्यक्ति के खिलाफ। राजद्रोह में राज्य प्रार्थी होता है जबकि कालीचरण के विरुध्द प्रमोद दुबे प्रार्थी हैं।

बचाव पक्ष की ओर से गिरफ़्तारी की प्रक्रिया को भी चुनौती दी गई और गिरफ़्तारी पत्रक को अधुरा बताया गया। बचाव पक्ष ने प्रश्न किया। खजुराहो से पकड़ा गया और वहाँ के जज के सामने ही पेश नहीं किया गया यह संविधान की धारा 21 और 22 का उल्लंघन है  बचाव पक्ष ने राजद्रोह के मसले पर केदारनाथ विरुध्द बिहार सरकार और विनोद दुआ विरुध्द केंद्र सरकार के मामले भी पेश किए। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि यदि कोई मामला बनता भी है तो केवल 294 का बनता है, हमें ज़मानत का लाभ दिया जाए।