सबकी चिंता हरने वाले चिंतामन गणेश....काल भैरव माता हरसिद्धि और कालों के काल महाकाल.. यात्रा...आस्था की एक नगरी उज्जैन की...

Journey to Ujjain, a city of faith. भारत संस्कृतियों का देश है और यहां की संस्कृति पूरे विश्व में विख्यात है

सबकी चिंता हरने वाले चिंतामन गणेश....काल भैरव माता हरसिद्धि और कालों के काल महाकाल.. यात्रा...आस्था की एक नगरी उज्जैन की...
सबकी चिंता हरने वाले चिंतामन गणेश....काल भैरव माता हरसिद्धि और कालों के काल महाकाल.. यात्रा...आस्था की एक नगरी उज्जैन की...

Journey to Ujjain, a city of faith

नया भारतडेस्क : भारत संस्कृतियों का देश है और यहां की संस्कृति पूरे विश्व में विख्यात है यहां की परंपरा यहां के विरासत अपने आप में अद्भुत और अकल्पनीय धरोहरों को अपने में समेटे हुए इस देश के गौरव को गौरवान्वित कर रही बात करते हैं भारत के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश के प्राचीन शहर अवंतिका नगरी की जिसे आजकल उज्जैन के नाम से जाना जाता है... वैसे तो यह शहर कुंभ नगरी और यहां के राजा देवों के देव कालों के काल महाकाल प्रभु श्री स्वयंभू महादेव की नगरी के रूप में विख्यात है परंतु प्राचीन धरोहरों को अपने में समेटे हुए एक सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक भारत से परिचित कराने के लिए यह शहर आज भी लोगों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है

 

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 यहां श्रद्धालुओं के कदम पढ़ते ही उनमें एक अद्भुत चेतना और जागृति का संचार होता है और चाहे अनचाहे हर व्यक्ति का मन आस्था में गोते लगाने लगता है प्रभु के जय महाकाल के नारे से गुंजायमान यहां की सड़कें  महाकाल की लीलाओं का वर्णन करता हुआ नवनिर्मित श्री महाकाल लोक आगंतुकों का स्वागत बड़े ही गौरवशाली अंदाज में करता है द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक प्रभु महाकाल के दर्शन एवं भस्म आरती दर्शन के पश्चात... यात्रा शुरू होती है ...कर्क रेखा में विश्व के एकमात्र स्थित श्री मंगल नाथ के मंदिर से जहां लोग अपने मंगल दोषों के निवारण की पूजा भी करते हैं एवं शिव के रूप में विराजमान प्रभु श्री मंगल से कृपा प्राप्त करते हैं...

            साथ ही आगे बढ़ते हुए काल भैरव श्री बाबा के भी दर्शन करते हैं अति प्राचीन श्री काल भैरव का मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र है इसके पश्चात भगवान श्री कृष्ण की पाठशाला सांदीपनि आश्रम भी लोगों का अगला पड़ाव होता है प्रभु की लीलाओं को देखते हुए श्रद्धालु आगे बढ़ते हैं भरतहरी गुफा शिप्रा तट पर स्थित सिद्ध वट के तथा गढ़कालिका के दर्शन भी मन को आनंदित कर देते हैं... 

शिव के बाद शक्ति स्वरूपा माता हरसिद्धि शक्ति पीठ जोकि महाकाल मंदिर के बहुत ही करीब स्थित है उसके दर्शन करके भी श्रद्धालु माता रानी से वरदान मांगते हैं कहा जाता है कि माता हरसिद्धि भारत में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां इसकी बड़ी मानता है यहां पर होने वाले शाम की आरती के समय दीपदान के कार्यक्रम को देखने के लिए भारी संख्या में लोगों आते हैं पिछले कई वर्षों से लगातार अनवरत यह दीपदान का कार्यक्रम काफी अद्भुत एवं अविस्मरणीय होता है जिसमें एक स्तंभ में 1011 दीपों का प्रज्वलन एक साथ कई व्यक्तियों के द्वारा मिलकर किया जाता है इसे देखना ही अपने आप में अद्भुत आल्हाद उत्पन्न करता है ।

उसके पश्चात अगले कदम बढ़ते है.. महादेव के पुत्र देवों के देव प्रथम पूज्य श्री गणेश की तरफ क्योंकि श्री गणेश भगवान की लीला ही निराली होती है कहीं यह मोदक प्रेमी तो कहीं यह बच्चों के बाल गणेशा तो किसी जगह पर प्रभु चिंतामन के रूप में विराजमान होते हैं और अपने सभी भक्तों की सारी चिंताओं को हर के उनके जीवन में उल्लास और आनंद के साथ मंगल करते हैं जी हां हम बात कर रहे हैं प्रथम पूज्य श्री गणेश जिनका धाम उज्जैन में चिंतामन गणेश के नाम से काफी प्रसिद्ध है इस सिद्ध पीठ में गणेश भगवान तीन रूपों में स्वयंभू प्रकट हैं कहा जाता है कि वनवास के दौरान प्रभु श्री राम जानकी माता और लक्ष्मण जी ने की पूजा आराधना की थी और इनसे मंगल कामना की प्रार्थना की थी उस समय से स्वयंभू उपस्थित इनकी विग्रह को आज चिंतामन गणेश के नाम से पूजा जाता है यहां पर गणेश जी लेटे हुए ध्यान मुद्रा में नजर आते हैं तथा गणेश जी को तीन रूपों में यहां प्रकट माना गया है प्रथम है चिंतामन गणेश दूसरे हैं इच्छापूर्ति और तीसरे हैं सिद्धिविनायक प्रभु के विग्रह में तीन स्वरूप इन तीन रूपों में पूजे जाते हैं सभी भक्तों यहां आकर दूर्वा पुष्प एवं मोदक अर्पित करके अपनी अपनी चिंताओं को यही छोड़ कर जाते हैं तथा स्वयंभू प्रभु श्री गणेश इन सभी की चिंताओं को उनके जीवन से दूर करके उनके मंगल का आशीर्वाद है देते हैं यहां आने वाले भक्तों ने बताया कि उनकी सभी मनोकामनाएं यहां आने के बाद जरूर पूरी होती है इस निमित्त वह यहां एक धागा भी बांध के जाते हैं और इच्छापूर्ति होने के बाद प्रभु का आशीर्वाद लेने पुनः यहां दर्शन को आते हैं.... मंदिर का प्रबंधन श्री चिंतामन गणेश मंदिर प्रबंधन समिति के द्वारा संचालित किया जाता है मंदिर के प्रमुख पुजारी श्री मोहन जी ने बताया कि अवंतिका नगरी उज्जैन में आने वाला हर एक आगंतुक हर एक श्रद्धालु यहां आता है और श्री गणेश जी को अपनी चिंता देकर मुक्त होकर जाता है भगवान श्री गणेश यहां आने वाले हर श्रद्धालु हो मंगल आशीर्वाद देकर ही उनकी इच्छा पूर्ति करके ही यहां से वापस भेजते हैं क्योंकि महाकाल के दर्शन के बाद चिंतामन के दर्शन किए बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है उज्जैन में श्रद्धालुओं की यात्राओं के वैसे तो कई पड़ाव हैं....जिनमें प्रमुख स्थान श्री चिंतामन गणेश भी है प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं प्रभु का दर्शन लाभ लेकर कृपा पात्र बनते हैं मंदिर का विस्तारीकरण अभी काफी जोरों पर चल रहा है जिससे भविष्य में आने वाले सभी आगंतुकों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाए एवं उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो।

आप सभी जब भी उज्जैन नगरी की यात्रा पर जाएं तो चिंतामन प्रभु श्री गणेश के दर्शन भी जरूर करें, और अपनी सारी चिंताएं उन्हें देकर उनसे मंगलकामनाएं लेकर जरूर आनंदित हों...।