भविष्यवाणी नहीं करता हूं, आगाह करता रहता हूं - सन्त बाबा उमाकान्त महाराज




भविष्यवाणी नहीं करता हूं, आगाह करता रहता हूं - सन्त बाबा उमाकान्त महाराज
हमको आपको केवल निमित्त बनना है, काम तो सब हो चुका है
सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) : जिनको बाबा जयगुरुदेव अपने अपनाए हुए सभी जीवों का पूरा चार्ज, अपनी पूरी पॉवर, पूरा अधिकार ट्रान्सफर कर के, दे कर के इस दुनिया से चले गए हैं, और अब जिनमें समा कर, जिनके रूप में ही अब जीवों की संभाल कर रहे हैं, यानी अब जिनके माध्यम से ही अब जीवों का कल्याण होगा, सुमिरन की पहली, दूसरी और आखरी माला में जिन समय के सतगुरु का ध्यान करने से ही आगे तरक्की होगी, और कोई तरीका भवसागर पार करने का नहीं है, और अगर स्वामी जी को देखना चाहो तो विश्वास और प्रेम से जिनको देखोगे तो स्वामी आज भी अपनी झलक जिनमें एक बार नहीं, कई बार दिखा देते हैं, ऐसे उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के महापुरुष, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 10 अप्रैल 2023 दोपहर सोनभद्र (उत्तर प्रदेश) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि (कुछ) हमारा विरोध भी करते हैं, कुछ दुश्मन मानते हैं। कोई कुछ कहता, कोई कुछ कहता है कि वहां मत जाना, मुंह देखना पाप है, उनके मुंह से अगर (नाम) सुन लोगे तो वह तुम्हारे गुरु हो जाएंगे। तुमने (तो पहले से ही) गुरु कर रखा है। अरे भाई! गुरु भाई कभी गुरु होता है? सन्तमत की लोगों को जानकारी ही नहीं है। जिस तरह से बाप की ब्याहीता के साथ बाप के न रहने पर उसका बेटा ब्याह नहीं कर सकता है, ऐसे ही गुरु भाई को कोई नाम दान नहीं देता है। गुरु भाई के गुरु उसके ही गुरु हुआ करते हैं। बराबर इस चीज को याद रखना चाहिए। नामदान मुंह सुन लेने के बाद कोई भी गुरु नहीं हो जाता है।
आप जो पुराने लोगों को गुरु महाराज नाम दान देते थे, (हमें) बगल में बैठाये रहते थे और नाम दान देने के बाद मुझ नाचीज से ही कहते थे, इनको समझा-बता दो, सुमिरन ध्यान भजन करा दो, खूब ठीक से सिखा दो। तो उनको (पुरानों को) तो यही समझना चाहिए कि हम दोहरा रहे हैं जैसे गुरु महाराज दोहराते थे। गुरु महाराज की बातों को कैसे काटा जा सकता है कि यह पुरानों की संभाल करेंगे और नयों को नाम दान देंगे। तो गुरु के आदेश का पालन ही गुरु भक्ति होती है।
मैं गुरु भक्ति में बराबर लगा हुआ हूं, आप भी लगो
जो हमारा विरोध करते हैं, उनको भी मैं अपना ही मानता हूं और बस यही समझता हूं कि अज्ञानता में यह कर रहे हैं, इनको जानकारी नहीं है। या कोई दुनिया का, स्वार्थ का, किसी चीज का इनके ऊपर असर आ गया है, रंग चढ़ गया है, इसलिए ऐसा करते हैं। हम तो सबको बुलाते हैं। अपने आश्रम पर सबका स्वागत करते हैं। जब विशेष परिस्थितियों में पुराना आश्रम छोड़कर के निकला था, समझो किसी तरह से जान बचाकर के निकला। तो उज्जैन आ गया। उज्जैन में प्रेमीयों के सहयोग से आश्रम बनवाया। हम तो वहां भी सबको बुलाते हैं। स्वागत जो हो सकता है, करते हैं। रहने, खाने, पानी की जो भी व्यवस्था कर सकते हैं, इस उम्र में भी हम मेहनत करके वहां पर अपने सामने खड़े होकर के करवाते हैं। तो हम तो सबको अपना ही मानते हैं।
गोस्वामी महाराज ने कहा था। सियाराम मय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी। जो इस चीज को समझ जाता है कि सबके अंदर उस मालिक की रूह है, सबमें वह मालिक निवास कर रहा है, वही सबके अंदर बोल रहा है, वह बाहर से उनकी बातों पर उनके हाथ-पैर, कपड़े को देखकर उससे प्रभावित नहीं होता है। आप गुरु के नाम पर, जयगुरुदेव बाबा के नाम पर, जयगुरुदेव नाम पर आए हो। अगर मैं जयगुरुदेव नाम से इस समय अलग हो जाऊं, गुरु से अलग हो जाऊं तो बहुत से लोग अलग हो जाओगे। तो वहां पर कोई भेदभाव नहीं था और यहां भी कोई भेदभाव नहीं है। अमीर-गरीब सब बैठे है।
भविष्यवाणी नहीं, आगाह करता रहता हूं
जो जीवात्मा को पहचान जाता है, वह सबसे प्रेम करता है। तो हमारा तो प्रेम नये-पुराने सबसे है। तो पुरानों को बराबर समझाता बताता रहता हूं, सबके हित की ही बात बताता रहता हूं। जो हमको जानकारी आगे की भी हो जाती है, उसके बारे में भी आगह करता बताता रहता हूं। भविष्यवाणी नहीं करता हूं, लेकिन आगाह करता हूं कि कहीं गड्ढे में गिर न जाओ। जैसे जब परिवार वालों को बरसात के महीने में भूरा बादल दिखता है तो बच्चे को स्कूल जाते समय कहते हैं कि छाता लेते जाना नहीं तो भीग जाएगा, आगाह कर देते हैं। भविष्यवाणी नहीं, जो कुछ भी मालूम होता है, आगाह किया जाता है।
काम तो सब हो चुका है
अब यह जरूर कहता हूं आप लोग जो जयगुरुदेव नाम से प्रेम करते हो, सब लोग अगर इस काम में लग जाओ, जो मैं करने में लगा हुआ हूं, लोगों को शाकाहारी, सदाचारी, नशा मुक्त बना करके सतयुग देखने के लायक बनाने में जो लगा हुआ हूं, इस काम में अगर आप लोग भी लग जाओ तो काम जल्दी हो जाएगा। गुरु महाराज तो सब कुछ करके चले गए, हमको-आपको तो खाली निमित्त बनना है। कृष्ण भगवान ने गोवर्धन उठाया और गोपी और ग्वालों ने लकड़ी लगाई तो आज देखो उनकी भी रासलीला रचाई जा रही है। तो मैं तो लगा हुआ हूं।