संविधान के रखवाले? अपनी खोखली गारंटी के साथ जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस ने 370, 35A की बहाली के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके भारत के संविधान का उल्लंघन किया, जिसकी बहाली संभव नहीं है।
Guardians of the Constitution?




NBL, 08/11/2024, Lokeshwar verma Raipur CG: Guardians of the Constitution? With their empty guarantees, the National Conference of Jammu and Kashmir, Congress, violated the Constitution of India by passing a resolution in the Assembly for the restoration of 370, 35A, the restoration of which is not possible. पढ़े विस्तार से....
हम सभी देशवासियों को इस बात पर गर्व है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है और इस एकता को बनाए रखने के लिए जम्मू कश्मीर से 370, 35A को हटाना आवश्यक है, लेकिन आज जम्मू कश्मीर में जो घटना हो रही है उससे किसी एक पार्टी भाजपा को नुकसान नहीं हो रहा है बल्कि भारत की 140 करोड़ जनता की आस्था को ठेस पहुंच रही है, राजनीतिक पार्टियां आती-जाती रहेंगी, किसी के पास स्थायी सत्ता नहीं है जो आजीवन सत्ता में रहे, लेकिन राजनीतिक पार्टियों में भी अंतर होता है, उसी भाजपा ने जम्मू कश्मीर से 370, 35A को हटाकर जम्मू कश्मीर को भारत के संविधान से जोड़ा है और एक राजनीतिक पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस है जो 370, 35A को बहाल करके जम्मू कश्मीर को भारत के संविधान के नियमों से अलग करना चाहती है।
इसी उद्देश्य से जम्मू कश्मीर में मिले जनादेश का दुरुपयोग करके नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस ने 370, 35A को बहाल करने और जम्मू कश्मीर को भारत के संविधान के नियमों से अलग करने का विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। वे कश्मीर में आतंकवाद और पत्थरबाजों को फिर से स्थापित करना चाहते हैं, और वही कांग्रेस और उसके साथी संविधान बचाने की बात कहकर पूरे देश में न्याय यात्रा निकालते हैं। यह कैसी न्याय यात्रा है? आप, यानी भारतीय गठबंधन के नेताओं का दोहरा चरित्र है कि जम्मू-कश्मीर में संविधान को नष्ट करना और बड़े-बड़े भाषण देकर कहना कि हम देश में संविधान बचाना चाहते हैं। देश में भारतीय गठबंधन के नेताओं का कैसा दोहरा चरित्र है? यह भ्रम क्यों और किसके लिए पैदा किया जा रहा है? भाजपा से राजनीतिक मतभेद रखना आपका अधिकार है, लेकिन जनहित को नुकसान पहुंचाना आपके अधिकार में नहीं है। आपके अनुसार बिना किसी आधार के जम्मू-कश्मीर में 370, 35A को बहाल करने का कृत्य भारत के लोगों को गुमराह करने का दुस्साहस और भारत के संविधान का अपमान है।
नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने मिलीभगत करके जम्मू-कश्मीर की जनता से चुनावी वादे करके जम्मू-कश्मीर की जनता को धोखा दिया और अब जनादेश का दुरुपयोग कर विधानसभा में 370, 35ए को बहाल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है, जो देश के संविधान के कानून को चुनौती दे रहा है, इस प्रस्ताव से जम्मू-कश्मीर में 370 को बहाल करना संभव नहीं है। यह जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ भारत की 140 करोड़ जनता के साथ विश्वासघात है। भले ही वहां की कुछ जनता ने 370 हटाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस को पूर्ण बहुमत दे दिया हो, लेकिन इसे आसानी से हटाना नेशनल कांफ्रेंस,और कांग्रेस के बस की बात नहीं है, फिर भी उन्होंने वहां की जनता को क्यों बेवकूफ बनाया और धोखा दिया, जबकि आज 370 हटने से जम्मू-कश्मीर में एक नया सूरज उग आया है, जो वहां की जनता को नई ऊर्जा दे रहा है। कुछ ही दिनों में इसके अच्छे प्रभाव दिखने लगेंगे और नेशनल कांफ्रेंस के दुष्प्रचार की भी पोल खुल जाएगी।
वहां की जनता के सामने नेशनल कांफ्रेंस के झूठ की नींव इतनी कमजोर हो जाएगी कि देर-सबेर वहां की जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। क्योंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस विधानसभा के प्रस्ताव के जरिए 370 को बहाल नहीं कर सकती, इसकी प्रक्रिया बहुत कठिन है। 370 को राष्ट्रपति से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक का सफर तय करना होगा, तभी समझ में आएगा कि 370 की बहाली लायक है या नहीं, इसलिए आपको, देश के लोकतंत्र को आज यह समझ लेना चाहिए कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस संविधान के कितने बड़े पुजारी हैं? कि आज उनकी चुनावी गारंटी खोखले वादे बनकर सामने आ रही हैं, जिसे जम्मू-कश्मीर की जनता बहुत जल्द समझ जाएगी कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने किस तरह से जम्मू-कश्मीर की जनता को गुमराह करके उनसे वोट लिए हैं।
* कांग्रेस, पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए विरोध मजबूरी....., 2019 में भाजपा सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय राजनीतिक दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी के साथ कांग्रेस और गैर भाजपा दलों ने विरोध जताया था। कांग्रेस ने भी कोर्ट के फैसले से असहमति जताई थी। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा था कि जिस तरह से अनुच्छेद 370 को हटाया गया, उससे हम असहमत हैं। इसके बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने 370 को हटाने का विरोध किया, लेकिन कभी वादा नहीं किया कि वे इसे फिर से लागू करेंगे। कांग्रेस के लिए 370 को हटाने का विरोध भाजपा के खिलाफ प्रतीकात्मक वैचारिक लड़ाई के अलावा और कुछ नहीं है, इसलिए उसने जम्मू-कश्मीर के घोषणापत्र में सिर्फ पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया। कांग्रेस अपने अल्पसंख्यक मतदाताओं के लिए इसका विरोध करती रहेगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के लिए यह कश्मीर में अपना जनाधार बचाने की राजनीतिक चाल है। यह और कुछ नहीं बल्कि विधानसभा में धारा 370 को बहाल करने का नाटक है, जो देश के अल्पसंख्यक मुसलमानों को उनका हितैषी बताकर उन्हें गुमराह कर उन्हें अपने वोट बैंक का हिस्सा बनाकर धोखा दे रहा है।
* दो संविधान और दो निशान के खात्मे पर लगा है सुप्रीम मुहर...., जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 अक्टूबर 1949 में अस्तित्व में आया था, जिसके तहत उसे आंतरिक प्रशासन के लिए स्वायत्तता दी गई थी। जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा में पारित प्रस्ताव के तहत उसे वित्त, रक्षा और संचार के अलावा कानून बनाने का अधिकार था। 5 अगस्त 2019 को केंद्र ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति के अधिकार का सहारा लिया था। कोर्ट ने भी अपने फैसले में माना कि राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 370 में संशोधन करने की एकतरफ़ा शक्ति थी। चूंकि राष्ट्रपति ने भारत के पूरा संविधान जम्मू-कश्मीर में लागू किया है, इसलिए जम्मू-कश्मीर का संविधान निष्क्रिय हो गया है। सुप्रीम मुहर लगने के बाद जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता के दावे को भी खारिज कर दिया था। इसके साथ ही दो निशान और दो संविधान भी खत्म हो चुके हैं।
* जानिए क्यों नहीं लौटेगा जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 370 बीजेपी का दावा है.... ,कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 अब इतिहास बन चुका है और इसे दोबारा लागू नहीं किया जा सकता है। यह दावा सही है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों बेंच की मुहर लग चुकी है। 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने को वैध बताया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कई तथ्यों का उल्लेख किया था, जिससे यह पता चलता है कि विधानसभा में प्रस्ताव पास करने के बाद भी केंद्रशासित प्रदेश को दोबारा लागू करने के लिए केंद्र सरकार और राष्ट्रपति की सहमति की जरूरत पड़ेगी। ऐसा अब राजनीतिक कारणों से संभव नहीं है, भले ही केंद्र में सरकार किसी की हो। जो पार्टी अब अपनी राजनीतिक शक्ति का उपयोग कर संसद और राष्ट्रपति के जरिये इसे लागू करने की कोशिश करेगी, उसे 80 फीसदी बहुसंख्यक हिंदू समुदाय का विरोध झेलना पड़ेगा।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में लगातार दूसरे दिन अनुच्छेद-370 को लेकर हंगामा हुआ। बुधवार को बीजेपी के विरोध के बीच जम्मू-कश्मीर के विधानसभा में 370 दोबारा लागू करने का प्रस्ताव पास हो गया। यह प्रस्ताव केंद्रशासित प्रदेश के डिप्टी सीएम सुरिंदर कुमार चौधरी ने रखा था। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यह बड़ी चालाकी से इस बिल के प्रस्तावक चुनने में संकेतों का इस्तेमाल किया। डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी हिंदू हैं और जम्मू के नौशेरा से चुने गए हैं। दूसरे दिन विधायक खुर्शीद अहमद शेख अनुच्छेद 370 पर बैनर लेकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद विधानसभा में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। अब हंगामे के कारण अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। क्या 370 को दोबारा लागू किया जा सकता है? अगर नहीं तो केंद्रशासित प्रदेश की नई सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव क्यों पारित किया?
चुनाव जीतने के लिए भारतीय राजनीतिक नेताओं को थोड़ा सोच समझकर चुनावी वादे करने चाहिए ताकि देश के लोकतंत्र के साथ-साथ राज्य या देश का हित सुरक्षित रहे और देश के लोकतंत्र को अनुकूल लाभ मिल सके। जो सत्तारूढ़ दल सत्ता में रहते हुए अपने वादों को पूरा कर सके वही जनहित का नेता है। कुछ भी कहकर गुमराह करके आप देश के लोकतंत्र के साथ धोखा नहीं कर रहे हैं बल्कि आप अपने लिए एक ऐसा रास्ता बना रहे हैं जिससे आने वाले समय में वादा करने वाले राजनीतिक दल को नुकसान होगा।कांग्रेस के लिए 370 को हटाने का विरोध भाजपा के खिलाफ प्रतीकात्मक वैचारिक लड़ाई के अलावा और कुछ नहीं है।