मृत्यु के 5 दिन बाद,मसीही मानने वाले मृत पांडो नामक महिला को, तालीबान राज जैसा माहौल पर,मिला 1 जून को मान. उच्च न्यायालय मे संवैधानिक न्याय, अब उनके गांव की निजी मिट्टी ही मे होंगे दफन, देश गाँव राज्य सभी चलते है भारत के संविधान से,किसी तालीबानी जैसे फरमान से नहीं, बस्तर मे धर्म आधारित दफन कफ़न पर फर्जी विरोध हो बंद,भारतीय संविधान का हो परीपालन - नरेन्द्र भवानी / छ.ग. यु. म.

मृत्यु के 5 दिन बाद,मसीही मानने वाले मृत पांडो नामक महिला को, तालीबान राज जैसा माहौल पर,मिला 1 जून को मान. उच्च न्यायालय मे संवैधानिक न्याय, अब उनके गांव की निजी मिट्टी ही मे होंगे दफन, देश गाँव राज्य सभी चलते है भारत के संविधान से,किसी तालीबानी जैसे फरमान से नहीं, बस्तर मे धर्म आधारित दफन कफ़न पर फर्जी विरोध हो बंद,भारतीय संविधान का हो परीपालन - नरेन्द्र भवानी / छ.ग. यु. म.
मृत्यु के 5 दिन बाद,मसीही मानने वाले मृत पांडो नामक महिला को, तालीबान राज जैसा माहौल पर,मिला 1 जून को मान. उच्च न्यायालय मे संवैधानिक न्याय, अब उनके गांव की निजी मिट्टी ही मे होंगे दफन, देश गाँव राज्य सभी चलते है भारत के संविधान से,किसी तालीबानी जैसे फरमान से नहीं, बस्तर मे धर्म आधारित दफन कफ़न पर फर्जी विरोध हो बंद,भारतीय संविधान का हो परीपालन - नरेन्द्र भवानी / छ.ग. यु. म.

मृत्यु के 5 दिन बाद,मसीही मानने वाले मृत पांडो नामक महिला को, तालीबान राज जैसा माहौल पर,मिला 1 जून को मान. उच्च न्यायालय मे संवैधानिक न्याय, अब उनके गांव की निजी मिट्टी ही मे होंगे दफन, देश गाँव राज्य सभी चलते है भारत के संविधान से,किसी तालीबानी जैसे फरमान से नहीं, बस्तर मे धर्म आधारित दफन कफ़न पर फर्जी विरोध हो बंद,भारतीय संविधान का हो परीपालन - नरेन्द्र भवानी / छ.ग. यु. म.

जगदलपुर : मामले मे छत्तीसगढ़ युवा मंच के संस्थापक नरेन्द्र भवानी नें बयान जारी कर बताया है की बस्तर जिले के गांव एर्राकोट मे दिनांक 28 जून को  पांडो नामक महिला का हुवा था मृत्यु, जिसके बाद उक्त लोग मौखिक शिकायत के आधार पर, मृतक को गांव के बाहार दफनाने का किये विरोध, कई समस्या को देख, पीड़ित परिवार के लोगो नें लिया मान. उच्च न्यायालय का शरण,और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नें आवेदको का धर्म जात से ऊपर उठकर उनके संवैधानिक अधिकारो का रक्षा करते हुवे बस्तर जिले के उदाहरण हेतु यह दूसरा फैसला 1 जून 2024 को लिया गया की मृतक को उनके निजी भूमि मे ही दफनाया जाएगा, और आज पुरे 5 दिन बाद मृत पांडो को उनके गांव मे ही दफनाने की प्रक्रिया होगी, और इस तरह फिर से बस्तर जिले मे दूसरी बार संविधान को खुद साबित करना पड़ा की जब तक भारत का संवीधान है तब तक दबे कुचले लोगो का संवैधानिक अधिकारो का हनन कोई कर नहीं सकता !

भवानी नें कहा है की यह तो रही घटना जो हमेशा बस्तर जिले मे घटते दिखता है, और इसी प्रकार से बेबस लाचार लोगो का लगातार संवैधानिक अधिकारो का हनन होता आ रहा है, जय्दातर मसीही मानने वाले के मृत्यु के बाद लाश कफ़न दफन पर ऐसी गंभीर समस्या देखनें को मिलता है,और जिम्मेदार अधिकारीगण जो संविधान को परिपालन कराने का इनमे जिम्मेदारी है वह ऐसा करने मे नाकाम दिखाई दें रहें है, जिसका खामियजा या नुकसान हमें हमारे लोगो का अधिकारो का हनन होते देखना पड़ता है,आखिर क्यूँ, जिला प्रशासन राज्य की भाजपा सरकार को यह समस्या का समाधान जड़ से करना चाहिए, जिले के कप्तान को इस समस्या पर खुल के संवाद करना चाहिए, जिससे समस्या का हल हो सके, क्यूंकि बस्तर पहले ऐसा नहीं था, कुछ वर्षो से बाहरी ताकतों नें आकर यहाँ की शान्ति वादियों मे नफरत का जहर घोला है, जिसके कारण ही यहां धर्म के नाम पर कानून व्यवस्था बिगड़ा है, समय रहते जिम्मेदार अधिकारी अपना जिम्मेदारी निभाए, जीस भारत के संविधान के नाम पर कसम खाकर आज नौकरी कर रहें है, उसी संविधान की रक्षा करते हुवे आम नागरिको की संवैधानिक अधिकारो का संरक्षण करें और अपनी जिम्मेदारी निभाए !