राम नाम के सिमरन के सिवाय सभी को इस कलिकाल के भवसागर में डूबना है: महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन

राम नाम के सिमरन के सिवाय सभी को इस कलिकाल के भवसागर में डूबना है: महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन
राम नाम के सिमरन के सिवाय सभी को इस कलिकाल के भवसागर में डूबना है: महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन

भीलवाड़ा/अमेरिका। हरि शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने रविवार को भारतीय हिंदू टेम्पल, पॉवेल ओहियो, अमेरिका में सत्संग प्रवचन किया। सत्संग में सर्वप्रथम जगत्गुरु आचार्य  श्रीचंद्र जी की पूजा कर अपने गुरुजनों की पूजा अर्चना की। महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम जी इन दिनों अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे है, अनेक भक्तों के निवास पर जाकर संध्या आरती एवं नित्य भजन सत्संग कर सनातन धर्म के प्रति जागरूक कर रहे हैं। स्वामी जी ने कहा कि आज की पीढ़ी विदेशों में रहकर पाश्चात्य सभ्यता अपना रही है। अपने मूल से दूर होती जा रही है। ये घर के बड़ों का कर्तव्य है कि अपने बच्चों में अपने सनातनी संस्कारों को जीवित रखें एवं ये तभी हो सकता है जब वे स्वयं नित्य प्रतिदिन घर में पूजा आरती करें। स्वामी जी ने अपने सत्संग में भगत कबीर दास जी के भजन राम सिमरि राम सिमरि राम सिमरि भाई के माध्यम से सभी को राम नाम का सिमरन करने को कहा। कबीर दास जी ने कलजुग को देखते हुए सभी को एक बार नहीं तीन बार राम नाम का सिमरन करने को कहा। राम नाम के सिमरन के सिवाय सभी को इस कलिकाल के भवसागर में डूबना है। उन्होंने भजन वदे में वदो माँ ऐबदार आहयाँ बदियों बख्श में दाता बदकार आहियाँ में - ईश्वर से प्रार्थना की कि हे ईश्वर मुझमें बहुत सी कमियाँ हैं, मैंने बहुत से गुनाह भी किए हैं, मुझपर कृपा करके मेरे गुनाहों को माफ़ करना तथा सा दिल किथां घुराइयाँ जहिंसाँ तोखे मनायां, हिक दिल अथम दीवानी ताहिंसा पियो गीत गायाँ - मैं वो दिल कहाँ से लाऊँ जिस से मैं तुझे मना सकूँ, मेरा दिल तो दीवाना है जिस से मैं तेरे गीत गाता हूँ। 
महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम जी ने अपने सत्गुरु बाबा हरिराम, बाबा शेवाराम, बाबा गंगाराम को याद कर प्रणाम कर भजन गाया। बाबा हरिराम तुहिंजा बचडा अहियूँ, तुहिंजे चरणन में सिर था निवायूँ एवं प्रार्थना की हम सभी आप ही के बच्चे हैं, हम सभी आपके चरणों में अपना शीश झुकाते हैं। उन्होंने अरदास की कि दरबार साहिब भीलवाड़ा, समाधि वाले साहेब की कृपा सभी साध संगत पर बनी रहे। विदेश में आकर भी वे अपनी सनातन संस्कृति अपने सनातन धर्म की पालना करें एवं अपने परिवार व मित्रों को भी प्रेरित करें ताकि ये सनातन धर्म का कल्प वृक्ष बना सकें। उन्होंने सभी को सेवा करने का महत्व बताया एवं कहा कि सभी को नित्य प्रतिदिन 4 जनों का ख़ाना - गौ माता, कुत्ता, पक्षी किसी अनजान ज़रूरतमंद निकालना चाहिए, यदि नहीं निकाल पायें तो उनके हिस्से के पैसे जमा करें। स्वामी जी ने सभी को भोजन से पहले और भजन के बाद ईश्वर को हाथ जोड़कर प्रार्थना करने का भी संकल्प दिलाया। इस सत्संग में प्रमिला विष्णु मूलचंदानी, विपिन मूलचंदानी, कविता मूलचंदानी, अर्शिया मूलचंदानी, अनाएशा मूलचंदानी, विकास मूलचंदानी, प्रिया मूलचंदानी, अन्वीशा मूलचंदानी, ऋशान मूलचंदानी परिवार ने विशेष सेवा दी। मूलचंदानी परिवार सहित अनेक भक्तों ने सत्संग में हिस्सा लिया। सत्संग के पश्चात् सभी ने भंडारा प्रसाद ग्रहण किया। सेवा पथ पर 
मूलचंदानी परिवार एवं अमेरिका की साध संगत थी।