ओमिक्रॉन की ‘बहन’ है न्यू सब-वेरिएंट बीए.2.... ओमीक्रोन का ही दूसरा रूप BA.2 तेजी से पकड़ रहा रफ्तार.... एक्सपर्ट से जानिए इसके पूरे ‘खानदान’ के बारे में.... जानिए कितने टेंशन की है बात.....

Coronavirus Pandemic Omicron variant of Covid sub variant BA2 how challenging

ओमिक्रॉन की ‘बहन’ है न्यू सब-वेरिएंट बीए.2.... ओमीक्रोन का ही दूसरा रूप BA.2 तेजी से पकड़ रहा रफ्तार.... एक्सपर्ट से जानिए इसके पूरे ‘खानदान’ के बारे में.... जानिए कितने टेंशन की है बात.....

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डेस्क। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी ने बताया कि ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BA.2 तेजी से फैल रहा है। बेहद तेजी से फैलने वाले ओमीक्रोन वेरिएंट में म्यूटेशन से बना सब-वेरिएंट BA.2 पूरी दुनिया के लिए एक नई ही चुनौती बन गया है। अबतक भारत समेत कम से कम 57 देशों में फैल चुका BA.2 ओमीक्रोन से भी तेजी से फैल रहा है। ओमीक्रोन का सब वेरिएंट बीए.2 अबतक कम से कम 57 देशों में मिल चुका है। ये ऑरिजिनल वेरिएंट से भी ज्यादा तेजी से फैलने की क्षमता रखता है। हालांकि, अब तक ऐसे संकेत नहीं मिले हैं कि बीए.2 से मरीज की हालत बहुत ज्यादा गंभीर हो रही है। 

इसके अलावा कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज इसके खिलाफ कारगर दिख रहा है। वैज्ञानिक इस सब वेरिएंट से जुड़ी गुत्थियों को सुलझाने और अगले संभावित वेरिएंट से निपटने की तैयारी में लगे हैं। ओमीक्रोन वेरिएंट कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक है। डेल्टा वेरिएंट की वजह से ही भारत में कोरोना की भयावह दूसरी लहर आई थी। ओमीक्रोन का सब वेरिएंट बीए.2 और भी ज्यादा संक्रामक है। डेनमार्क को ही ले लीजिए। वहां BA.2 बहुत तेजी से पैर पसार रहा है। दिसंबर और जनवरी में करीब 8500 घरों पर की गई स्टडी में पता चला कि बीए.2 से संक्रमित शख्स के औसतन 39 प्रतिशत घरवाले भी इसकी चपेट में आए। 

जबकि इसके मूल वेरिएंट यानी ओमीक्रोन से संक्रमित व्यक्ति के 29 प्रतिशत परिवार वाले ही संक्रमित हुए। ब्रिटेन में भी ऐसी ही तस्वीर है। ओमीक्रोन या उससे जुड़े स्ट्रेन पिछले वेरिएंट्स के मुकाबले मरीज को बहुत ज्यादा बीमार नहीं बना रहे, खासकर वैक्सीन लगवा चुके लोगों की स्थिति ज्यादा नहीं बिगड़ रही। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेनमार्क के आंकड़ों के आधार पर इस हफ्ते बताया कि BA.2 ओरिजिनल ओमीक्रोन वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक नहीं दिख रहा। डेनमार्क में BA.2 की लहर के दौरान अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में कोई अप्रत्याशित उछाल नहीं देखी गई थी।