सावधान! गिरगिट की तरह रंग बदल रहा कोरोना, ये वेरिएन्ट 60 फीसदी से ज्यादा संक्रमित करने की रखता है क्षमता, जानिए सरकार ने क्या कहा…

सावधान! गिरगिट की तरह रंग बदल रहा कोरोना, ये वेरिएन्ट 60 फीसदी से ज्यादा संक्रमित करने की रखता है क्षमता, जानिए सरकार ने क्या कहा…

भारत में मौजूद कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट  जिसे पहले B.1.617.2 कहते थे.  इसे एक इंडियन स्टडी ने दूसरी लहर के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था.  अब ब्रिटेन ने भी कहा है की वहां इस वैरिएंट की वजह से तीसरी लहर आ सकती है.  

इससे क़रीब 50 से ज्यादा देश परेशान है.  इसे लेकर कई एक्सपर्ट्स चिंता जता रहे हैं. हाल ही में द लैंसेट नाम के बड़े ही चर्चित मेडिकल जर्नल में स्टडी पब्लिश की गई है इसी वैरिएंट को लेकर. स्टडी में कहा गया है कि कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ फाइजर-बायोएनटेक का टीका उतना प्रभावी नहीं है. कोरोना के पुराने वेरिएंट बी.1.1.7 (अल्फा) की तुलना में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ यह टीका कम एंटीबॉडी बना रहा है. स्टडी के मुताबिक इसकी केवल एक डोज देने से एंटीबॉडी कम बनती है. 

इसलिए तीसरे डोज को भी इंपोर्टेंस देना चाहिए और बुजुर्ग लोगों को वैक्सीन की तीसरी डोज देना ज़रूरी है. तो सवाल ये है की तीसरी डोज की खासकर बुजुर्गों को क्यों जरूरत पड़ती है डेल्टा वैरिएंट से प्रोटेक्शन के खिलाफ?

फरवरी से इस तरह का लेवल नहीं देखा गया था.” हालांकि, अस्पताल में गुरुवार को मरीजों की संख्या कम, मात्र एक हजार से ज्यादा रही, और स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मरीजों में ज्यादातर वैक्सीन नहीं लगवाने वाले लोग हैं। सरकार ने अपना टीकाकरण अभियान को तेज कर दिया है, और अब करीब 41 मिलियन लोगों को कोविड-19 वैक्सीन का पहला डोज लग चुका है जबकि करीब 25 साल से उम्र के ऊपर 29 मिलियन लोगों ने दूसरा डोज लिया है.


इसका मतलब हुआ कि कुल आबादी के 43 फीसद को पूरी तरह वैक्सीन लगाई जा चुकी है और 18 फीसद को टीकाकरण का आधा। सरकार का कहना है कि उससे पता चलता है कि डेल्टा वेरिएन्ट टीकाकरण कार्यक्रम को कम कर रहा है, लिहाजा जनता से वैक्सीन के दोनों डोज लेने का आग्रह किया जाता है।

यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी के मुख्य कार्यकारी जेनी हैरिस ने बताया, “डेल्टा वेरिएन्ट के खिलाफ दोनों डोज स्पष्ट रूप से ज्यादा सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की नई रिसर्च में कहा गया है कि इंग्लैंड में पहली बार उजागर हुए अल्फा वेरिएन्ट के मुकाबले डेल्टा वेरिएन्ट का संबंध घरेलू ट्रांसमिशन के लगभग 60 फीसद ज्यादा जोखिम से जुड़ता है।